हम सभी जानते हैं कि हमारा पेट और दिल, दो अलग-अलग अंग हैं। यकीनन आप भी ऐसा ही जानते होंगे। अगर हम कहें की ये दोनों अंग एक दूसरे से जुड़े हैं, तो शायद आपको यकीन ना आए। लेकिन साइंस और एक्सपर्ट बताते हैं कि पेट और दिल का एक दूसरे से मजबूत कनेक्शन है । डॉक्टर दीक्षित गर्ग, कंसल्टेंट इंटरवेंशन, कार्डियोलॉजी, मणिपाल हॉस्पिटल,गुरुग्राम इस बारे में जानकारी देते हुए बताते हैं कि हमारा पेट खरबों सूक्ष्म जीवों का घर है, जिन्हें हम गट माइक्रोबायोम के नाम से जानते हैं। ये छोटे-छोटे जीव, खासकर बैक्टीरिया, न सिर्फ पाचन और रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए जरूरी हैं, बल्कि हमारी मानसिक सेहत पर भी इनका असर पड़ता है। इतना ही नहीं, एक स्वस्थ और संतुलित गट माइक्रोबायोम सूजन, कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हमारे वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है। और ये सभी चीजें दिल की बीमारी के बड़े खतरे हैं। अगर आप पेट का खास ख्याल रखते हैं, तो शायद आप दिल की बीमारियों से बच सकते हैं। आइए पेट और दिल का रिश्ता समझते हैं।
हमारे पेट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया शॉर्ट चेन फैटी एसिड जैसे ब्यूटिरेट बनाते हैं, जो सूजन को कम करते हैं। और हम सब जानते हैं कि पुरानी सूजन एथेरोस्क्लेरोसिस का एक बड़ा कारण है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों की जड़ है। इसलिए, जब हमारा पेट स्वस्थ रहता है, तो ये सूजन को कम करके हमारी हृदय प्रणाली को सपोर्ट करता है और धमनियों को लचीला और साफ रखने में मदद करता है।
पेट के कुछ बैक्टीरिया हमारी डाइट में मौजूद फाइबर को ऐसे पदार्थों में बदलने में मदद करते हैं, जो खून में खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करते हैं। इसके अलावा, अगर हमारे पेट का संतुलन बिगड़ जाए, तो ये कोलेस्ट्रॉल और फैट के अवशोषण को बढ़ा सकता है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है।
पेट के बैक्टीरिया इस बात में एक बड़ी भूमिका निभाते हैं, कि हमारा शरीर खाने को कैसे पचाता है, फैट को कैसे स्टोर करता है और इंसुलिन पर कैसे प्रतिक्रिया करता है। पेट की खराबी से मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 डायबिटीज जैसी समस्याएं हो सकती हैं और ये सभी हमारे दिल पर बोझ डालते हैं और दिल के रोग के खतरे को बढ़ाते हैं।
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अगर हमारे पेट का संतुलन बिगड़ जाए, तो कुछ हानिकारक तत्व जैसे लिपोपॉलीसेकेराइड्स हमारे खून में प्रवेश कर सकते हैं। ये जहरीले पदार्थ सूजन की प्रक्रिया को सक्रिय करते हैं, जिससे रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है और वैस्कुलर प्लाक बनता है,जो दिल से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकता है।
पेट काे बैक्टीरिया रक्त वाहिकाओं के संकुचन को प्रभावित कर सकते हैं । कुछ गट माइक्रोब्स ऐसे रसायन छोड़ते हैं,जो नाइट्रिक ऑक्साइड के उत्पादन पर असर डालते हैं, और नाइट्रिक ऑक्साइड ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है। अगर पेट का सिस्टम गड़बड़ हो जाए, तो ये सतुलन बिगड़ सकता है, जिससे बीपी की समस्या बढ़ सकती है।
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