हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं सामने आईं जिन्होंने समाज को झकझोर कर रख दिया। मुस्कान और सौरभ राजपूत का मामला हो या सोनम-राजा रघुवंशी हत्याकांड, इन घटनाओं ने सोशल मीडिया पर पुरुषों के एक बड़े वर्ग को मुखर कर दिया। इन मामलों में महिलाओं की भूमिका पर सवाल उठे। उन्हें 'बेवफा' और न जाने क्या-क्या कहा गया। एक तरफ जहां इन घटनाओं पर तीव्र प्रतिक्रिया और आक्रोश देखने को मिला, वहीं दूसरी ओर जब बात रिधन्या जैसे मामलों पर आती है, तो वही समाज चुप्पी साध लेता है, जो अपने आप में एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
तमिलनाडु के तिरुपुर की 27 वर्षीय नवविवाहिता रिधन्या को ससुराल वालों की ओर से बेरहमी से दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया और उसे आखिरकार आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया गया। खबर थी कि उसने अपने पीछे एक मार्मिक वॉइस नोट छोड़ी थी, जिसमें लिखा था, रिधन्या ने पापा को अपनी हार और पूरे मामले के बारे में बताती है। जरा सोचिए.. जिस बेटी के लिए माता-पिता ने 800 ग्राम सोना और 70 लाख रुपये की कार दहेज में दिए थे। उसके बाद भी बिटिया की जान ले ली गई। क्या ससुराल वालों की ओर से प्रताड़ित करने के बाद खुदकुशी करने को महिलाओं पर अपराध नहीं कहेंगे? क्या यह एक जघन्य हत्या से कम है? क्या यह क्राइम नहीं है? महिलाओं पर गलत आरोप लगाने वाले वो समाज अब कहां गए? सदियों से चली आ रही महिलाओं पर शोषण का हिसाब कौन करेगा?
'अब और नहीं सह सकती' रिधन्या ने माता-पिता के लिए छोड़ा मैसेज
अपनी मौत से पहले रिधन्या ने पिता को सात ऑडियो मैसेज भेजे, जिनमें उसने बताया कि उसका पति कविन कुमार और ससुराल वाले उस पर हर दिन मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना कर रहे थे। आगे उन्होंने कहा 'जो लोग सुनते हैं, वे चाहते हैं कि मैं समझौता कर लूं, लेकिन मैं टूट चुकी हूं। मैं इस पीड़ा को और नहीं झेल सकती।' इन शब्दों में छिपा दर्द आज भी उसके परिवार को झकझोर देता है। रिधन्या ने लिखा 'मैं किसी और पर बोझ बनकर नहीं जी सकती.. इस बार मेरी कोई गलती नहीं, लेकिन अब जीवन खत्म हो गया है।' अपने पिता को भेजे आखिरी मैसेज में रिधन्या ने कहा- 'पापा! आप और मां मेरी दुनिया हैं। मेरी आखिरी सांस तक आप ही मेरी उम्मीद थे, पर मैं अब और सह नहीं सकती हूं। मुझे माफ कर देना।'
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दहेज के बाद भी महिला हो रही शोषण का शिकार
तमिलनाडु के तिरुपुर जिले की ये कहानी हर उस परिवार के लिए चेतावनी है, जो बेटी को विदा करते समय सोचते हैं- 'सब कुछ दे दिया, अब सब ठीक रहेगा।' आपको बता दें कि रिधन्या की शादी इस साल अप्रैल में कविन कुमार नाम के युवक से हुई थी। शादी में लड़की के पिता अन्नादुरई ने 800 ग्राम सोने के गहने और 70 लाख की वोल्वो कार दहेज में दी थी। उसके बाद भी बेटी को खुशी नसीब नहीं हुई। यह घटना सिर्फ एक खबर नहीं, बल्कि हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई का भयावह चेहरा है, जहां दहेज नामक कुप्रथा आज भी हजारों जिंदगियां निगल रही है। यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं कि दहेज जैसी इतनी बड़ी कीमत चुकाने के बाद भी एक बेटी को मरने पर मजबूर कर दिया गया। क्या हमारा समाज अभी भी दहेज को अपराध नहीं मानता? क्या 'लेन-देन' के नाम पर होने वाली यह हिंसा अदृश्य है? यह घटना हमें झकझोर कर रख देती है और यह सवाल खड़ा करती है कि कानून होने के बावजूद यह कुप्रथा क्यों फल-फूल रही है। यह घटना दर्शाती है कि दहेज की भूख कितनी अंधी और निर्मम हो सकती है कि महिलाओं को आत्महत्या जैसे चरम कदम उठाने पर मजबूर कर देता है।
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क्या समाज नहीं मान रहा इसे क्राइम?
समाज के लिए क्राइम की परिभाषा क्या है, क्या महिलाओं द्वारा पतियों की हत्या या दुर्व्यवहार ही सिर्फ क्राइम है? क्या पतियों द्वारा शोषण व हत्या करना या फिर उसे आत्महत्या के लिए उकसाना गंभीर अपराध नहीं माना जाएगा? दरअसल, यह विडंबना ही है कि जब किसी पुरुष पर महिला द्वारा शोषण या अन्याय का आरोप लगता है, तो समाज का एक बड़ा वर्ग तुरंत न्याय की दुहाई देने लगता है। सोशल मीडिया पर 'पुरुष अधिकार' और 'पुरुषों के साथ अन्याय' जैसे नारे गूंजने लगते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि अन्याय किसी के साथ भी हो, वह गलत है और उसके खिलाफ आवाज उठनी चाहिए। कानून सबको समान न्याय देता है, चाहे पीड़ित महिला हो या पुरुष।वहीं, जब सदियों से चली आ रही महिलाओं पर शोषण की बात आती है और दहेज, घरेलू हिंसा या मानसिक प्रताड़ना के कारण एक महिला को अपनी जान देनी पड़ती है, तो वही मुखर समाज शांत पड़ जाते हैं, जैसे कि यह एक साधारण मामला है। समाज की आवाजें तब इतनी बुलंद नहीं होती हैं और न ही 'दहेज लोभियों को सजा दो' जैसे नारे उतनी ताकत से नहीं लगाए जाते हैं। वास्तव में यह गंभीर मामला है, जो हमेशा से होता आ रहा है और इस पर सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है। उसपर शख्त कार्यवायी करना जरूरी है।
रिधन्या का मामला केवल एक घटना नहीं है, यह उस गहरी सामाजिक जड़ता का प्रतीक है जो दहेज को आज भी कहीं न कहीं 'रस्म' या 'लेन-देन' के रूप में स्वीकार करती है। भले ही कानून की किताबें इसे अपराध मानती हों, लेकिन सामाजिक रूप से इसे अभी भी उतनी गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जितनी अन्य अपराधों को माना जाता है।हालांकि,आत्महत्या के बाद पुलिस ने तुरंत एक्शन लेते हुए उसके पति कविनकुमार, ससुर ईश्वरमूर्ति और सास चित्रादेवी को गिरफ्तार कर लिया है।
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