भारत ने 6-7 मई की आधी रात पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर एक या दो नहीं, बल्कि 9 आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक और मिसाइल स्ट्राइक की है। भारत ने यह एक्शन पहलगाम में आतंकी हमले और 26 मासूमों की जान के बदले लिया है और इसे ऑपरेशन सिंदूर का नाम दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की लकीरें खिंच गई हैं। लेकिन, यह पहली बार नहीं है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हुआ है।
भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद यानी 1947 से लेकर 2025 तक, कई बार दोनों देशों के बीच जंग छिड़ चुकी है और तनाव आया है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद जब हम पीछे मुड़कर इतिहास के पन्नों को पलटकर देखते हैं तो कुछ जख्म हरे हो जाते हैं, तो कुछ बहादुरी की कहानियां भी याद आती हैं। आज हम ऐसी ही कुछ जाबाजों की बहादुरी की अनसुनी कहानियां लेकर आए हैं। जी हां, हम यहां उन महिलाओं के बारे में बात करने जा रहे हैं जिन्होंने अपने जज्बे से दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया है। आइए, यहां जानते हैं 1971 की जंग से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, किन-किन महिलाओं ने अपने जज्बे से दुनिया को हैरान किया है।
सहमत कोई आम नाम नहीं है। सहमत उस लड़की का नाम है जो भारत के लिए जासूस बन गई थी। सहमत ने 1971 की जंग के दौरान देश को खुफिया जानकारी मुहैया कराने में मदद की थी। जिसमें पाकिस्तानी नौसेना का जहाज PNS गाजी को डुबोने वाली जानकारी भी शामिल थी।
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सहमत ने देश के लिए पाकिस्तानी सेना के अधिकारी से शादी की थी और बहुत सारे खतरों का सामना किया था। आज भी सहमत के बलिदानों और साहसी मिशन को देश याद करता है। महिला जासूस के साहसी मिशन पर बॉलीवुड फिल्म राजी बन चुकी है। इस फिल्म में आलिया भट्ट ने सहमत का किरदार निभाया था।
1971 की जंग के समय जब पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भुज की एयरस्ट्रिप पर बम गिरा दिए थे। तब भारतीय सेना और एयरफोर्स की मदद करने के लिए होमगार्ड ज्योतिबेन उपाध्याय और ज्योति कोठारी समेत करीब 300 महिलाओं ने एयरस्ट्रिप दोबारा बनाने में मदद की थी। इतना ही नहीं, इन महिलाओं ने ब्लैकआउट के समय सड़कों पर गश्त की थी और डरे हुए लोगों को समझाया था।
1971 की जंग की तरह, कारगिल वॉर नहीं था। लेकिन, सेना में कई महिला ऑफिसरों ने अपने जज्बे से दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में मदद की थी। इन जाबांज महिलाओं की फेहरिस्त में इंडियन एयरफोर्स ऑफिसर और कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना , श्रीविद्या रंजन, कैप्टन रूचि शर्मा, मेजर डॉ. प्राची गर्ग, कैप्टन यशिक हटवाल त्यागी और मेजर प्रिया झिंगन जैसी कई महिला ऑफिसरों का नाम शामिल है।
कैप्टन रुचि शर्मा को भारत की पहली महिला ऑपरेशनल पैराट्रपर कहा जाता है। वहीं, डॉ. प्राची गर्ग, कारगिल वॉर के समय एकमात्र सेवा देने वालीं महिला चिकित्सा अधिकारी थीं।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरी दुनिया के सामने भारत के विदेश सचिव के साथ विंग कमांडर व्योमिका सिंह और लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। व्योमिका सिंह और सोफिया कुरैशी ने ही मिलकर पूरी दुनिया को बताया है कि भारत ने कब और कैसे पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर आतंकी ठिकानों पर हमला किया है।
1971 की जंग से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक, सिर्फ इन महिलाओं ने ही नहीं, बल्कि ऐसी कई वीरांगनाओं ने देश की सेवा की है जिनका भले ही इतिहास के पन्नों में नाम दर्ज नहीं है, लेकिन उनकी भूमिका काबिल-ए-तारीफ रही है।
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Image Credit: Freepik and Herzindagi
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