ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
ये दो लाइन्स राजस्थान की इस बालिका वधु पर काफी सही बैठती हैं। Normally जब लड़कियों की शादी हो जाती है तो उनका पढ़ाई-लिखाई से रिश्ता टूट जाता है। और जब बचपन में ही किसी की शादी हो जाए तो शायद ही वो कभी पढ़ने के बारे में सोचे। लेकिन कुछ लोग exceptional होते हैं इसलिए वे समाज के लिए example बनते हैं।
ये कहानी है 20 साल की रूपा यादव की जो राजस्थान की रहने वाली हैं। जब वे केवल 8 साल की थी और तीसरी कक्षा में पढ़ती थी तब ही इनकी शादी कर दी गई। लेकिन गौना नहीं हुआ था। जब 10वीं में पहुंची तो गौना हुआ। लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी और ससुराल आकर भी पढ़ते रही। रूपा को पढाई करनी थी क्योंकि उनका डॉक्टर बनने का सपना था। बिल्कुल बालिका वधु की आनंदी टाइप स्टोरी नहीं लगती आपको ! खैर बालिक वधु की आनंदी सरपंच बनी थी लेकिन रूपा डॉक्टर बनने वाली है। इस साल इन्होंने NEET की परीक्षा पास की है और अभी मेडिकल की पढ़ाई कर रही है।
रूपा NEET की परीक्षा पास कर लाखों-करोड़ों महिलाओं के लिए मिसाल बन गई। मिसाल उनके लिए जिनके पास सबकुछ फिर भी कुछ नहीं करती। और हौसला उन महिलाओं का जिनकी परिस्थितियां कठिन है लेकिन इरादे पक्के हैं।
रूपा ने सीबीएसई के नेशनल एंट्रेंस एलिजिबिल्टी टेस्ट (NEET) में 603 अंक प्राप्त किए हैं। राजस्थान की बहू अगले कुछ सालों में डॉक्टर बनने वाली है। राजस्थान के करारी गांव की रहने वाली रूपा अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने पति शकंर यादव और ससुराल वालों को देती हैं। रूपा कहती हैं कि, 'अगर मेरे पति और मेरा परिवार मेरे साथ नहीं होता, तो शायद मैं आज पढ़ाई नहीं कर रही होती।'
इसे कहते हैं रियल लाइफ हीरो जिसने खेलने-कूदने की उम्र में घर-गृहस्थी संभालते हुए अपने सपनों पर विश्वास किया और अपनी पूरी लग्न से इसे सच करने के लिए मेहनत किया।
इसलिए बोला जाता है पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब।
Source : ht
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