साइंस के क्षेत्र में अच्छे कोर्स करने के बाद, छात्र मालामाल हो सकते हैं, जो उन्हें अनेक क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते हैं। यहां कुछ कोर्स हैं जो छात्रों को साइंस क्षेत्र में सफलता की ओर ले जा सकते हैं। इन कोर्स के साथ-साथ, छात्रों को निरंतर अध्ययन करने का प्रैक्टिकल अनुभव भी मिल सकता है।
स्पेस टेक्नोलॉजी, विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत कॉस्मोलॉजी, स्टारर साइंस, एस्ट्रोफिजिक्स, प्लेनेटरी साइंस, एस्ट्रोनॉमी आदि विषयों का अध्ययन किया जाता है। इस विषय में डिग्री हासिल करने के बाद आप स्पेस साइंटिस्ट, एस्ट्रोनॉमर, एस्ट्रोफिजिसिस्ट, मैटीरियोलॉजिस्ट, क्वालिटी एश्योरेंस स्पेशलिस्ट, रडार टेक्नीशियन, सेटेलाइट टेक्नीशियन आदि के रूप में नासा, इसरो एवं डीआरडीओ जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम के अवसर प्राप्त कर सकते हैं। स्पेस टेक्नोलॉजी के लिए योग्यता फिजिक्स, केमिस्ट्री व मैथमेटिक्स के साथ बारहवीं होनी चाहिए।
ये प्रोग्राम पास करने के बाद आप स्पेस साइंस के बैचलर प्रोग्राम में दाखिला ले सकते हैं। इसके लिए आपको ऑल इंडिया लेवल पर आयोजित प्रवेश परीक्षा पास करनी होगी। स्नातक के बाद आप मास्टर्स कर सकते हैं। आप अगर इस क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको पीएचडी करना होगा।
अच्छे खानपान का शौक रखने के साथ फूड प्रोडक्ट में प्रयोग होने वाले रसायनों, खाद्य पदार्थों के रखरखाव, उन्हें पैक करने के तरीकों एवं मार्केटिंग से संबंधित बातों में रुचि रखने वाले युवाओं के लिए फूड साइंस एवं टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग में एक बेहतरीन करियर ऑप्शन बन कर उभरा है। एक फूड टेक्नोलॉजिस्ट के रूप में छात्र फूड प्रोसेसिंग कंपनियों, फूड रिसर्च लेबोरेटरी, होटल, रेस्टोरेंटों, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में करियर की संभावनाएं तलाश सकते हैं।
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इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथ्स या होम साइंस के साथ 12वीं पास होना अनिवार्य है। इसके बाद आप फूड साइंस, केमिस्ट्री या माइक्रोबायोलॉजी में बैचलर डिग्री कर सकते हैं। बैचलर डिग्री करने के बाद फूड केमिस्ट्री, मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस और अन्य क्षेत्रों में एडवांस डिग्री भी कर सकते हैं। आप चाहें तो डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन और फूड साइंस एंड पब्लिक हेल्थ न्यूट्रिशन में डिप्लोमा कर सकते हैं। स्नातक के बाद परास्नातक व रिसर्च करने का विकल्प भी है।
एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कृषि को बढ़ावा देने वाले प्रयासों, जैसे फसल की अच्छी पैदावार के लिए उपयुक्त मिट्टी, खाद्य पदार्थ, बीज, बायोलॉजिकल सिस्टम आदि से संबंधित बारीकियां सिखाई जाती हैं। मौजूदा दौर में सरकारी से लेकर प्राइवेट सेक्टर तक में कृषि विशेषज्ञों की मांग रहती है। ऐसे में अगर आप एग्रीकल्चर इंडस्ट्री में करियर बनाने की ख्वाहिश रखते हैं, तो एग्रीकल्चर इंजीनियर के रूप में इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकते हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश करने वाले युवा एग्रीकल्चर को-ऑपरेटिव, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, फर्टिलाइजर और इरिगेशन कंपनी, फार्मिंग कंपनी, ऑर्गेनाइजेशन, एनजीओ आदि में रोजगार के अवसर तलाश सकते हैं।
