
21 साल की पूजा आखिर बिल्डिंग से देर रात कहां चली गई थी, अभी भी हर किसी के मन में यही सवाल चल रहा था। किसी ने भी उसे बिल्डिंग से बाहर जाते नहीं देखा था। पुलिस ने सड़क पर लगे सीसीटीवी भी चेक कर लिए थे, पूजा बिल्डिंग से बाहर नहीं गई थी। इसलिए, शक बिल्डिंग के लोगों पर ही जा रही था। रवि जो खुद को पूजा का दोस्त बता रहा था, उससे पूछताछ के बाद भी पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा। ऐसे में जब पुलिस को कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी, तो जांच करने आए, सीनियर ऑफिसर ने कहा। कोई भी इस बिल्डिंग से बाहर नहीं जाएगा। सभी के घरों की फिर से अच्छे से जांच होगी और हर व्यक्ति से पूछताछ की जाएगी। पुलिस के इस अनाउंसमेंट के बाद बिल्डिंग में जैसे शोर मच गया। लोग एक-दूसरे की शक्ल देखने लगे और पुलिस की बातों का विरोध करने लगे। जब मामला बिगड़ता दिखा, तो पीछे से एक आवाज आई।
आपकी बेटी गायब होती है, तो क्या तब भी आप ऐसे ही मना करते। भगवान न करे किसी के साथ ऐसा हो, लेकिन मेरी बेटी बस 21 साल की है, कहां है किस हालात में है, क्या कोई इस बारे में सोच सकता है। एक मां की बेटी 24 घंटे से गायब है, क्या आप लोग इस दर्द को समझ सकते हैं। यह आवाज पूजा की मां की थी, कांपते होंठ और थकी हुंई आखें, हाथ जोड़कर लोगों से अपील कर रही थी। प्लीज मेरी बेटी मुझे वापिस कर दो। मेरी छोटी सी बेटी ने आखिर किसी का क्या बिगाड़ा है। एक मां की गिड़गिड़ाती आवाज सुनने के बाद बिल्डिंग में जैसे शांती फैल गई थी, सब चुपचाप अपने कमरे में लौट गए और पुलिस के साथ कॉरपोरेट करने लगे, तभी रवि ने कहा…
सर क्या मैं जा सकता हू? मैंने कुछ नहीं किया, मैं बस अपनी दोस्त से मिलने आया था, जब वो यहां नहीं है, तो प्लीज मुझे जाने दो।

पुलिस ने कहा- नहीं, तुम्हें समझ नहीं आ रहा है क्या? इस बिल्डिंग से कोई बाहर नहीं जाएगा, मतलब कोई नहीं जाएगा। तुम भी तब तक यहां से नहीं जा सकते, जब तक पूजा मिल नहीं जाती। उधर शांति से कोने में बैठ जाओ, वरना तुम्हें पुलिस स्टेशन में जेल में बंद कर दिया जाएगा। पुलिस के कहते ही रवि घबरा गया और एक कोने में जाकर बैठ गया, सभी 13वें फ्लोर पर मौजूद थे और पूजा के कमरे की तलाशी ली जा रही थी। हर एक सामान चेक कर लिया था, लेकिन पूजा को ढूंढने का कोई सुराग नहीं मिल रहा था, तभी पूजा कमरे में कुछ लड़कों के कपड़े मिले।
पुलिस ने रवि से कहा- क्या यह तुम्हारे कपड़े हैं? रवि ने घबराते हुए कहा नहीं, नहीं ये मेरे नहीं है। पुलिस ने गुस्से में फिर कहा, मैं आखिरी बार पूछ रहा हूं- क्या ये कपड़े तुम्हारे हैं? याद रखो, हमारे पास कपड़ों की पहचान करने के और भी कई तरीके हैं।
रवि को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसकी आवाज कांप रही थी। हां सर… ये कपड़े मेरे ही हैं। लेकिन मैं सच कह रहा हूं, पूजा मेरी सिर्फ अच्छी दोस्त थी। मुझे नहीं पता वो कहां है।

