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'महिला के बॉडी स्ट्रक्चर पर कमेंट करना भी यौन उत्पीड़न...' केरल हाईकोर्ट ने कहा महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाते हैं ऐसे कमेंट्स

Kerala KSEB Employee Sexual Harassment: केरल हाईकोर्ट ने केरल राज्य विद्युत बोर्ड के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए एक फैसला सुनाया है। इस फैसले में कोर्ट ने कहा है कि महिला के बॉडी स्ट्रक्चर पर कमेंट करना भी यौन उत्पीड़न के बराबर है।  
Editorial
Updated:- 2025-01-08, 21:02 IST

केरल हाईकोर्ट ने आज केरल राज्य विद्युत बोर्ड के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए एक फैसला सुनाया है। इस फैसले को सुनाते हुए, कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है। केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला की शारीरिक संरचना यानी महिला के बॉडी स्ट्रक्चर पर कमेंट करना सेक्शुअल हैरेसमेंट के बराबर है। यह केस साल 2013 का था। एक महिला कर्मचारी ने अपने ऑफिस में काम करने वाले एक कर्मचारी पर यह केस किया था। चलिए, आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला और कोर्ट ने क्या कुछ कहा है।

महिला के बॉडी स्ट्रक्चर पर कमेंट करने को कोर्ट ने बताया सेक्शुअल हैरेसमेंट

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केरल हाईकोर्ट ने आज केरल राज्य विद्युत बोर्ड के एक पूर्व कर्मचारी की याचिका को खारिज करते हुए एक फैसला सुनाया है। दरअसल, इस बोर्ड के अधीन काम करने वाली एक महिला ने साल 2013 में उसके खिलाफ गलत भाषा का इस्तेमाल किया था और इसके कुछ साल बाद 2016-17 में उस व्यक्ति ने महिला को आपत्तिजनक मैसेज और वॉयस नोट्स भेजना शुरू कर दिया था। महिला का कहना था कि केएसईबी और पुलिस में शिकायत करवाने के बावजूद, व्यक्ति ने अपनी हरकते जारी रखी थीं। इस मामले में महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज करवाया था। आरोपी ने इसे खारिज करके की अपील दर्ज की थी। कोर्ट ने इस अपील को रद्द करते हुए कहा है कि इस तरह किसी भी महिला के बॉडी स्ट्रक्चर पर कमेंट करना, यौन उत्पीड़न के बराबर है और यह महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।

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इन धाराओं के तहत दर्द हुआ था मामला

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महिला की शिकायत के बाद, आरोपी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न) और 509 (महिला की गरिमा को अपमानित करने) के तहत मामला दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि सेक्शन 354 ए कहता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी महिला पर यौन आधारित टिप्पणी करता है, तो इसे यौन उत्पीड़न माना जाएगा। हालांकि, आरोपी की वकील ने इस मामले में कोर्ट में दलील देते हुए कहा था कि उस व्यक्ति ने सिर्फ महिला की फिगर पर कमेंट किया था और इसे सेक्शुअल हैरेसमेंट नहीं माना जाना चाहिए लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को रद्द कर दिया था।

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