हर देश को उसकी कला, संस्कृति और परंपराओं से जाना जाता है। फिर भारत जैसे विशाल देश में तो पग-पग पर आपको नई कला, संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। यही संगम हमें मध्यप्रदेश में भी देखने को मिलता है, जब हम यहां के महेश्वर शहर में कदम रखते हैं।
महेश्वर एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे रामायण काल से जोड़ा जाता है। हैहयवंशी राजा सहस्त्रार्जुन का शहर है। सहस्रार्जुन वही है, जिसने रावण जैसे शक्तिशाली दानव को भी हरा दिया था। यह शहर केवल इसलिए ही नहीं जाना जाता है। बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता, भव्य किलों, मंदिरों एवं प्रसिद्ध महेश्वरी साड़ी की वजह से भी जाना जाता है।
भारत में एक नहीं अनेक प्रकार की साड़ियां आती हैं और उन सभी से अलग माहेश्वरी साड़ी का अपना अलग ही गौरवशाली इतिहास रहा है। आज हम आपको इस साड़ी की खासियत और इतिहास के बारे में बताएंगे।
क्या है महेश्वरी साड़ी में खास?![madhya pradesh famous maheshwari saree]()
अगर आप सिंपल सोबर साड़ी पहनने की शौकीन हैं, तो महेश्वरी साड़ी आपके लिए बहुत अच्छा विकल्प है। अगर आप ऑफिस के लिए एलिगेंट साड़ी तलाश रही हैं, तो महेश्वरी साड़ी आपको खूब पसंद आएंगी। रोजाना पहनने के लिए या फिर शादी पार्टी में पहनने के लिए भी यदि आप साड़ी तलाश रही हैं, तो महेश्वरी साड़ी में मौजूद ढेरों वैरायटी में ही आपको अपने लिए एक खूबसूरत साड़ी मिल जाएगी।
आपको बता दें कि महेश्वरी साड़ी में आपको कॉटन और सिल्क दो फैब्रिक मिल जाएंगे। आजकल मिलावटी फैब्रिक में भी आपको महेश्वरी साड़ी मिल जाएंगी, मगर यदि आप अच्छी और सुंदर साड़ी की तलाश में है, तो आपको बहुत अच्छे प्रिंट में यह साड़ियां 50 प्रतिशत सिल्क और 50 प्रतिशत कॉटन फैब्रिक के ब्लेंड में मिल जाएगी।
वहीं रेशम बॉर्डर और कॉर्नर में लाइनिंग एवं चेक प्रिंट में भी आपको यह साड़ी मिल जाएगी। इसमें बूटीदार साड़ियां भी आती हैं। सिल्क और कॉटन दोनों ही फैब्रिक में आपको इस तरह की साड़ी मिल जाएगी।
आमतौर पर आपको महेश्वरी साड़ी में चटक रंग देखने को मिलेंगे। इनमें 20 से 25 रंग में साड़ियां मिल जाती हैं। विशेष बात यह है कि इस साड़ी में आपको मराठी अंदाज भी नजर आएगा। इसका एक कारण यह है कि इंदौर की महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने महेश्वर की कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शिल्पकारों और कारीगरों को 9 गज की ऐसी साड़ी बनाने के लिए कहा, जिसमें महेश्वर की परंपराओं और कला की झलक हो। तब महेश्वरी साड़ियां अस्तित्व में आई।
इस साड़ी को तैयार करने में 10 दिन का वक्त लगता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत जो इसे अन्य साड़ियों से अलग पहचान देती है, वह यह है कि इसका पल्ला रिवर्सेबल होता है और इसे बनाने में बहुत समय लगता है। वहीं इसे किनारे भी उल्टे होते हैं, जिन्हें 'बुग्गी ' कहा जाता है। इसमें कुछ साड़ी ऐसी भी होती हैं, जिनके बॉर्डर पर आपको जरी का काम मिलेगा। यह साड़ी की पारंपरिक बनावट का हिस्सा है।
आमतौर पर आपको इन साड़ियों में धारियां, चंद्रकला, बेल, परेबी, डायमंड बूटियां, ईंट नुमा बूटियां, रूई के फूल आदि देखने को मिलेंगे। यह साड़ी वजन में बहुत हल्की होती है, इसलिए इसे कैरी करना आसान होता है। आप डिजाइनर ब्लाउज के साथ इन्हें कैरी करके बहुत अच्छा लुक पा सकती हैं।
कहां मिलेगी आपको असली महेश्वरी साड़ियां
वैसे तो अजिओ, मिंत्रा और ऐसी बहुत सी ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट हैं, जहां से आपको महेश्वरी साड़ियां मिल जाएंगी। मगर आप यदि महेश्वर के चौक बाजार से यह साडि़या खरीद सकती हैं , तो यहां से अच्छा विकल्प आपको कहीं और नहीं मिलेगा। बाकि बड़े शहरों में मौजूद हैंडलूम के शोरूम में भी आपको यह साड़ियां मिल सकती हैं। आपको भोपाल, इंदौर, जबलपुर, वर्धा जैसे बड़े शहरों में भी यह साड़ियां किसी अच्छी शॉप में मिल जाएंगी।
अगर आप भी साड़ी लवर हैं और अब तक आपकी वॉर्डरोब में महेश्वरी साड़ी नहीं है, तो एक बार इस साड़ी को खरीद कर ट्राई करें। हम यकीनन कह सकते हैं कि आप इस साड़ी के फैब्रिक, प्रिंट और पैटर्न की मुरीद हो जाएंगी।
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