निक्की दहेज हत्याकांड ने इन दिनों पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। घटना का सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो विचलित करने वाला है और कई सवाल खड़े कर रहा है। आखिर कैसे दहेज की भूख किसी को इतना अंधा कर सकती है, निक्की के साथ हुई घटना के बाद हम किसी के मन में यही सवाल गूंज रहा है। इस घटना को हुए अभी कुछ दिन भी नहीं बीते हैं कि जोधपुर से रोंगटे खड़ करने वाली एक खबर सामने आई है। यहां संजू नाम की एक महिला ने अपनी 3 साल की बेटी को गोद में लेकर खुद को आग लगा ली है। सुसाइड नोट में उसने पति और ससुरालवालों पर दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं और एक बार फिर ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि यह कैसी 21वीं सदी है, जिसमें बेटियां रोज दहेज की आग में जल रही हैं।
जोधपुर की संजू ने बेटी को गोद में लेकर लगाई खुद को आग
राजस्थान के जोधपुर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। यहां संजू नाम की एक महिला ने अपनी 3 साल की बेटी को गोद में लेकर खुद को आग लगा ली। जानकारी के मुताबिक, पुलिस को एक सुसाइड नोट भी मिला है। जिससे इस बात का जिक्र है कि संजू को उसका पति और ससुरालवाले दहेज के लिए प्रताड़ित कर रहे थे और इसी से तंग आकर उसने जान दे दी।
पुलिस ने बताया कि संजू एक लेक्चरर थी और उसने डाइनिंग टेबल की कुर्सी पर, खुद पर और बेटी पर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। बेटी यशस्वी की वहीं झुलसकर मौत हो गई और शनिवार को संजू ने भी बर्न यूनिट में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। संजू की शादी 10 साल पहले दिलीप विश्नोई से हुई थी और संजू के परिवार वालों का कहना है कि पिछले काफी वक्त से उनकी बेटी को दहेज के लिए परेशान किया जा रहा था।
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दहेज की आग में जल रही हैं बेटियां, क्या वाकई हम 21वीं सदी में जी रहे हैं?
पहले निक्की...अब संजू और लिखते हुए मुझे अफसोस हो रहा है लेकिन कल शायद कोई और...। नाम बदल रहे हैं, जगह बदल रही हैं लेकिन बेटियां रोज दहेज की आग में जल रही हैं। एक तरफ हम 21वीं सदी में कदम रख चुके हैं, खुद को पढ़े-लिखे समाज का हिस्सा बताते हैं लेकिन क्या वाकई हम 21वीं सदी में जी रहे हैं?
अगर एक लड़की होने के नाते मुझसे पूछा जाए, तो मेरा जवाब न होगा। इस न की वजह है दहेज की आग में जलती बेटियां, रेप का शिकार होती लड़कियां, घरेलू हिंसा झेलती महिलाएं और अपने लिए एक सुकून और सुरक्षा से भरी जिंदगी ढूंढती न जाने कितनी लड़कियां। मैं यह जवाब बदलना चाहती हूं लेकिन हर बीतते दिन के साथ मेरी उम्मीद कम होती जा रही है।
कभी निक्की...कभी संजू...तो कभी कोई और, रोजाना बेटियां दहेज की आग में जल रही हैं और हम तरक्की के दावे कर रहे हैं। ये सब कब रुकेगा...कैसे रुकेगा और रुकेगा भी या नहीं रुकेगा, मैं नहीं जानती। लेकिन, इतना जरूरी है कि जब हम हमारे समाज में ऐसी चीजें हो रही हैं, हमें खुद को एक पढ़े-लिखे समाज का हिस्सा कहना बंद कर लेना चाहिए। आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: Freepik, Shutterstock
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