HZ Exclusive: 1947 बंटवारे का दंश जिसने नफरत नहीं प्यार करना सिखा दिया, अंजली गोपालन की कहानी उनकी जुबानी

अंजली गोपालन जो पूरी दुनिया में अपने काम के कारण जानी जाती हैं Herzindagi से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपनी कहानी साझा कर चुकी हैं। 

anjali gopalan women's day

अंजली गोपालन... वो नाम जिसने कई लोगों की जिंदगी बदली है, जिसने अपनी पूरी जिंदगी लोगों की सेवा में निकाल दी। आज हम अंजली गोपालन को एक मिसाल के तौर पर जानते हैं जो अपना हर काम इंसानियत के लिए करती हैं। अंजली गोपालन वो शख्सियत हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकतर हिस्सा LGBT कम्युनिटी राइट्स, सेक्शुअल राइट्स, एनिमल राइट्स और HIV के साथ जी रहे लोगों के लिए काम करके निकाला है। Women's Day 2020 के अवसर पर हम आपको आज मिलवाते हैं अंजली गोपालन से जो लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।

अंजली गोपालन ने 1994 में Naz Foundation (India) Trust की स्थापना की थी। ये ऑर्गेनाइजेशन उस समय HIV/AIDS के मरीजों की मदद करता था। 1996 में अंजली की मदद से ही दिल्ली का पहला HIV क्लीनिक खुल पाया था। अंजली जी ने 2001 में समलैंगिकता को अपराध माने जाने के खिलाफ एक PIL दायर की थी। ये सालो पुराने उस कानून के खिलाफ थी जिसने कई लोगों की जिंदगी उजाड़ी थी और देश के कई नागरिकों को खुलकर जीने की आजादी नहीं दी थी। इस कानून के कारण कई लोगों को प्रताड़ित किया जाता था।

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2007 में अंजली को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की तरफ से Woman Achiever अवॉर्ड मिला था। इतना ही नहीं 2013 में उन्हें Chevalier de la Legion d’Honneur अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया जो फ्रांस के सबसे बड़े अवॉर्ड्स में से एक हैं। ये अवॉर्ड उन्हें एनिमल एक्टिविज्म के लिए मिला था। 2012 में अंजली ने All Creatures Great and Small (ACGS) नाम से एक NGO भी खोला था जो सभी जानवरों के अधिकारों के लिए लड़ता है। अंजली जी को टाइम मैग्जीन की 100 most influential people in the world की लिस्ट में भी शामिल किया गया था।

1957 में जन्मी अंजली ने भारत और अमेरिका दोनों जगह पढ़ाई की है। सिर्फ भारत में ही नहीं अंजली ने अमेरिका में भी लोगों की भलाई के लिए काम किया है। न्यू यॉर्क में करीब 1 दशक तक अंजली ने एक ऑर्गेनाइजेशन के साथ काम किया जहां वो साउथ-ईस्ट एशिया से आए प्रवासियों की मदद करती थीं। अंजली के बारे में कहने को तो बहुत कुछ है, लेकिन क्या आप जानती हैं कि अंजली ने अपने काम की शुरुआत कैसे की? कैसे उन्हें प्रेरणा मिली इसे करने की? पढ़िए अंजली गोपालन का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू।

सवाल: आपको लोगों की मदद करने की प्रेरणा कैसे मिली?

जवाब:

मुझे बहुत पहले से ही पता था कि मुझे लोगों की मदद करनी है। मैं कॉलेज में थी और मेरी एक फ्रेंड भी मेरे साथ थी। अचानक नाना-नानी की बात चली। मेरी दोस्त ने मुझसे उनके बारे में पूछा। मैंने कहा वो पहले ही मर चुके हैं। मेरी मां वहां बैठी थी और वो अचानक मुड़ीं और उन्होंने कहा, 'मेरे माता-पिता का कत्ल हो गया था पार्टीशन के समय मेरे सामने', मैंने पूछा आपने मुझे कभी ये बताया क्यों नहीं तो उनका जवाब था कि ये बताने वाली बात नहीं है। मैं शॉक में थी क्योंकि उनके कई मुस्लिम दोस्त थे और वो काफी अच्छे से उनसे बात करती थीं।

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नफरत नहीं प्यार का संदेश...

