image

कॉलोनियल किचन में कैसे पैदा हुई एंग्लो-इंडियन क्विजीन? शायद ही आप जानती हों एक अनोखे स्वाद की कहानी

एंग्लो-इंडियन खाने के बारे में सभी ने सुना होगा, लेक‍िन क्‍या आप जानती हैं क‍ि ये कहां से आई? ये एक अनोखी कहानी है जो भारत में ब्रिटिश राज के दौरान शुरू हुई थी। जब भारतीय और ब्रिटिश खाना पकाने के तरीके आपस में मिले, तो एक बिल्कुल नया और स्वादिष्ट स्वाद पैदा हुआ। इसे ही 'एंग्लो-इंडियन क्विजीन' कहते हैं, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो।
Editorial
Updated:- 2025-12-25, 10:02 IST

जब ब्रिटिश भारत आए, तो उन्होंने सिर्फ अपने कपड़े, कागज और बंदूकें नहीं लाई थीं, बल्कि अपना खाना भी साथ लेकर आए थे। उन्हें वो खाना चाहिए था जो उन्हें अपने घर में मिलता था, लेकिन भारतीय मसालों और रसोइयों की कला ने धीरे-धीरे उनके खाने का स्वाद ही बदल दिया। कुछ इसी तरह एंग्लो-इंडियन क्विजीन बन गई। ये कोई महल या दरबार की रेसिपी नहीं थी, बल्कि रोजमर्रा के खाने और तालमेल का नतीजा थी।

ब्रिटिशर्स स्ट्यू, पाई और पुडिंग पसंद करते थे, लेकिन भारतीय सामग्री और खांसामों ने इन व्यंजनों को नया रूप दे दिया। ग्रेवी में मसाले जुड़ गए, चावल ने आलू की जगह ले ली और चटनी ठंडे मांस के साथ सर्व की जाने लगी। इसी तरह धीरे-धीरे इन ड‍िशेज की अलग पहचान बन गई।

anglo indian cuisine history (2)

क्‍या है एंग्लो-इंडियन क्विजीन?

ये एक तरह का फ्यूजन फूड है, जिसमें भारतीय मसालों का स्वाद और ब्रिटिश स्टाइल का खाना पकाने का तरीका एक साथ मिलते हैं। ये खाना मुख्य रूप से उन भारतीय परिवारों का हिस्सा रहा जो ब्रिटिश लोगों के साथ काम करते थे या जिनके परिवार में भारतीय और ब्रिटिश दोनों देशों के लोग थे।

इसे भी पढ़ें: विश्व के इन फेमस शहरों के नाम पर रखे गए इन डिशेज के नाम, आपकी इनमें से कौन-सी है पसंदीदा? 

कहां से आया करी?

‘करी’ शब्द खुद ही इसका उदाहरण है। ये तमिल शब्द करी से आया है, जिसका मतलब सॉस होता है। ब्रिटिशर्स के लिए हर मसालेदार डि‍श करी कहलाने लगा। खांसामों ने मसालों को हल्का किया और कभी-कभी आटा, क्रीम या नारियल मिलाकर ग्रेवी का टेक्‍सचर और बढ़‍िया क‍िया। इस तरह इंड‍ियन टेस्‍ट बना रहा। चावल या ब्रेड के साथ सर्व की जाने वाली ये करी एंग्लो-इंडियन खाने का खास हिस्सा बन गई।

क्‍या है केड‍िग्री की कहानी?

केड‍िग्री एंग्लो-इंडियन कहानी का अच्छा उदाहरण है। ये भारतीय खिचड़ी से बनी, जिसमें मछली और उबले अंडे डालकर ब्रिटिशर्स के नाश्ते के लिए तैयार की जाती थी। ये खाने में स्‍वाद‍िष्‍ट तो थी ही, स्‍वाद‍िष्‍ट भी थी। बाद में ये ड‍िश इंग्लैंड तक पहुंचा।

anglo indian cuisine history (1)

रेलवे और क्लब किचन की भूम‍िका

एंग्लो-इंडियन व्यंजन रेलवे कैंटीन और कॉलोनियल क्लबों में भी बने। बड़े पैमाने पर ब्रिटिश लोगों को खाना देने के लिए खांसामों ने ऐसे व्यंजन बनाए जो स्वाद से भरपूर और आसानी से ले जाने वाले हों। पेपर वॉटर, कटलेट और मसालेदार मल्लिगाटॉनी सूप इन जगहों पर काफी ज्‍यादा पसंद क‍िए गए। मल्लिगाटॉनी का नाम तमिल मिलागु थानी से आया यानी काली मिर्च वाला पानी।

खाने में संस्कृति और पहचान

एंग्लो-इंडियन कम्‍युन‍िटी के लिए खाना उनकी पहचान का हिस्सा बन गया। कटलेट, करी, रोस्ट और राइस, पुडिंग और पायां, ये सब उनके दोहरे सांस्कृतिक अनुभव का प्रतीक हैं। ब्रिटिश चले गए, लेकिन ये व्यंजन परिवारों और कुछ रेस्टोरेंट में आज भी बनाए जाते हैं।

एंग्लो-इंडियन खाना दिखाता है कि कैसे खाना नई जगहों में बदलता है और फिर भी अपनी जड़ें नहीं भूलता। खिचड़ी से केजरी, रसम से मल्लिगाटॉनी ये व्यंजन इतिहास को अपने स्वाद में ज‍िंदा रखते हैं।

इसे भी पढ़ें: मेहमानों के आने पर नाश्ते के लिए बनाएं यूपी की स्पेशल चंदिया डिश, स्वाद ऐसा कि लोग मांगेंगे बार-बार ये रही रेसिपी

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से।

यह विडियो भी देखें

Herzindagi video

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।