Ahoi Ashtami 2022: जानिए क्यों धारण की जाती है स्याहु माला?

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि क्यों अहोई अष्टमी पर स्याहु माला को धारण करना महत्वपूर्ण माना जाता है। 

WHAT IS SIGNIFICANCE OF SYAU MALA

हर त्योहार का एक अलग महत्व होता है। सभी त्योहार एक मुख्य तिथि के दिन मनाए जाते हैं। हर वर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर अहोई अष्टमी के दिन व्रत रखा जाता है और इस साल यह व्रत 17 अक्टूबर को है। अहोई अष्टमी के दिन व्रत या पूजन करने का विशेष महत्व होता है।

यह व्रत करवा चौथ के बाद आता है और इस त्योहार पर माताएं अपनी संतान के लिए व्रत रखती हैं। अहोई अष्टमी पर पूरे दिन निर्जला व्रत करने का महत्व सबसे अधिक होता है और ऐसा माना जाता है कि यह व्रत करने से और उनकी दीर्घायु होती है।

इस दिन जो महिलाएं व्रत करती है वो अपने गले में स्याहु की माला भी धारण करती हैं। इस लेख में हम आपको इस स्याहु की माला के बारे में बताएंगे कि इसका क्या महत्व होता है।

क्या होती है स्याहु की माला?

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अहोई अष्टमी के दिन स्याहु माला को संतान की लंबी आयु की कामना के साथ व्रत करने वाली महिलाएं पहनती हैं। यह माला चांदी की बनी हुई होती है। यह माला बनाने के लिए चांदी के मोतियों को एक लॉकेट में करके कलावे में पिरोकर बनाई जाती है।

अहोई पूजा के समय इस माला की रोली और अक्षत के साथ-साथ दूध-भात से पूजा की जाती है। मान्यताओं के अनुसार दिवाली तक इसे पहनना आवश्यक माना जाता है। मान्यता है कि इससे पुत्र की आयु लंबी होती है। आपको बता दें कि अहोई पूजा में इस माला का विशेष महत्व माना जाता है। इस माला को धारण करने से पहले पूजा भी पूरे विधि-विधान से व्रत करने वाली महिलाएं करती हैं।

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क्यों पहनती हैं महिलाएं स्याहु माला?

महिलाएं संध्या काल में पूरे विधि-विधान के साथ जब अहोई माता की पूजा करती हैं तो यह वह माला भी धारण करती हैं और अपनी संतान की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए अहोई माता से कामना करती हैं। इसके बाद तारों की छांव में अर्घ्य भी देती हैं।

आपको बता दें कि स्याहु माला जब बनाई जाती है तो वह संतान की संख्या के आधार पर बनती है। यह माला बनाने के लिए किसी प्रकार की सूई या पिन का भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है। महिलाएं अपनी संतान का तिलक करके फिर यह माला धारण करती है।

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हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार यह माला पहनने से देवी अहोई माता संतान की रक्षा करती हैं। महिलाएं यह माला अहोई के दिन पर धारण करती है लेकिन दिवाली पर यह माला पवित्र जल में साफ करके वापस रख देती हैं।

इन सभी कारणों की वजह से स्याहु माला धारण करने का बहुत अधिक महत्व होता है। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें। इसी तरह के लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

image credit- amazon/youtube

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