उंगली भर कोंपल , लगाई थी हमने , इस बहु सुंदर गुलमोहर वृक्ष की ,
चालिस तीन बरसों तक साथ दिया उसने , आज अचानक हमें छोड़ दिया उसने ।
ऐतिहासिक वर्ष बिताए थे हमने , इसकी सुगंधित छत्र छाया में ,
शोक है दर्द है , फिर से उगाएंगे , हम इक नई कोपल पल भर में ।। ~ ab
इन पंक्तियों में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का दर्द साफ झलक रहा है। यह पंक्तियां अमिताभ ने अपने घर पर लगे 43 वर्ष पुराने गुलमोहर के पेड़ की याद में लिखी हैं। मुंबई में अमिताभ बच्चन के घर 'प्रतीक्षा' में लगा यह पेड़ कुछ दिन पहले ही बारिश और तुफान के चलते अचानक ही अपनी जड़ों से उखड़ कर गिर गया था। उसके बाद अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में इस पेड़ से जुड़ी कई यादें फैंस के साथ शेयर की हैं। साथ ही इस पेड़ की तस्वीरें भी अपने ब्लॉग पर पोस्ट की हैं। चलिए हम आपको बताते हैं कि अमिताभ ने इस पेड़ से जुड़ी कौन-कौन सी रोचक बातें बताई हैं।
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घर की नीव से जुड़ा था यह पेड़
अमिताभ ने अपने ब्लॉग में जानकारी दी है, ' वर्ष 1976 में मेरी पीढ़ी के इस पहले घर में जब मैंने बाबू जी और मां जी को रहने के लिए बुलाया तो उन्होंने इसका नाम 'प्रतीक्षा' (बिग बी के ‘प्रतीक्षा’ की तस्वीरें) रखा था । यह नाम बाबू जी की लिखी एक रचना से आया था। ' अमिताभ ने यह भी बताया कि इस घर में प्रवेश के साथ ही उन्होंने लॉन के बीचों-बीच में महज कुछ ही इंच बड़ा गुलमोहर का पौधा लगाया था। यह पौधा धीरे-धीरे वृक्ष बन गया। अमिताभ अपने ब्लॉग में लिखते हैं, 'इस पौधे के साथ ही हमें घर में और भी पौधे लगााने की प्रेरणा मिली थी।'
ऐश्वर्या-अभिषेक की शादी से जुड़ी थी यादें
गौरतलब है, 20 अप्रैल 2007 में ऐश्वर्या राय बच्चन और अभिषेक बच्चन की शादी भी अमिताभ के घर प्रतीक्षा से ही हुई थी। अपने ब्लॉग में अमिताभ ने बताया है, 'इस पेड़ की छांव में ही बच्चों की शादी का जश्न मनाया गया था, जिसकी यादें हमेशा ताजी लगती हैं।' आपको बता दें कि ऐश्वर्या और अभिषेक की शादी का जश्न बेहद प्राइवेट था। अभिषेक की बारात अमिताभ बच्चन के दूसरे घर जलसा से उठी थी और प्रतीक्षा में ऐश्वर्या और अभिषेक ने सात फेरे लिए थे। इस शादी में बहुत ही कम महमानों को बुलाया गया था।
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सुख- दुख का साथी था यह पेड़
पेड़ से जुड़ी यादों का जिक्र करते हुए अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग में लिखा है, 'यह पेड़ हमारे सुख-दुख का साथी भी रहा है। जैसे-जैसे यह पेड़ बड़ा होता गया वैसे-वैसे बच्चे भी बड़े होते गए। इस पेड़ ने नाती-पोती का बचपन भी देखा है । बाबू जी और मां जी के गुजर जाने पर उनकी 13वीं और 12वीं का कार्यक्रम भी इसी पेड़ की छांव में हुआ था। होलिका दहन से लेकर दिवाली के त्योहार की डेकोरेशन तक में इस पेड़ को हमेशा महत्व दिया गया। इतना ही नहीं, सत्यनारायण स्वामी जी की पूजा और कई हवन भी इस पेड़ की छांव में ही किए जाते थे।'
इस पेड़ के गिर जाने से अमिताभ को अपने घर में खालीपन सा महसूस हो रहा है। वह कहते हैं, 'इस पेड़ में लगे फूलों को मैंने अपने माता-पिता को आर्पित कर दिया है। अब हम फिर से एक नया पौधा लगाएंगे। मैं खुद को बहुत ही भाग्यशाली महसूस करता हूं कि इतने साल मैं इस पेड़ की छांव में रहा और इस पेड़ पर लगे फूलों से मेरा घर महकता रहा।'
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