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aaj ka suvichar 24 dec 2025

Aaj Ka Suvichar 24 Dec 2025: 'किसी का दिल जीतना ही ईश्वर को पाना है', श्री श्री रवि शंकर का आज का सुविचार सोच बदल देगा

Thoughts of the Day 24 Dec 2025: क्या आप भी पूजा को सिर्फ मंत्रों और धूप-अगरबत्ती तक सीमित मानते हैं? गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी से जानिए पूजा का असली अर्थ और यह कैसे दिव्य प्रेम और सम्मान की सुंदर अभिव्यक्ति है। पढ़िए आज का खास सुविचार।
Editorial
Updated:- 2025-12-24, 07:00 IST

अक्सर हम पूजा को सिर्फ धूप-दीप, अगरबत्ती और कुछ विशेष मंत्रों तक ही सीमित मानते हैं, लेकिन गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी ने पूजा को नया और दिव्य दृष्टिकोण दिया है। उनके अनुसार, "सम्मान करना ही दिव्य प्रेम का संकेत है और इसी सम्मान को वास्तव में पूजा कहा जाता है।"

आज के सुविचार में हम इसी गहरे अर्थ को विस्तार से समझेंगे। पूजा असल में ऐसे असीम प्रेम और देखभाल का जवाब है, जो ईश्वर और प्रकृति हमारे लिए हर पल लिए कर रहे हैं। यह भगवान को कुछ देने की नहीं, बल्कि उनके प्रति अपना आदर और आभार व्यक्त करने का सुंदर तरीका है।

आज का सुविचार (Aaj ka Suvichar)

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प्रकृति कर रही है निरंतर पूजा

पूजा भक्ति को जागृत करती है। पूजा की विधि वास्तव में इसी का अनुकरण है, जो प्रकृति आपके लिए पहले से ही कर रही है। ईश्वर अनेक रूपों में आपकी पूजा कर रहा है। पूजा में आप सब कुछ वापस ईश्वर को अर्पित कर देते हैं।

फूल: प्रेम का प्रतीक

पूजा में हम फूल अर्पित करते हैं, क्योंकि फूल प्रेम का प्रतीक है। ईश्वर हमारे जीवन में माता, पिता, मित्र, पति, पत्नी और बच्चों के रूप में प्रेम बनकर आता है। यहां तक कि गुरु के रूप में भी वही प्रेम हमें दिव्य ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए आता है। जीवन के हर कोने में खिलते हुए इसी प्रेम को पहचानकर हम ईश्वर को श्रद्धा के फूल चढ़ाते हैं।

पंच इंद्रियों का समर्पण

पूजा में हम अपनी पांचों इंद्रियों जैसे सुगंध के लिए धूप, दर्शन के लिए ज्योति, स्वाद के लिए फल और मंत्रों का श्रवण का इस्‍तेमाल करते हैं। ये सभी इस गहरी भावना के साथ किया जाता है कि जो कुछ भी हमें मिला है, वह सब ईश्वर का ही है। पूजा वास्तव में सम्मान और शुक्रिया प्रकट करने का तरीका है।

अधिकार नहीं, उपासना

अक्सर जब हम किसी से प्रेम करते हैं, तब हम उस पर अपना अधिकार जमाना चाहते हैं। गुरुदेव कहते हैं कि अधिकार जमाने की यह भावना सुंदर से सुंदर रिश्ते को भी खराब कर देती है। पूजा इसके ठीक विपरीत है। पूजा का अर्थ सामने वाले के सौंदर्य को पहचानना है, उसकी सराहना करना और खुद को समर्पित कर देना। जहां अधिकार है वहां क्लेश है, जहां उपासना है वहां समर्पण और शांति है।

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विद्यार्थियों के लिए आज का सुविचार (Aaj Ka Suvichar For Students)

आज का सुविचार छात्रों को यह सिखाता है कि सच्ची सफलता सिर्फ अच्‍छे नंबर पाने या प्रतियोगिता जीतने में नहीं, बल्कि शिक्षक, माता-पिता और साथियों के प्रति सम्मान रखने में है। जब छात्र दूसरों का आदर करना सीखते हैं, तब उनका व्यक्तित्व स्‍वयं निखरता है और सीखने की क्षमता बढ़ती है।

ऑफिस के लिए आज का सुविचार (Aaj Ka Suvichar For Office)

ऑफिस पर यह सुविचार याद दिलाता है कि सहयोगियों का सम्मान ही स्वस्थ कार्यसंस्कृति की नींव है। जब काम में अहंकार की जगह सम्मान और समझ होती है, तब तनाव कम होता है और सफलता स्वाभाविक रूप से मिलती है।

प्रेम और सम्मान का मेल

अंत में, पूजा कोई बोझिल रस्म नहीं है, बल्कि यह ईश्वर द्वारा किए गए कार्यों का खेलपूर्ण अनुकरण है। यह सम्मान, प्रेम और श्रद्धा का एक ऐसा अद्भुत मिश्रण है, जो हमारे भीतर की भक्ति को जगाता है और हमें हमारे अपने दिव्य स्वभाव से जोड़ता है।

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