Interesting Facts: कैसे बनती है बनारसी सिल्‍क साड़ी ? शुरू से लेकर अंत तक की प्रक्रिया के बारे में जानें

यदि आप एक बनारसी साड़ी खरीदने की सोच रहे हैं, तो इस लेख में बताए गए साड़ी के पीछे की कला और शिल्प को समझना आपके अनुभव को और भी समृद्ध बना देगा।  
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जब बात लग्‍जीरियस कपड़ों की आती है, तो जहन में सबसे पहला नाम आता है बनारसी सिल्‍क का। बनारसी सिल्‍क केवल एक कपड़ा नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्‍कृति का एक अनमोल हिस्‍सा है। फैशन इंडस्‍ट्री में इस फैब्रिक की जितनी लोकप्रियता है, उससे कहीं ज्‍यादा इसका धार्मिक महत्‍व भी है। महिलाओं के मध्‍य बनारसी सिल्‍क अब न केवल स्‍टाइल स्‍टेटमेंट बन गया है बल्कि इसे लोग स्‍टेटस से भी जोड़कर देखते हैं।

बनारसी सिल्‍क साड़ी से जुड़े तथ्‍य बस यही खत्‍म नहीं होते हैं बल्कि एक पूरी किताब भी इस पर लिख दी जाए, तो कम है। बनारसी सिल्‍क साड़ी के बनने से लेकर उसके रख-रखाव तक इतने सारे तथ्‍य हैं कि आप जब इन्‍हें पढ़ेंगी, तब आप इसकी असल कीमत समझ पएंगी। आज हम आपको इस लेख में

बनारसी सिल्‍क साड़ी: इतिहास, निर्माण प्रक्रिया और सांस्कृतिक महत्व बनारसी सिल्‍क साड़ी के निर्माण से लेकर इसके इतिहास, सांस्कृतिक महत्व और रख-रखाव के तरीकों के बारे में बताएंगे।

बनारसी सिल्‍क साड़ी का निर्माण प्रक्रिया

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बनारसी सिल्‍क साड़ी बनाने की प्रक्रिया बेहद जटिल और श्रमसाध्य होती है। इसमें कई चरण होते हैं। चलिए हम आपको विस्‍तार से इसके बारे में बताते हैं।

रेशम का चयन:

सबसे पहले होता है रेशे का चयन, जिससे पूरी बनारसी साड़ी तैयार की जाती है। साड़ी के लिए उच्च गुणवत्ता वाले सिल्क के रेशे का चयन किया जाता है। वैसे तो सिल्‍क के रेशे सिल्‍क वॉर्म से प्राप्‍त होते हैं और इन कीड़ों की फार्मिंग होती है। सिल्‍क इसलिए मेहंगा फैब्रिक है क्‍योंकि एक सिल्‍क वॉर्म के कोकून से 1.5 किलोमीटर लंबा रेश्‍म तंतु मिलता है। आसान शब्‍दों में समझा जाए तो कीड़े लार्वा से रेशम तैयार किया जाता है। वैसे तो भारत में ही आपको अच्‍छी गुणवत्‍ता का सिल्‍क मिल जाएगा, मगर अब इसे चीन से भी आयात किया जाता है।

धागा बनाना:

सिल्क के रेशे को पहले महीन धागे में बदलने का काम किया जाता है। इस प्रक्रिया में रेशे को बुनाई के लिए तैयार किया जाता है। यह एक बहुत लंबा प्रॉसेस है और इससे धागा तैयार करने में बहुत मेहनत भी लग जाती है।

बुनाई:

सिल्‍क के धागे इतने डेलिकेट होते हैं कि इसकी बुनाई का कार्य हाथ से किया जाता है, जिसमें कारीगरों की कुशलता बेहद महत्वपूर्ण होती है। वे पारंपरिक तरीके से बुनाई तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए कपड़ा बनाते हैं। यह प्रक्रिया कई हफ्तों तक चल सकती है, क्‍योंकि काम बहुत ही धीमि गति से होता है।

कढ़ाई और डिजाइन:

