वक्त से कहीं आगे रही है डॉक्टर अंजलि मालपानी की सोच, 90 के दशक में खोला था पहला स्पर्म बैंक

महिलाएं अगर कुछ करने की ठान लें, तो लाख आंधी-तूफानों का सामना करने भी नहीं डरती हैं। 90 के दशक में पहला स्पर्म बैंक खोलने वाली डॉक्टर अंजलि मालपानी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

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महिलाएं शक्ति का दूसरा नाम हैं या इसे अगर इस तरह कहा जाए कि महिलाओं में शक्ति समाई हुई है, तो गलत नहीं होगा। महिलाओं की सोच को, उनके ख्वाबों को, उनकी ताकत को, उनकी पहचान को दबाने की न जाने कितनी कोशिश की गईं, लेकिन महिलाएं हर बार पहले से भी ज्यादा ताकतवर होकर सामने आईं।

हमारे समाज ने कई आधार पर महिलाओं को पुरुषों से कमतर आंका, उन्हें बताने की कोशिश की कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, लेकिन महिलाओं ने हमेशा हर पैमाने पर खुद को पुरुषों के बराबर नहीं, बल्कि उनसे बेहतर साबित करके दिखाया।

जब भी समाज ने महिलाओं से उसके हिस्से की जमीन छीननी चाही, उन्हें दायरे में रहना सिखाया, महिलाओं ने बता दिया कि उनके हिस्से में पूरा आसमान है और उस आसमान में पंख फैलाने को वे पूरी तरह से तैयार हैं। हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' कैंपेन के तहत हम आपके लिए ऐसी ही महिलाओं की कहानी लेकर आएंगे, जो पितृसत्तामक सोच के खिलाफ लड़ रही हैं। इस सीरीज में चलिए आज जानते हैं डॉक्टर अंजलि मालपानी की कहानी, जिनकी सोच वक्त से कहीं आगे रही और जिन्होंने 90 के दशक में पहला स्पर्म बैंक खोला।

कौन हैं डॉक्टर अंजलि मालपानी?

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डॉक्टर मालपानी ने उस वक्त इंडिया का पहला स्पर्म बैंक खोला, जब इन सब चीजों के बारे में बात करना भी टैबू समझा जाता था। कई महिलाएं मां न बन पाने के कारण, डिप्रेशन की भी शिकार हो जाती थीं और अपनी जिंदगी खत्म करने जैसे ख्याल भी उनके मन में आने लगते थे। ऐसे में उन्होंने अपने करियर के शुरू में ही यह तय कर लिया था कि वह रिप्रोडक्टिव ट्रीटमेंट को भारत में आम लोगों के बजट में लाकर रहेंगी। डॉक्टर मालपानी ने TRIES, SIGHS AND LULLABIES नाम से एक किताब भी लिखी है, जिसमें उन्होंने कपल्स की इनफर्टिलिटी से जुड़ी कुछ सच्ची कहानियों के बारे में बात की है।

वक्त से काफी आगे रही है डॉक्टर अंजलि मालपानी की सोच

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डॉक्टर अंजलि ने इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट के तौर पर करियर शुरू करने को अपना मकसद बनाया। उस वक्त तक इंडिया में इसके लिए कोई ट्रेनिंग फैसिलिटी एविलेवल नहीं थी। इसलिए उन्हें अपनी 1 साल की बेटी को छोड़कर विदेश जाना पडा और वहां उन्होंने सारी ट्रेनिंग ली। इंडिया वापिस आने के बाद 1990 में उन्होंने मालपानी इनफर्टिलिटी क्लीनिक शुरू की और इसके बाद से उनके ट्रीटमेंट के जरिए करीब 15 हजार कपल्स की गोद भर चुकी है।