रवि के हां कहते ही पुलिसवालों का सब्र टूट गया।
सिपाही ने कहा- यह ऐसे नहीं मानेगा, उसने उसका कॉलर पकड़ा और उसे घसीटते हुए पूजा के कमरे में ले गया। रवि को जोर से कुर्सी पर बिठा दिया गया। पूजा कहां है? सर, मुझे सच में नहीं पता… इतना कहते ही एक पुलिस वाले ने उसके चेहरे पर जोरदार चांटा जड़ दिया। रवि की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। झूठ मत बोल! पुलिस चिल्लाई, रवि ने दर्द से कराहते हुए सिर उठाया। सर… मैं कैसे समझाऊं के मैं नहीं जानता…
कमरे में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया। तभी दरवाजा खुला और एक दूसरा अफसर अंदर आया। इसको तब तक मारो, जब तक ये अपना मुंह नहीं खोलता। एक तरफ उसकी पिटाई हो रही थी, दूसरी तरफ पुलिस बिल्डिंग के हर कमरे में पूजा को ढूंढ रही थी। लगभग 1 घंटे तक रवि की पिटाई हुई, लेकिन रवि ने एक बार भी अपना मुंह नहीं खोला। रवि की हालत बूरी तरह से खराब हो गई थी, पुलिस भी अब उसे मारते-मारते थक चुकी थी, सिपाही को प्यास लगी और वह पानी पीने के लिए बाहर आया।

रवि कमरे में अकेले पड़ा था.. रात हो चुकी थी और पुलिस भी अब पूजा को ढूंढते-ढूंढते थक चुकी थी। अब जांच का काम भी हल्का पड़ने लगा था, लेकिन पूजा की मां अभी भी इस उम्मीद में बैठी थी कि पूजा मिल जाएगी। दूसरी तरफ रवि ने अपना मुंह नहीं खोला था पुलिस भी उसे पूजा के कमरे में अकेला छोड़कर नीचे चली गई थी। 1 घंटे हो चुके थे और कोई भी उसकी खोज-खबर लेने नहीं आया था, तभी रवि अपनी जगह से घायल हालत में लड़खड़ाते हुए उठा.. वह कमरे से उठकर सीधा बाथरूम में जा रहा था, तभी सिपाही वहां पहुंच गया…
कहां जा रहा है– रवि ने हाथ से इशारा किया, बाथरूम की तरफ..ये देखकर सिपाही वहां से मुड़ गया और वापस नीचे चला गया। रवि अब 13वें फ्लोर पर अकेला था..वह बाथरूम में गया और उसने अंदर से बाथरूम बंद कर लिया..इसके बाद वह अपना खून से सना मुंह पानी से धो रहा था। तभी बाथरूम से कुछ आवाज आई.. रवि दर्द भरी आंखें, अचानक से तेज हो गई,.. उसने मौका देखा और बाथरूम की टाइल्स हटाई..
3 से 4 टाइल्स हटाने के बाद एक अंदर दीवार में बक्सा रखा था.. उसने धीरे से बक्सा खोला.. बक्सा खोलते ही उसने पूजा का हाथ पकड़ा.. और बोला… तेरी वजह से मैंने इतनी मार खाई है, अगर तू शांत नहीं रही, तो तेरा मैं बुरा हाल कर दूंगा.. तभी बाथरूम के बाहर पुलिस पहुंच गई.. रवि. दरवाजा खोल.. रवि ने कहराते हुए कहा.. आ रहा हूं… सिपाही ने फिर कहा.. मैंने बोला दरवाजा खोल, वरना मैं दरवाजा तोड़ दूंगा। रवि को कुछ समझ नहीं आ रहा था .. वह जल्दी जल्दी बक्स बंद करके वापस टाइल्स में बक्से को डालकर दीवार बंद कर रहा था.. उसके हाथ कांप रहे थे।