अंजली ने अपनी बातों से ही नफरत नहीं प्यार का संदेश दिया और ऐसा इसलिए क्योंकि उनकी मां ने उन्हें उस दिन एक सीख दी थी। अंजली ने कहा, 'मैंने अपनी मां से कहा कि अगर मेरे साथ ऐसा कुछ होता तो मैं कभी भूल नहीं पाती, तब मेरी मां ने कहा कि, 'ये आखिरी बार है जब मैं ऐसा कुछ सुन रही हूं। जिन्होंने मेरी देखभाल की थी वो भी मुसलमान था, ये हमेशा याद रखो कि ये दो तरफा था, ये किसी धर्म विशेष का नहीं था' मां की ये बात मुझे हमेशा याद रह गई और तब मैंने सोचा कि हां, लोगों को किसी कारण से भी जज करना सही नहीं है। ये इंसानियत नहीं। जहां मैंने लोगों को जज करना छोड़ा वही मेरी जिंदगी में एक अहम मोड़ था।'

माता-पिता का रोल बहुत जरूरी...

अंजली आगे कहती हैं, 'अगर उस दिन मेरी मां कह देतीं कि ये बहुत गलत हुआ तो शायद आज मैं वो नहीं होती जो मैं हूं। माता-पिता का बच्चों के विकास में अहम रोल होता है और ये बात उस दिन साबित हो गई।'

सवाल: आपने कई लोगों की जिंदगी में बदलाव लाया है, आप कई लोगों के लिए प्रेरणा हैं, क्या ऐसा कोई मौका था जब आपके सामने मुश्किल खड़ी थी या आप किसी बात से निराश हो गई थीं?

जवाब:

अंजली ने कहा, 'बिलकुल 2009 में जब हाईकोर्ट का जजमेंट सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया तब मेरी जिंदगी में निराशा आ गई थी। मुझे लगा कि इतने जबरदस्त जजमेंट को सुप्रीम कोर्ट ने कैसे नहीं माना? वो मेरी जिंदगी के काफी खराब पलों में से था।'

सवाल: कोई ऐसा मौका आया जब आपको लगा कि मैं तो ये कर रही हूं, लेकिन लोग नहीं जुड़ रहे हैं मेरी कोशिशें खराब हो रही हैं?

जवाब:

अंजली कहती हैं, 'नहीं ऐसा कोई मौका नहीं आया जब मैंने पीछे पलटने के बारे में सोचा। हां, ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें मिलकर आप शॉक हो जाती हैं कि ऐसे लोग भी होते हैं, लेकिन ऐसे लोग भी मिलते हैं जो अपनी खुशी से जुड़ना चाहते हैं और समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। अगर आप कुछ करने की ठान लें तो लोग अपने आप जुड़ते चले जाते हैं।'

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सवाल: हमारे रीडर्स को आप क्या मैसेज देना चाहेंगी?

जवाब:

इस सवाल का जवाब था, 'मैं उनसे ये कहना चाहूंगी कि कभी खुद को अबला मत मानिए। ये मानकर चलिए अगर समाज में बदलाव आएगा तो औरतों की वजह से ही आएगा। कभी मत सोचिए कि आप कुछ नहीं कर सकती हैं। अगर हम अपने बेटों को कोई अच्छी शिक्षा देंगे तो समाज भी बदलेगा।'

अंजली जी के दोनों NGO से अगर आप जुड़ना चाहें तो इनकी वेबसाइट पर जाकर जुड़ सकते हैं। इसके अलावा, दोनों NGO के इंस्टाग्राम, फेसबुक पेज भी हैं जिनसे जुड़कर आप भी लोगों की मदद कर सकती हैं।

All Photo Credit: allcreaturesgreatandsmallindia Instagram Account/ naz_foundation Instagram Account/ Facebook

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