क्या आपको पता है कि आखिर इसे चंद्रकला क्यों कहा गया? इस मिठाई का नाम चंद्रकला इसलिए रखा गया क्योंकि इसका आकार चंद्रमा की तरह गोल होता है। ऐसा माना जाता है कि इसे मुगलकाल से भी पहले से बनाया जा रहा है।
कहते हैं कि गुजिया का उल्लेख सबसे पहले उत्तर भारत की पारंपरिक मिठाइयों में मिलता है, जो खासतौर पर होली और दिवाली जैसे त्योहारों पर बनाई जाती थी।
माना जाता है कि इसका मूल दक्षिण एशिया की अन्य भरवां मिठाइयों जैसे मोदक और करंजी से जुड़ा हुआ है। चंद्रकला गुजिया मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में बनाई जाती है, लेकिन अब इसकी लोकप्रियता पूरे भारत में फैल चुकी है।
इसकी खास बात यह है कि सामान्य गुजिया की तरह यह आधे चंद्रमा के आकार की नहीं होती, बल्कि इसे पूरी तरह सील कर दिया जाता है, जिससे यह एक गोल, परतदार और कुरकुरी मिठाई बन जाती है। आइए अब इसकी रेसिपी जानते हैं।
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आइए आपको आज चंद्रकला गुजिया बनाना सिखाएं
एक बर्तन में मैदा लें, उसमें घी डालकर अच्छी तरह मिलाएं।
दूध की मदद से नरम आटा गूंथ लें और 10 मिनट के लिए ढककर रख दें।
रेडीमेड खोया को हल्का भून लें और उसमें पिसी चीनी, कटे हुए मेवे और इलायची पाउडर मिला दें।
लोइयां बेलकर पूरी का आकार दें। इसमें फिलिंग भरें और किनारों को पानी लगाकर दबाएं और फोर्क से डिजाइन दें।
कड़ाही में तेल गर्म करें और गुजिय डालकर गोल्डन ब्राउन होने तक तल लें।
चीनी और पानी को मिलाकर 1 तार की चाशनी बना लें। तली हुई गुजिया को 1 मिनट के लिए चाशनी में डालें और फिर बाहर निकाल लें।
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