हर साल भारत से करीब 2 लाख से ज्यादा छात्र अमेरिका में पढ़ाई का सपना लेकर रवाना होते हैं। इन छात्रों में अधिकतर का झुकाव STEM यानी साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स जैसे करियर फोकस्ड कोर्सेज की ओर होता है। अमेरिका की यूनिवर्सिटीज दुनियाभर में अपने रिसर्च और क्वालिटी एजुकेशन के लिए जानी जाती हैं, इसीलिए भारतीय छात्रों के बीच ये पसंदीदा डेस्टिनेशन है।
हालांकि, हाल ही में कुछ ऐसी खबरें सामने आई हैं, जैसे कुछ छात्रों के इमिग्रेशन रिकॉर्ड्स का अचानक रद्द (Terminate) हो जाना या वीजा से जुड़ी तकनीकी दिक्कतें, जिन्होंने छात्रों और उनके परिवारों की चिंता बढ़ा दी है।
ऐसे समय में यह जानना बेहद जरूरी हो जाता है कि अमेरिका का F-1 स्टूडेंट वीजा आखिर है क्या, इसे पाने की प्रक्रिया क्या है, और कौन-कौन सी जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपका अमेरिका में पढ़ाई का सपना बिना किसी रुकावट के पूरा हो सके।
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F-1 वीजा अमेरिकी सरकार द्वारा उन अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दिया जाता है जो फुल-टाइम एकेडमिक प्रोग्राम के लिए वहां की किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या कॉलेज में पढ़ाई करना चाहते हैं। इसके ज़रिए छात्र अमेरिका में पढ़ाई कर सकते हैं, ऑन-कैंपस जॉब कर सकते हैं और पढ़ाई पूरी होने के बाद OPT(Optional Practical Training) जैसी स्कीमें भी ले सकते हैं।
लेकिन ध्यान रखें, F-1 वीजा के नियम बहुत सख्त होते हैं। अगर आप इमिग्रेशन पॉलिसी का कोई उल्लंघन करते हैं तो आपका वीजा तत्काल रद्द किया जा सकता है।
जब आपको अमेरिकी यूनिवर्सिटी से एडमिशन मिल जाता है, तो वे आपको एक महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट भेजते हैं जिसे I-20 फॉर्म कहा जाता है। इसमें आपके कोर्स, अवधि, कुल अनुमानित खर्च और SEVIS ID दी जाती है। इसके बाद आपको SEVIS फीस भरनी होती है, जो कि फिलहाल 350 डॉलर है।
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यह एक ऑनलाइन नॉन-इमिग्रेंट वीजा एप्लिकेशन फॉर्म है जिसमें आपकी व्यक्तिगत और शैक्षणिक जानकारी दी जाती है। इसे भरने के बाद आपको एक कन्फर्मेशन पेज मिलता है जिसमें एक बारकोड होता है और इसे प्रिंट करना जरूरी है क्योंकि यही इंटरव्यू के समय दिखाया जाता है।
इसके बाद, आपको वीजा फीस भरनी होती है जो कि 160 डॉलर है। इसमें VFS और बैंक प्रोसेसिंग फीस भी शामिल हो सकती है। पेमेंट के बाद आपको एक रसीद मिलती है जिस पर एक 10-अंकों का बारकोड नंबर होता है।
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अब आप US Visa Appointment वेबसाइट पर जाकर अपने वीजा इंटरव्यू के लिए अपॉइंटमेंट बुक कर सकते हैं। साथ ही आपको VAC (Visa Application Center) अपॉइंटमेंट भी बुक करनी होती है जहां आपके बायोमेट्रिक्स (फोटोग्राफ और फिंगरप्रिंट्स) लिए जाते हैं।
निर्धारित दिन पर आपको अमेरिकी दूतावास या कांसुलेट (दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता में से किसी एक) में इंटरव्यू देना होता है। वीजा अधिकारी आपसे पढ़ाई, यूनिवर्सिटी, कोर्स और भविष्य की योजनाओं से जुड़े सवाल पूछ सकते हैं। अगर सब सही पाया गया, तो कुछ ही दिनों में आपको F-1 वीजा मिल जाता है।
अमेरिकी F-1 वीजा तभी मिलेगा जब आप यह साबित कर सकें कि आपके पास पढ़ाई और जीवन यापन के लिए पर्याप्त बैंक बैलेंस हैं। इसके लिए आपको बैंक स्टेटमेंट, एफिडेविट, स्कॉलरशिप लेटर या फंडिंग लेटर दिखाना होगा।
आपके पास उस रकम का सबूत होना चाहिए जो आपके I-20 फॉर्म में दी गई ‘Cost of Attendance (COA)’ के बराबर या उससे ज्यादा हो।
leapscholar.com के मुताबिक, अमेरिका में पढ़ाई का सबसे बड़ा हिस्सा होता है ट्यूशन फीस। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने कौन-सी यूनिवर्सिटी चुनी है मतलब सरकारी (पब्लिक) या प्राइवेट और कौन-सा कोर्स करने जा रहे हैं।
नोट- आपको बता दें कि दी गई रकम अनुमानित है और इसमें बदलाव हो सकते हैं।
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