डॉक्टर मालपानी के नाम हैं कई रिकॉर्ड्स

1990 में पहला स्पर्म बैंक शुरू करने के अलावा भी डॉक्टर मालपानी के नाम कई रिकॉर्ड्स हैं। उन्होंने एम्ब्रियो अडॉप्शन के जरिए भारत में पहली बार प्रेग्नेंसी प्लान (प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले लाइफस्टाइल में बदलाव) करवाई। इसके अलावा, TESE-ICSI, GIFT जैसी रिप्रोडक्टिव तकनीकों से पहली बार भारत में प्रेग्नेंसी प्लान करवाई। उन्होंने इनफर्टाइल कपल्स को सपोर्ट करने के लिए 1997 में भारत का पहला सपोर्ट ग्रुप भी शुरू किया था। इसके अलावा उन्होंने कपल्स के लिए इंडिया की पहली वेबसाइट और एप की भी शुरुआत की थी।

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विकी डोनर फिल्म से है खास कनेक्शन

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डॉक्टर अंजलि मालपानी का आयुष्मान खुराना की फिल्म 'विकी डोनर' से खास कनेक्शन है। शूजित सरकार की इस फिल्म में डॉक्टर अंजलि और उनके पति अनिरुध्द मालपानी सलाहाकार थे। फिल्म में अन्नू कपूर का किरदार, डॉक्टर अनिरुध्द मालपानी के इर्द-गिर्द ही बुना गया था। इस बारे में बात करते हुए डॉक्टर अंजलि कहती हैं, ‘’शूजित सरकार ने फिल्म के लिए काफी होमवर्क किया था। वह जानते थे कि हमारा स्पर्म बैंक, इंडिया का पहला स्पर्म बैंक और इनफर्टिलिटी को ट्रीट करने में हमारी क्लीनिक का रिकॉर्ड बाकी क्लीनिक से काफी अच्छा है। वह हमारी क्लीनिक में काफी वक्त तक आकर बैठा करते थे और चीजों को बारीकी से समझने की कोशिश करते थे।’’

खुशकिस्मती से मिला सबका साथ

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क्या स्पर्म बैंक खोलने और इस काम को करने में उन्हें किसी तरह की चुनौतियों या फिर समाज के तानों का सामना करना पडा, इस बारे में बात करने पर डॉक्टर अंजलि ने बताया 'मैं खुशकिस्मत रही हूं कि मेरे काम को मेरी फैमिली, पेशेंट्स, साथी डॉक्टर्स, प्रेस और पब्लिक से हमेशा सराहना मिली। मेरा मानना है कि आपको हमेशा अपने पैशन को फॉलो करना चाहिए। '

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महिलाओं के लिए खास संदेश

जिन महिलाओं को कंसीव करने में परेशानी आ रही है, मेरा उनसे यही कहना है कि उन्हें इस बात को छिपाने की जरूरत नहीं है। इनफर्टिलिटी, डायबिटीज और दिल की बीमारी की तरह ही एक मेडिकल डिसऑर्डर है। यह कोई शर्म की बात नहीं है। मैं उन महिलाओं से यही कहना चाहूंगी कि उन्हें उम्मीद बनाए रखनी चाहिए। आज के समय में टेक्नोलॉजी ने काफी तरक्की की है और लगभग हर कपल के लिए मां-बाप बनने का सपना सच हो सकता है। करियर की वजह से या फिर और कई कारणों के चलते आजकल महिलाएं शादी और मां बनने में देरी कर रही हैं। फर्टिलिटी के चांसेज 30 की उम्र के बाद कम होना शुरू हो जाते हैं। ऐसे में जो महिलाएं बच्चा नहीं करना चाहती हैं, उन्हें 30-35 की उम्र के बीच एग फ्रीज करवा लेना चाहिए। इसके अलावा, स्ट्रेस से दूर रहना और पॉजिटिव रहना भी महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है।

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हरजिंदगी के 'शक्ति रूपेण संस्थिता' कैंपेन में हम आपके लिए ऐसी ही महिलाओं की कहानी लेकर आएंगे, जिन्होंने पितृसत्तामक सोच के खिलाफ लड़ाई लड़ी, अपनी एक पहचान बनाई और समाज के सामने एक मिसाल कायम की।

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