हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का बहतु महत्व माना जाता है। पूजा के दौरान प्रयोग में लाई जाने वाली सामग्री भी विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है। धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि पूजा के लिए हिन्दू धर्म में जिन सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है उनका सिर्फ ज्योतिषीय महत्व ही नहीं है बल्कि कई वैज्ञानिक लाभ भी मौजूद हैं और इसी के आधार पर यह प्रमाणित होता है कि सनातन धर्म शास्त्र एवं ग्रन्थ पूर्ण रूप से वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित हैं। तो चलिए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि कौन-कौन सी पूजा सामग्री से कौन-कौन से ज्योतिष एवं वैज्ञानिक लाभ मिलते हैं।
हल्दी को शुभ और मंगलकारी माना जाता है। इसे घर में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए पूजा या हवन में इस्तेमाल किया जाता है। विशेष रूप से हल्दी की गांठ का उपयोग वास्तु दोष दूर करने के लिए भी किया जाता है। हल्दी के पूजा में इस्तेमाल से गुरु ग्रह यानी कि बृहस्पति कुंडली में मजबूत होते हैं। वैवाहिक जीवन के क्लेश को दूर करने से लेकर जल्दी विवाह तक के लिए हल्दी के उपाय किये जाते हैं।
वहीं, वैज्ञानिक तौर पर हल्दी में curcumin नामक एक सक्रिय घटक पाया जाता है, जो एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी एजेंट है। यह सूजन और दर्द को कम करने में सहायक है और आर्थ्राइटिस जैसे रोगों में राहत दे सकता है। हल्दी डाइजेशन में भी मदद करता है। बुखार, सर्दी-जुकाम और अन्य किसी भी इन्फेक्शन से हल्दी छुटकारा दिला सकती है। हल्दी के एंटीबैक्टीरियल गुण के कारण ये स्किन के लिए भी अच्छी है।
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तुलसी को हिंदू धर्म में बहुत शुभ माना जाता है। इसे घर में स्थापित करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। तुलसी को घर में लगाने या फिर उसकी पत्तियों को पूजा में इस्तेमाल करने से ग्रह दोष दूर होता है। भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है। तुलसी को रोजाना जल चढ़ाने से वास्तु दोष का भी निवारण हो जाता है।
वहीं, तुलसी के वैज्ञानिक लाभ की बात करें तो तुलसी में सबसे ज्यादा एंटीऑक्सिडेंट्स पाए जाते हैं। तुलसी को adaptogen के रूप में जाना जाता है, जिससे स्ट्रेस से निपटने में व्यक्ति को मदद मिलती है। तुलसी से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है और दिल से संबंधित बीमारियों से भी तुलसी बचाव करती है। तुलसी के पत्तों को डायबिटीज के लिए बेहतरीन माना जाता है और यह वैज्ञानिक तौर पर प्रमाणित है।
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हिन्दू धर्म के अनुसार, गंगाजल को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इसे शुद्धिकरण और पापों से मुक्ति के लिए प्रयोग किया जाता है। यह व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है। इसके अलावा, पूजा में इसके प्रयोग से घर में शांति स्थापित होती है। गंगाजल का विशेष रूप से मंत्रोच्चारण के साथ उपयोग किया जाता है, जिससे धयान एवं एकाग्रता बढ़ती है।
गंगाजल में प्राकृतिक रूप से शुद्ध जल, खनिज तत्व, और सूक्ष्मजीवाणुओं का मिश्रण होता है। यह जल शरीर को आवश्यक खनिज प्रदान करता है, जिससे शरीर के विभिन्न कार्यों में सुधार होता है और रोगों से बचाव भी होता है। गंगाजल में ऐसे तत्व होते हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने में मदद करते हैं। सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की मात्र गंगाजल में ही पाई जाती है और यह प्रुवेन है।
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