पूजा आवाज कर रही थी,, लेकिन क्या ही कर सकते थे.. सिपाही ने गुस्से में आकर दरवाजा तोड़ दिया..अगले ही पल सिपाही ने गुस्से में दरवाजा तोड़ दिया। तुरंत रवि टॉयलेट सीट पर बैठ गया और पेट दर्द का नाटक करने लगा। मौका मिलते ही वह पूजा को फिर से दीवार के अंदर बंद कर चुका था। सिपाही ने चारों ओर नजर दौड़ाई। किससे बात कर रहा था?
क… किसी से नहीं, सर, रवि बोला।
मैंने तुझे बात करते सुना है, सिपाही ने शक भरी नजर से कहा।
नहीं सर, मैं किसी से बात नहीं कर रहा था, रवि ने दोहराया।
सिपाही ने पूरा बाथरूम चेक किया- टॉयलेट, नल, दीवारें, उसे लगा शायद रवि फोन पर किसी से बात कर रहा था, लेकिन कोई सबूत नहीं मिला।
फिर भी, जाते-जाते सिपाही एक पल के लिए रुका।
उसने फर्श पर कुछ मिट्टी गिरी हुई देखी, वह झूकने जा रहा था,
तभी रवि पेट दर्द का नाटक करने, लगा।
आह..मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊंगा।
सिपाही ने रवि की तरफ शक भरी नजरों से देखा।

सिपाही ने कहा- चल अंदर, बेड पर लेट जा।
सिपाही भले ही बाथरूम से बाहर आ गया था.. लेकिन अभी भी उसे बाथरूम में कुछ गड़बड़ ल ग रही थी। सिपाही ने रवि को अकेला छोड़कर जाते हुए बोला, मैं दवाई लेकर आता हूं।
रवि ने सिर हिलाते हुए फिर नाटक किया.. बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज जल्दी आना।
सिपाही नीचे आते ही सबसे पहले सीनियर इंचार्ज के पास पहुंच गया।
उसने कहा- सर, पूजा के बाथरूम में कुछ गड़बड़ है। टाइल्स बाकी जगह से अलग लग रही हैं।
रवि वहां किसी से बात कर रहा था। इंस्पेक्टर ने कहा- तो तुमने चेक किया।
सिपाही- नहीं सर, मुझे अचानक कुछ भी करना ठीक नहीं लगा। वो कुछ भी कर सकता था। इसलिए मैंने उसे ऐसा दिखाया, जैसे मैंने उसकी बात पर भरोसा कर लिया है।
ठीक किया तुमने, इंस्पेक्टर ने धीमी लेकिन सख़्त आवाज में कहा, अगर वहां कुछ है, तो वो घबराहट में कोई गलती जरूर करेगा। इंस्पेक्टर ने तुरंत इशारे से दो सिपाहियों को बुलाया। बिना शोर किए ऊपर चलो। किसी को भनक नहीं लगनी चाहिए। तीनों चुपचाप सीढ़ियां चढ़ रहे थे। ऊपर बाथरूम के पास पहुंचते ही सब रुक गए। रवि फिर से बाथरूम में था। उसके हाथ में इंजेक्शन था और वह दीवार के पास झुका हुआ था- वह पूजा को नींद का इंजेक्शन देने की कोशिश कर रहा था, ताकि वह शांत रहे और कोई आवाज बाहर न आए।

