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Odisha Train accident: भारत के 5 सबसे खतरनाक ट्रेन हादसे

भारत के कुछ ट्रेन हादसे ऐसे रहे हैं जहां हफ्तों तक ट्रेन की बोगियों में से लाशें निकाली जाती रही थीं। रात में हुए ये हादसे सुबह का भयावह मंजर लेकर आए थे। 
Editorial
Updated:- 2023-06-06, 12:57 IST

ओडिशा के बालासोर में हुए ट्रेन हादसे ने सभी को चौंका दिया। 280 से ज्यादा लोगों की मौत और 900 लोगों को जख्मी करने वाले इस हादसे ने एक बार फिर ट्रेन सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी के आपस में टकराने से यह हादसा हुआ।

शालीमार चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस सबसे पहले बहानगा बाजार स्टेशन से महज 300 मीटर की दूरी पर डिरेल हो गई। उसके एक मालगाड़ी से टकराने के बाद पास से गुजरती बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस भी इनसे टकरा गई। चारों ओर हाहाकार मच गया और लोग एक्सीडेंट पीड़ित यात्रियों की मदद में लग गए। हादसे की तस्वीरों को देख आप भी इसकी भयावहता का अंदाजा लगा सकते हैं, लेकिन यह पहली बार नहीं है जब इस तरह का कोई एक्सीडेंट हुआ है।

आज हम बात करते हैं भारत में इससे पहले हुए भयानक हादसों की।

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1. बिहार ट्रेन एक्सीडेंट

जून 1981 में हुआ यह ट्रेन एक्सीडेंट अभी तक के सबसे भयानक ट्रेन हादसों में से एक रहा है। इस एक्सीडेंट में 800 से ज्यादा लोग मारे गए थे। ट्रेन के 9 डिब्बे उफनती हुई नदी में समा गए थे। बागमती ट्रेन एक्सीडेंट भले ही 42 साल पहले हुआ हो, लेकिन यह भारत का सबसे बड़ा रेल हादसा है।

bihar train accident

6 जून 1981 को मानसी-सहरसा रेलखंड पर यह हादसा हुआ था। 9 डिब्बे बागमती नदी में जा गिरी थी। हालांकि, इसका कारण आज भी खराब मौसम को माना जाता है, लेकिन यह समझना थोड़ा मुश्किल है कि इतनी तेज आंधी कैसे आ गई कि यात्रियों से भरी एक ट्रेन पुल के नीचे गिर गई। ऐसा माना जाता है कि अपनी गति पर चलते हुए इस ट्रेन के ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगा दिए थे जिसके कारण हादसा हुआ।

इस एक्सीडेंट के बाद कई दिनों तक शव नदी और ट्रेन की बोगियों में से निकाले जाते रहे थे। सरकारी आंकड़ा 300 था, लेकिन बाद में कई रिपोर्ट्स ने इसे 800 बताया था।

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2. फिरोजाबाद रेल हादसा

इस हादसे में 350 लोगों की जान चली गई थी। दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर फिरोजाबाद में यह हादसा हुआ था। 20 अगस्त 1995 की दरमियानी रात 2:55 पर एक पैसेंजर ट्रेन ट्रैक पर खड़ी एक ट्रेन से टकरा गई थी। पहले से ट्रैक पर मौजूद ट्रेन ने नीलगाय को टक्कर मार दी थी जिसकी वजह से वह ट्रैक पर खड़ी हो गई थी। सामने से आ रही पैसेंजर ट्रेन को इसके बारे में नहीं पता था। टक्कर इतनी भीषण थी कि कई डिब्बे पटरी से उतर गए थे।

train accident

इस हादसे में कालिंदी एक्सप्रेस और पुरुषोत्तम एक्सप्रेस के बीच भयानक टक्कर हुई थी। दरअसल, ट्रेन के लोको पायलट ने ट्रैक पर खड़ी नीलगाय को देखा और इससे पहले कि वो ब्रेक लगा पाते ट्रेन नीलगाय से जा टकराई। उस वक्त ट्रेन के वैक्यूम ब्रेक अपने आप ही एक्टिव हो गए और ट्रेन अपनी जगह पर खड़ी हो गई।

