जब भी मुगल साम्राज्य की बात होती है, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में मुगल बादशाह के नाम जैसे अकबर, शाहजहां, हुमायूं आदि के नाम आते हैं। हालांकि, इन सभी बादशाहों में सबसे लोकप्रिय और शक्तिशाली सम्राट अकबर रहा है। शायद ही, कोई होगा जिसमें अकबर के बारे में नहीं सुना होगा। क्योंकि अकबर एक ऐसा मुगल बादशाह था, जिससे जुड़े कई किस्से और कहानियां आज भी मशहूर हैं। लेकिन आज हम आपको मुगल बादशाह अकबर के बारे में नहीं बल्कि अकबर के खास दोस्त बीरबल के बारे में जानकारी देंगी।
अकबर और बीरबल का रिश्ता आखिर क्यों था इतना खास? जानिए इनसे जुड़े रोचक तथ्य
आपने अकबर और बीरबल की कहानी से जुड़े कुछ मजेदार किस्से यकीनन सुने होंगे लेकिन आज हम आपको उनकी दोस्ती से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।
जी हां, इतिहास के पन्नों में दर्ज अकबर और बीरबल की जुगलबंदी किसी से छुपी नहीं है फिर चाहे वह दोनों की दोस्ती हो या फिर दुश्मनी। दोनों का रिश्ता इतना गहरा था कि आज भी इन दोनों से जुड़े कई किस्से लोग बड़ी शौक से पढ़ते हैं। हमें इतिहास की कई किताबों में अकबर और बीरबल के कई दिलचस्प किस्से पढ़ने को आसानी से मिल जाएंगे। हालांकि, कई बार ऐसा भी हुआ है जब अकबर और बीरबल एक दूसरे के सामने खड़े हुए थे। हालांकि, बीरबल कोई मुगल बादशाह नहीं था लेकिन फिर भी अकबर का बेहद प्रिय था आखिर क्यों? आइए जानते हैं।
कौन थे महेश दास उर्फ बीरबल?
बीरबल का असली नाम महेश दास था, जो एक हिन्दू वंश से ताल्लुक रखते थे। बीरबल का जन्म महर्षि कवि के वंशज जिझौतिया भट्ट ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इतिहास के अनुसार बीरबल तेज दिमाग और बेहद चतुर इंसान थे। उनका जन्म स्थान मध्य प्रदेश के सीधी जिले के घोघरा में हुआ था। इतिहास के अनुसार बीरबल पेशे से एक पान बेचने वाले थे लेकिन कहा जाता है कि बीरबल फारसी और संस्कृत के विद्वान भी थे। उन्होंने इसी भाषा में कई कविताएं भी लिखी हैं।
इसे ज़रूर पढ़ें-आगरा के इस मकबरे में मौजूद है मुगल बादशाह अकबर की कब्र, आप भी जानिए
अकबर बना एक महान सम्राट
इससे तो सभी वाकिफ होंगे ही कि अकबर मुगल साम्राज्य के सबसे महान बादशाहों में से एक थे। इनका जन्म 15 अक्टूबर 1542 को सिंध के राजपूत किले, अमरकोट में हुआ था। अकबर का पूरा नाम जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अकबर मुगल साम्राज्यका तीसरा बादशाह थे। आज भी अकबर की न सिर्फ मोहब्बत की मिसाल दी जाती है बल्कि दोस्ती के कई किस्से भी मशहूर हैं।
इस तरह हुई अकबर और बीरबल की मुलाकात
इतिहास में इस बात के स्पष्ट साक्ष्य तो नहीं मिले हैं लेकिन कहा जाता है कि रीवा के महाराज ने बीरबल को बादशाह अकबर को तोहफे के तौर पर सेवा करने के लिए दिया था। हालांकि, इस बात से कई इतिहासकार सहमत नहीं हैं। बता दें कि मुगल साम्राज्य से जुड़ने से पहले बीरबल जयपुर के महाराज के दरबार में और बाद में रीवा के महाराज के दरबार में बतौर राज कवि रखा गया था।
मिली 'बीरबल' की उपाधि
बीरबल अकबर के नवरत्नों में से एक थे, जिन्हें बादशाह अकबरने अपने दरबार में प्रमुख वजीर नियुक्त किया था। साथ ही, यह अकबर के दरबार में 9 सलाहकारों में से एक थे। बीरबल अकबर के वजीर होने के साथ-साथ प्रमुख दोस्त भी थे। अकबर उनसे हर तरह के सलाह- मशविरा लिया करता था और बीरबल द्वारा दी गई सलाह अकबर के लिए अच्छी भी साबित होती थीं। इसलिए उन्होंने राजा के ओहदे और बीरबल की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
अकबर और बीरबल से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारी
इतिहास के अनुसार अकबर और बीरबल का रिश्ता बहुत खास था। क्योंकि उनकी जुगलबंदी से जुड़ी कई कहानियां आज भी पढ़ते या सुनते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि उन दोनों की जुगलबंदी लगभग 1556 में शुरू हुई थी। जब बीरबल सिर्फ 28 साल के थे और कहा जाता है कि वह बिल्कुल अकबर से मिलते-जुलते थे और उनकी मूंछें तो बिल्कुल बादशाह अकबर जैसी थीं। (जानिए उस मकबरे के बारे में जहां अनारकली के अवशेषों को किया गया था दफन)
अकबर कोई भी काम करता तो बीरबल से इस बात का जिक्र जरूर करता था। यानि अकबर की पूरे दरबार में बीरबल से ही खिचड़ी पकती रहती थी। इसलिए उनकी जुगलबंदी अकबर और बीरबल की खिचड़ी से मशहूर है। हालांकि, इरा मुखोती की किताब 'द ग्रेट मुगल' में इसके बारे में काफी विस्तार से लिखा है।
इसे ज़रूर पढ़ें-मुगल बादशाह अकबर की इन बेगमों के बारे में कितना जानते हैं आप?
इस तरह खत्म हुई अकबर और बीरबल की कहानी
कहा जाता है कि अकबर से पहले उनके वजीर यानि बीरबल की मौत हो गई थी। बीरबल के जाने के बाद अकबर काफी अकेले और दुखी थे। इतिहास के अनुसार यह भी कहा जाता है कि बीरबल की मौत के बाद अकबर को उनकी लाश भी नहीं मिली थी। जी हां, बात सन 1586 की है जब बीरबल और जैन खान बाजौर क्षेत्र में पश्तून यूसुफजई के खिलाफ एक अभियान पर भेजा था। इसी दौरान बीरबल की मौत हो गई थी लेकिन उनकी लाश भी नहीं मिली थी।
भारत में मुगल साम्राज्य का पतन कब हुआ?
मुगल साम्राज्य का दौर लगभग सन 1526 से 1857तक रहा, जिसकी स्थापना बाबर ने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। इसके बाद हुमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां आदि के बाद अंतिम मुगल शासक औरंगजेब था, जिन्होंने अपने शासन के दौरान समाज का निर्माण किया था। हालांकि, कई इतिहासकारों का मानना है कि सन 1707 से लेकर सन 1857 तक मुगल साम्राज्य के पतन यानि विघटन दौर से गुजर रहा था। इसके अलावा, कुछ महिलाएं भी थीं, जिन्होंने अपना योगदान नीति-निर्माण में दिया था।
उम्मीद है कि यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर और लाइक ज़रूर करें, साथ ही, ऐसी अन्य जानकारी पाने के लिए जुड़े रहें हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Wikipedia)