इंस्पेक्टर ने सिपाही की ओर देखा। धीमी आवाज में बोला, किससे बात कर रहा है ये? सिपाही का शक अब पूरी तरह यक़ीन में बदल चुका था। अचानक पूजा की धीमी-सी कराह सुनाई दी- मत… मत करो… इंस्पेक्टर ने बिना एक पल गंवाए दरवाजा लात मारकर खोला। रवि! वहीं रुक जा! रवि घबरा गया। इंजेक्शन उसके हाथ से गिरकर फर्श पर टूट गया। वह पीछे हटने लगा, सर… मैं तो बस- बस एक कदम भी नहीं, इंस्पेक्टर ने सख्त आवाज में कहा। सिपाहियों ने तुरंत रवि को पकड़ लिया। उसके हाथ पीछे मोड़ दिए गए।
पूजा बेहोशी की हालत में थी, आंखें बंद और शरीर सुन्न। इंस्पेक्टर ने राहत की सांस ली। एम्बुलेंस बुलाओ… अभी! तुरंत पूजा को उठाकर सिपाही बिल्डिंग से नीचे भागने लगे। हट जाओ, हट जाओ, पूजा की मां ने जैसे ही अपनी बेटी को देखा, वह पागलों की तरह सिपाही के पीछे भागने लगी… मेरी बेटी पूजा..
मेरी बेटी पूजी ठीक है न… सभी सिपाही बिना देर किए, पूजा को एंबुलेंस की तरफ लेकर जा रहे थे..दूसरी तरफ बिल्डिंग के लोग भी.. उनके पीछे-पीछे जा रहे थे। रवि को अरेस्ट कर लिया गया था। वहीं एंबुलेंस में पूजा का इलाज जा रहा था..पूजा की मां को एंबुलेंस के बाहर ही इंतजार करने को कहा गया था..एंबुलेंस के अंदर पूजा का इलाज शुरू हो चुका था। डॉक्टर उसकी नब्ज और सांसें चेक कर रहे थे।
ऑक्सीजन दो, ब्लड प्रेशर बहुत लो है। पूजा की मां को एंबुलेंस के बाहर ही रोक दिया गया। मां जी, आप यहीं रुकिए, सिपाही ने समझाते हुए कहा, अंदर डॉक्टर इलाज कर रहे हैं। पूजा की मां एंबुलेंस के दरवाजे से आंखें नहीं हटा पा रही थीं। उनके हाथ कांप रहे थे, होंठ बुदबुदा रहे थे।

हे भगवान… मेरी बेटी को बचा लेना… सायरन की आवाज गूंज उठी। एंबुलेंस आगे बढ़ने लगी।
पूजा की मां वहीं खड़ी रह गईं- आंखों में आंसू, दिल में डर,और बस एक ही दुआ…कि उनकी बेटी जिदा लौट आए। तभी एक आदमी ने कहा- चलो माजी मैं आपको अस्पताल ले चलता हूं.. अस्पताल पहुंचते ही पूजा को सीधे आईसीयू में ले जाया गया। डॉक्टरों की टीम पहले से तैयार थी। ऑक्सीजन, ड्रिप, इंजेक्शन-इलाज तुरंत शुरू हो चुका था।

कुछ घंटों बाद डॉक्टर बाहर आए। खतरा टल गया है। अगर थोड़ी देर और हो जाती, तो हालात बहुत बिगड़ सकते थे।
यह सुनते ही पूजा की मां फूट-फूटकर रो पड़ीं। आज पुलिस की वजह से उनकी बेटी की जान बची थी।
दूसरी तरफ थाने में रवि से सख्त पूछताछ शुरू हो चुकी थी। रवि कुछ देर चुप रहा। फिर उसकी आवाज टूटने लगी। सर… मैं पूजा से प्यार करता था। लेकिन वो मुझे सिर्फ दोस्त मानती थी। उसने सिर झुका लिया। जब उसने कहां कि वह किसी और से शादी कर लेगी, लेकिन मुझसे नहीं करेगी, तो मेरा दिमाग खराब हो गया था।
मुझे लगा, अगर वो मेरी नहीं हो सकती… तो किसी की भी नहीं होनी चाहिए। इंस्पेक्टर की आवाज और सख्त हो गई। इसलिए तुमने उसे कैद किया?
मैं बस उसे रोकना चाहता था, सर, रवि बोला, मैं चाहता था वो मेरी बात सुने… समझे कि मैं उसके बिना नहीं जी सकता। पुलिस ने कहा अगर ऐसे ही करोगे, तो तुम्हारे साथ कभी भी कोई लड़की नहीं आने वाली और उसे जेल में कैद कर लिया गया।
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