उस वक्त स्टेशन मास्टर और केबिनमैन के बीच इस बात को लेकर गलतफहमी हो गई कि ट्रैक क्लियर है या नहीं। बस पुरुषोत्तम एक्सप्रेस को हरी झंडी मिल गई और वह ट्रैक पर खड़ी कालिंदी एक्सप्रेस से जा टकराई।

3. कोलकाता ट्रेन एक्सीडेंट

इस एक्सीडेंट में लगभग 400 लोगों की मौत हो गई थी। 6 रेलवे कर्मचारियों की लापरवाही के कारण 2500 लोगों को ले जा रही दो ट्रेन्स आपस में टकरा गई थीं। यह पश्चिम बंगाल में कोलकाता के पास गैसल नामक जगह पर हुआ था।

train accident in indore patna express

असम अवध एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल के साथ ऐसा हुआ था। यह हादसा असम अवध एक्सप्रेस और ब्रह्मपुत्र मेल के बीच हुआ था। सिर्फ एक सिगनलिंग एरर के कारण सैनिकों से भरी ब्रह्मपुत्र मेल अवध असम एक्सप्रेस के ट्रैक पर चली गई थी और ट्रेन्स में टक्कर हो गई थी। टक्कर इतनी तेज थी कि दोनों ट्रेन्स पड़ोस वाली बिल्डिंग से जा टकराई थी और धमाका हो गया था।

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4. वालीगोंडा ट्रेंड ट्रेजेडी

यह ट्रेन हादसा सिर्फ अचानक आई एक बाढ़ के कारण हुआ था। एक छोटे रेल ब्रिज पर डेल्टा फास्ट पैसेंजर ट्रेन खड़ी थी। 29 अक्टूबर 2005 की रात ट्रेन ट्रैक के पास मौजूद एक बड़ा इरिगेशन टैंक फट गया था। इसके कारण हजारों गैलन पानी एक साथ नजदीकी रेलवे ब्रिज पर जा गिरा जिससे ब्रिज का एक हिस्सा टूट गया। पास आ रही पैसेंजर ट्रेन भी टूटे हुए हिस्से से टकरा गई और चार डिब्बे खेतों में जा गिरे और अन्य तीन पानी में जा गिरे जिससे ज्यादातर मौतें हुईं।

train accident in bridge

उस वक्त वालीगोंडा इलाके में बारिश भी हो रही थी जिसके कारण रेस्क्यू ऑपरेशन और भी ज्यादा मुश्किल हो गया।

5. 2016 इंदौर पटना त्रासदी

20 नवंबर 2016 को इंदौर पटना एक्सप्रेस पुखरायन, कानपुर के पास पटरी से उतर गई थी। इस घटना में आधिकारिक तौर पर 150 लोगों की मौत हुई थी। इस ट्रेन के 14 डिब्बे बोगी से उतर गए थे। इस ट्रेन के S1 और S2 डिब्बे में सबसे ज्यादा मौतें हुई थीं।

इस हादसे के कुछ ही दिन बाद 28 दिसंबर को कानपुर के पास एक और ट्रेन डिरेल हो गई थी। उस वक्त पता चला कि ये दोनों ही हादसे ट्रेन ट्रैक के खराब होने के कारण हुए थे। 2017 जनवरी में खराब ट्रैक को देखा गया ताकि ट्रेन डिरेलमेंट को रोका जा सके। तीन लोगों को अरेस्ट किया गया जिस पर ट्रेन ट्रैक पर बॉम्ब रखने का आरोप था।

ये सभी हादसे ट्रेन्स के पटरी से उतरने के कारण हुए थे।

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Image Credit: Jagran Archives/ Wiki

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