पीसीएम या पीसीबी विषयों के साथ बारहवीं पास करने वाले छात्र एग्रीकल्चर के चार वर्षीय बीई या बीटेक कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं। इसके बाद पोस्ट ग्रेजुएशन यानी एमई या एमटेक किया जा सकता है। एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए 10वीं और 12वीं के बाद पॉलिटेक्निक डिप्लोमा भी कर सकते हैं, जिसकी अवधि तीन वर्ष होती है।
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मरीन इंजीनियरिंग असल में इंजीनियरिंग की एक शाखा है, जिसमें जहाजों, नावों, पनडुब्बियों और अन्य जलयानों को डिजाइन किया जाता है। मरीन इंजीनियर समुद्री जहाज के सफलतापूर्वक संचालन में अहम भूमिका निभाते हैं और समुद्र एवं उसके आसपास उपयोग की जाने वाली मशीनों का डिजाइन, रखरखाव, निर्माण करते हैं।
इस विषय में डिग्री हासिल करने के बाद आप गवर्नमेंट एवं प्राइवेट शिपिंग कंपनियों, से क्राफ्ट डिजाइनिंग एवं बिल्डिंग, इंजन प्रोडक्शन फर्म में आकर्षक जॉब हासिल कर सकते हैं। मरीन इंजीनियर के लिए भारत और विदेश में भी करियर के अवसरों की एक विस्तृत गुंजाइश है। भारतीय नौसेना के पनडुब्बी विभाग में जॉब कर सकते हैं।
साइंस बैकग्राउंड के छात्र मरीन इंजीनियरिंग या ओशेन इंजीनियरिंग में बीई या बीटेक कोर्स के साथ इस करियर में दाखिल हो सकते हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बाद इस विषय में मास्टर्स कर सकते हैं।
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फॉरेंसिक साइंस आपराधिक न्याय प्रणाली का एक अहम हिस्सा है। फॉरेंसिक साइंटिस्ट किसी घटना से जुड़े छोटे-छोटे सुराग के जरिये मुजरिम तक पहुंचने और उनसे संबंधित वैज्ञानिक पहलुओं को समझने के काम करते हैं। आप अगर साइंस बैकग्राउंड के छात्र हैं और जुर्म करने वाले को किसी भी हाल में सामने लाने का जुनून रखते हैं, तो फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में प्रवेश कर सकते है।
फॉरेंसिक एक्सपर्ट के लिए सरकारी और प्राइवेट दोनों क्षेत्रों में जॉब के मौके उपलब्ध हैं। गवर्नमेंट सेक्टर में आप इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई), स्टेट पुलिस फोर्स के क्राइम सेल, गवर्नमेंट व स्टेट फॉरेंसिक लैब में काम कर सकते हैं। वहीं, प्राइवेट सेक्टर में प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी में फॉरेंसिक एक्सपर्ट बन सकते हैं। आप चाहें तो फॉरेंसिक टीचर के रूप में भी करियर बना सकते हैं।
साइंस स्ट्रीम से बारहवीं पास करने के बाद आप फॉरेंसिक साइंस में स्नातक कर सकते हैं। स्नातक के बाद फॉरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी में एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं, मास्टर करने के लिए आपको फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलॉजी, बॉटनी, बायो केमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, बी फार्मा, बीडीएस और एप्लाइड साइंस में से किसी एक विषय के साथ न्यूनतम 60 प्रतिशत अंकों से स्नातक पास करना होगा। अगर आप फॉरेंसिक स्पेशलिस्ट बनना चाहते हैं, तो आपको एमबीबीएस डिग्री प्राप्त करनी होगी और इसके बाद फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टॉक्सिकोलॉजी में एमडी भी करना होगा।
इन संस्थानों से आप बीएससी इन फॉरेंसिक साइंस, डिप्लोमा इन फॉरेंसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी, डिप्लोमा इन फॉरेंसिक साइंस एंड लॉ, एमएससी इन क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंस, एमएससी इन साइबर फॉरेंसिक्स एंड इनफॉर्मेशन सिक्योरिटी आदि कोर्स कर सकते हैं।
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