Kolkata Rape And Murder Case को आज 2 महीने पूरे हो चुके हैं। 9 अगस्त की रात कोलकाता के आरजी कर हॉस्पिटल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप हुआ...उसके साथ बर्बरता की सारी हदे पार की गईं...उसका कत्ल कर दिया गया। इस खबर ने एक बार फिर पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। सोशल मीडिया से लेकर देश के हर कोने तक इंसाफ की मांग उठी और दोषियों के खिलाफ आवाजें बुलंद हुईं। ऐसा लगा कि इस बार तो देश में काफी कुछ बदल जाएगा। अब महिलाओं की सुरक्षा पर और कोई सवाल नहीं खड़ा होगा। लेकिन, माफ कीजिएगा कुछ ही दिनों में हमारी यह खुशफहमी भी दूर होने लगी, जब कोलकाता केस के 10 दिनों के अंदर ही न जाने कितने और रेप केस सामने आए, सोशल मीडिया पर लोग कोलकाता विक्टिम पर ही सवाल उठाने लगे और तो और पोर्नोग्राफी वेबसाइट्स पर विक्टिम की तस्वीर और वीडियोज को सर्च किया जाने लगा। इसके बाद एक बार फिर लगा कि समाज के तौर पर हम फेल हो गए हैं।
आज इस घटना के 2 महीने बाद भी सवाल जस का तस है। एक तरफ तो देश में दु्र्गा पूजा की धूम है...हम शक्ति स्वरूपा मां के आगे सिर झुकाकर, उनसे झोली फैलाकर खुशियां मांग रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ आज भी ऑनलाइन सर्च के आंकड़े, महिलाओं के लिए हमारी सोच की असलियत दिखाते हैं।
ऑनलाइन हम हजारों तरह की चीजें सर्च करते हैं। काम से लेकर दुनिया भर की जानकारी तक, आपको सब कुछ ऑनलाइन मिल जाएगा। लेकिन, एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जो इन सर्च के जरिए, महिलाओं के MMS, वायरल MMS वीडियोज और न जाने क्या कुछ ढूंढ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि इस तरह की चीजों की सर्च में तेजी से उछाल आया है यानी लोग लगातार इस तरह की चीजों को इंटरनेट पर खोज रहे हैं। यह रवैया वाकई समाज के तौर पर हमारी सोच और महिलाओं के लिए जिस सम्मान की हम बात करते हैं, उस पर सवाल उठाता है।
ऑनलाइन सर्च के आंकड़ों में तेजी से Viral MMS Video, Viral MMS Video 2024 Link, MMS Video Instagram, Girl Indian MMS जैसे सर्च टर्म्स देखने को मिल रहे हैं। इनसे साफ है कि लोग इन्हें तेजी से सर्च कर रहे हैं और कहीं न कहीं हाल-फिलहाल के ये आंकड़े दिखाते हैं कि कोलकाता केस के 2 महीने बाद भी कुछ नहीं बदला है।
कोलकाता रेप विक्टिम के वीडियोज को, उसकी फोटोज को लोग एडल्ट वेबसाइट पर सर्च कर रहे थे। बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ था। इससे पहले भी न जाने कितनी रेप विक्टिम से जुड़ी इस तरह की वीडियोज को सर्च किया गया है। हैदराबाद की वेटेनरी डॉक्टर के केस के बाद उसका नाम और घटना से जुड़े वीडियोज तेजी से सर्च किए जा रहे थे। गूगल ट्रेंड्स में उस वक्त भी डॉक्टर से जुड़े सर्च टर्म्स दिखाई देने लगे थे।
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जरा सोचिए एक देश जहां देवियों को पूजा जाता है...जहां कन्याओं के पैर धोकर उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है...वहां इस तरह की सोच पर क्या हमें शर्मिंदा नहीं होना चाहिए। आखिर कौन हैं ये लोग जिनकी आंख इस तरह की घटनाएं सुनकर शर्म से नहीं झुक जाती बल्कि इस तरह की वीडियोज देखना चाहती हैं। आखिर कौन हैं ये लोग जिनके हाथ-पैर इन खबरों को सुनकर कांपते नहीं हैं बल्कि फोन के सर्चपैड पर उन वीडियोज और फोटोज को देखने की चाह रखते हैं। ऐसा सिर्फ रेप विक्टिम्स के साथ ही नहीं हो रहा है बल्कि Viral MMS को सर्च किए जाने का ट्रेंड लंबे वक्त से बढ़ता ही जा रहा है और इन सर्च में कई तरह की ऐसी वीडियोज आती हैं, जो बेशक हमारी सोच पर सवालिया निशान लगाती हैं।
आपकी तरह हमारे मन में भी यह सवाल उठा कि आखिर क्यों लोग इस तरह की वीडियोज को सर्च करते हैं। हमने इसके बारे में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट की सीनियर चाइल्ड और क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट और हैप्पीनेस स्टूडियो की फाउंडर डॉक्टर भावना बर्मी से बात की। डॉक्टर भावना ने बताया कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसमें दूसरों के प्राइवेट मूमेंट को देखने की इच्छा, इमोशन्स की कमी, एजुकेशन की कमी और इन सब चीजों को आम मानना शामिल है। लोगों के मन में इस तरह की कई अनहेल्दी इच्छाएं हैं, जिन्हें वे इस तरह की वीडियोज को देखकर पूरी करते हैं।
कोलकाता केस को आज 2 महीने पूरे हो चुके हैं। विक्टिम के परिवार के साथ ही, पूरे देश के लोगों की आंखों में न्याय की उम्मीद है। लेकिन, ये आंकड़े गवाही दे रहे हैं कि हमारी सोच बिल्कुल नहीं बदली है। साल 2012 में दिल्ली में निर्भया केस हुआ, इस केस के बाद भी लोगों की आंखों में रोष नजर आया...लोग सड़कों पर उतरे और मानो न्याय की एक मशाल जली। उस वक्त लगा कि अब शायद इस तरफ के अपराध रुकेंगे। कानून कड़े किए गए...सालों बाद दोषियों को सजा तो हुई लेकिन अपराध के मामले और समाज की सोच बिल्कुल नहीं बदली। हमारे देश में हर घंटे 3 महिलाएं रेप का शिकार होती हैं। रेप के मामलों के अलावा, बात अगर इस तरह की ऑनलाइन सर्च की करें, तो इससे भी समाज की सोच पता चलती है। कैसे एक महिला को हैरेस करने का कोई भी मौका समाज नहीं छोड़ना चाह रहा है। आज शायद लोग समाज का एक बड़ा हिस्सा इतना संवेदनाहीन हो चुका है कि इस तरह की घटनाएं अब हम पर असर नहीं डालती हैं...ये खबरें अखबार के पन्नों और टीवी की हेडलाइन्स तक सिमट जाती हैं और महिला सम्मान की बातें बस बातें बनकर रह जाती हैं। कम से कम ऑनलाइन सर्च के आंकड़े तो यही दिखा रहे हैं।
महिलाओं को सम्मान और सुरक्षा भीख में नहीं, बल्कि हक में मिलनी चाहिए वरना समाज के तौर पर हमें आंखे झुकानी होंगी। आप इस बारे में क्या सोचते हैं, हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर बताएं।
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