significance of peepal tree puja during pitru paksha

पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा क्यों होती है?

पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा का खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा अगर पितृपक्ष के दौरान न की जाए तो इससे न सिर्फ पितृ नाराज हो जाते हैं बल्कि इसके कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-09-08, 13:07 IST

पितृपक्ष का आरंभ हो चुका है। 7 सितंबर से शुरू होकर पितृपक्ष 21 सितंबर तक चलेंगे। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए उनके निमित्त दान, तर्पण, श्राद्ध कर्म एवं पिंडदान आदि किया जाएगा। इसके अलावा, पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ की पूजा का भी खास महत्व है। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ की पूजा अगर पितृपक्ष के दौरान न की जाए तो इससे न सिर्फ पितृ नाराज हो जाते हैं बल्कि इसके कई दुष्प्रभाव भी देखने को मिलते हैं। ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि आखिर पितृपक्ष के दौरान पीपल के ही पेड़ की पूजा का क्यों इतना महत्व माना जाता है?

पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान शिव यानी कि त्रिदेवों का निवास होता है। पेड़ की जड़ में ब्रह्मा, तने में विष्णु और ऊपरी हिस्से में भगवान शिव का वास माना जाता है। इसलिए, पीपल को 'वृक्षों का राजा' कहा जाता है। पितृपक्ष में पीपल की पूजा करने से इन तीनों देवताओं का आशीर्वाद भी मिलता है, जो हमारे पितरों को मोक्ष प्रदान करने में सहायक होता है।

pitru paksha mein peepal ki puja karne se kya hota hai

इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ पर हमारे पितरों का वास होता है। पितृपक्ष के 15 दिनों के दौरान, पूर्वज पृथ्वी पर अपने परिवार के पास आते हैं। पीपल के पेड़ की पूजा और परिक्रमा करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख, समृद्धि और शांति का आशीर्वाद देते हैं। यह पूजा एक तरह से पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका है।

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पीपल का पेड़ हमारी आत्मा और हमारे पूर्वजों की आत्मा को जोड़ने वाला एक पवित्र माध्यम है। पितृपक्ष में इसकी पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है। पितृदोष वह स्थिति है जब पूर्वज अतृप्त या असंतुष्ट होते हैं और इससे परिवार में कई समस्याएं आ सकती हैं। पीपल की पूजा करने से यह दोष शांत होता है और घर में सुख-शांति आती है।

पितृपक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा विधि

सबसे पहले, पीपल के पेड़ के पास जाएं और अपने साथ लाए हुए जल में थोड़े से काले तिल मिला लें। इसके बाद, दोनों हाथ जोड़कर अपने पितरों का स्मरण करें और उनसे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें। फिर, 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करते हुए धीरे-धीरे जल पीपल की जड़ में अर्पित करें। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है।

pitru paksha mein peepal ki puja kyu hoti hai

इसके बाद, पीपल के पेड़ के नीचे एक दीपक जलाएं। यह दीपक सरसों के तेल का होना चाहिए। दीपक जलाने का अर्थ है कि आप पितरों को प्रकाश दे रहे हैं और उनके जीवन में से अंधकार को दूर कर रहे हैं। इस दौरान आप पितरों से अपने और अपने परिवार के लिए सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मांग सकते हैं।

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दीपक जलाने के बाद पीपल के पेड़ की कम से कम 7 या 11 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय अपने मन में अपने पितरों का ध्यान करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें। परिक्रमा करते समय आप पितरों से जुड़े किसी भी मंत्र का जाप कर सकते हैं, जैसे 'ॐ पितृ देवाय नमः' या फिर 'पितृभ्य:स्वधायिभ्य:स्वधा नम:'।

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image credit: herzindagi 

FAQ
पितृपक्ष के दौरान क्या तुलसी की पूजा करनी चाहिए?
पितृपक्ष के दौरान तुलसी की पूजा की जा सकती है। ऐसा करना पितरों को प्रसन्न करता है और उन्हें शांति प्रदान करता है। 
पितृपक्ष के दौरान कौन से मंत्र का जाप करना चाहिए? 
पितृपक्ष के दौरान 'ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः' मंत्र का जाप करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है।
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