साड़ी पर विभिन्न प्रकार की कढ़ाई और डिजाइन बनाए जाते हैं, इनमें से कुछ मशहूर डिजाइंस और पैटर्न बुटा, जरी, रंगकाट और चारबाग या अन्य पारंपरिक पैटर्न। बनाएं जाते हैं। बनारसी सिल्‍क साड़ी में आपको मीनाकारी बेल, सेल्‍फ डिजाइन और प्राकृतिक मोटिफ्स डिजाइंस खूब देखने को मिलेंगी, जो साड़ी को और भी आकर्षक बनाती हैं।

रंगाई:

बनारसी साड़ी में आपको केमिकल और प्राकृतिक दोनों ही तरह के रंग में साड़ी खरीदने का मौका मिलेगा। हालांकि, अब बाजार में आपको अधिक केमिकल रंगों वाली साड़ी ही मिलेंगी। रंगाई की प्रक्रिया बहुत कठिन नहीं होती है, मगर इससे प्रक्रिया को पूरा करने की भी एक तकनीक होती है।

फिनिशिंग:

अंत में, साड़ी को धोकर सुखाया जाता है और इसकी फिनिशिंग होती है। इसमें एक्‍सट्रा धागों को काटा जाता है और साड़ी की पॉलिशिंग होती है, जिससे उसमें चमक आ जाती है।

बनारसी सिल्‍क के प्रकार

बनारसी सिल्क साड़ी के कई प्रकार होते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

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  • जरी वर्क वाली बनारसी साड़ी : इसमें सोने या चांदी की तार का उपयोग होता है। ये साड़ियां विशेष अवसरों के लिए होती हैं और बहुत ज्‍यादा महंगी भी आती हैं।
  • कढ़ाई वाली बनारसी साड़ी : इसमें हाथ से की गई कढ़ाई होती है, जो साड़ी को विशेष बनाती है। आमतौर पर यह कढ़ाई भी रेशम के धागों से ही की जाती और इसे हाइलाइट करने के लिए इसमें जरी का काम भी होता है।
  • फूलों की बेल वाली बनारसी साड़ी: इसमें बूटों और फूलों का डिजाइन होता है, इसे मीनाकारी बेल डिजाइन भी कहते हैं।
  • मोटिफ वर्क वाली बनारसी साड़ी: इसमें पारंपरिक मोटिफ डिजाइंस और चौड़े गोल्‍डन बॉर्डर्स होते हैं।

बनारसी सिल्‍क की पहचान कैसे करें

  • बनारसी सिल्क साड़ी की पहचान करना भी एक कला है। यहं कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
  • असली बनारसी सिल्क साड़ी बेहद मुलायम होती है और इसे छूने पर मखमली सा एहसास होता है।
  • असली बनारसी साड़ी को पलटने पर इसकी चमक और रंग एक समान होते हैं।
  • असली सिल्क साड़ी वजन में हल्की होती है, जबकि नकली साड़ियां भारी हो सकती हैं।

बनारसी सिल्‍क साड़ी का रख-रखाव

  • बनारसी सिल्क साड़ी का उचित रख-रखाव आवश्यक है ताकि उसकी सुंदरता और चमक बनी रहे। हम आपको कुछ महत्‍वपूर्ण सुझाव देंगे-
  • साड़ी को हाथ से धोना चाहिए। इसके लिए हल्के डिटर्जेंट का उपयोग करें और ठंडे पानी से धोएं।
  • साड़ी को सीधे धूप में न सुखाएं। इसे छाया में सुखाना बेहतर होता है।
  • साड़ी को सूती कपड़े में लपेटकर रखें। इसे हमेशा ड्राई प्लेस पर रखें, ताकि नमी न आए। यदि नमी में रखेंगी तो कीड़े लग सकते हैं और साड़ी में छेद होने लगेंगे।

बनारसी सिल्क साड़ी का भारतीय संस्कृति में विशेष स्थान है। इसे खास मौकों, जैसे शादी, त्योहार, और पारिवारिक समारोहों में पहना जाता है। इसे एक अद्भुत धरोहर कहना गलत नहीं होगा। इस आर्टिकल के बारे में अपनी राय भी आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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