बिना किसी कंजूसी के गरीब बच्चों और महिलाओं के साथ बांटती हैं अपनी खुशियां, ऐसी हैं सिमरन प्रीत कौर

आज तक मैंने कई लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए तमाम कोशिशें करते देखा है लेकिन आज मैं एक ऐसी खूबसूरत महिला से मिली हूं जो दूसरों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए तमाम जत्न कर रही हैं।

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आज तक मैंने कई लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए तमाम कोशिशें करते देखा है लेकिन आज मैं एक ऐसी खूबसूरत महिला से मिली हूं जो दूसरों को उनकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए तमाम जत्न कर रही हैं। ना जाने कितने बच्चे और कितनी महिलाएं होंगी जो आज अपनी जिंदगी में मुस्कुराते हैं तो इन्हीं की वजह से। मैं जिस खूबसूरत महिला के बारे में बात कर रही हूं वो हैं सिमरन प्रीत कौर, इनसे मिलकर समझ में आता है कि तन और मन दोनों की सुंदरता होने का क्या मतलब होता है।

सिमरन प्रीत कौर उन लोगों में से एक हैं जिन्हें भगवान ने तमाम खुशियां दी और उन्हीं खुशियों को उन्होंने गरीब बच्चों और महिलाओं के साथ बांट लिया।

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कई महिलाओं की जिंदगी में भर दिएखुशियोंके रंग

रैन बसेराऔर स्लम में रहने वाली ऐसी महिलाएं जो दिन-रात घर का काम भी करती और रात को पति की मार भी सहती उन्हें रोजगार देने के साथ-साथ उनको खुलकर जिंदगी जीना भी सिखाया। लगभग आज से 8 साल पहले सिमरन प्रीत कौर ने जीके वन में अपने घर से ही गरीब बच्चों को पढ़ाने और उनकी माताओं को आत्मनिर्भर बनाने की शुरुआत की।

सिमरन ने ‘Pins and Needles’ नाम से एक ऐसी संस्था की शुरुआत की जहां स्लम और नैन बसेरा में रहने वाली महिलाओं को रोजगार मिलता है। शुरुआती दिनों में सिमरन ने उन्हें सिलाई करना सिखाया फिर धीरे-धीरे उन्हें कपड़ों पर एम्ब्रोडरी करना भी सिखाया।

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सिमरन अपने परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों से पुराने कपड़े, चादर और पर्दे इकट्ठा कर उनसे बैग बनाना महिलाओं को सिखाती हैं जिसके बाद महिलाएं उन्हें बनाकर देती हैं और वो उन्हें मार्केट में बेच उससे जो पैसे आते हैं उन्हीं के बीच बांट देती हैं। सिमरन प्रीत कौर की वजह से आजरैन बसेरा और स्लम में रहने वाली कई महिलाएं महीना का 7 से 8 हजार के बीच कमाने लगी हैं और इस कमाई से ज्यादा जो महत्व रहता है वो है इन महिलाओं का आत्मनिर्भर बनना। आज ये महिलाएं केवल कपड़े के बैग ही नहीं बल्कि शादी में इस्तेमाल की जाने वाले पौटली बैग, कपड़ों पर एम्ब्रोडरी, क्रोशिया से कई तमाम चीजें बना रही हैं।

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हाल ही में उनकी संस्था से जुड़ी किसी महिला ने स्कूटी तो किसी ने अपने बच्चों के लिए कई गिफ्ट्स लिए उन्हें ऐसा करता देख सिमरन को लगता है कि उन्हें उनकी मंजिल मिल गई और इसी में सिमरन को अपनी मंजिल दिखाई देती है।

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सिमरन प्रीत कौर का कहना है, “जब आप नेकी के रास्ते पर चलते हैं तो आपको सफर में आपके जैसे लोग जरूर मिल जाते हैं जैसे मुझे गुरप्रीत सिंह टिक्कू मिले। वो हमारी संस्था से जुड़ी महिलाओं की मदद के लिए हमेशा एम्ब्रोडरी का ऑर्डर देते रहते हैं।‘

बच्चों के चेहरे से नहीं हटने देती मुस्कान

गरीब बच्चों की एक मुस्कान के लिए सिमरन प्रीत कौर ऐसे तमाम जत्न करती हैं मानों वो उन्हीं के परिवार का एक हिस्सा हो। स्लम एरिया में कभी उन्हें जाकर पढ़ाना तो कभी उन्हें अपने घर एक गेस्ट की तरह बुलाकर उनकी अच्छे से खातिरदारी करने में सिमरन को एक अलग सा सुकून मिलता है जिसे वो असली खुशी कहती हैं।

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सिमरन ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “जब आप कोई अच्छा काम करते हैं तो बदले में आपको अच्छाई जरूर मिलती है। कई मासूम बच्चों और महिलाओं की ही दुआएं हैं कि आज मेरे दोनों बच्चे यूएस में अच्छे से पढ़-लिख रहे हैं।“

यही है सिमरन प्रीत कौर की जिंदगी की खासियत।

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