पश्चिम बंगाल का शांतिनिकेतन जहां कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्व भारती की स्थापना की थी। शांतिनिकेतन को अब यूनेस्को की विश्व धरोहर (World Heritage List) सूची में शामिल किया गया है। यह जानकारी रविवार को यूनेस्को ने एक पोस्ट के जरिए दी है।
यूनेस्को ने ट्वीट करते हुए लिखा, "यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शांतिनिकेतन शामिल किया गया है, भारत को इसके लिए बधाई।" पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में स्थित इस सांस्कृतिक स्थल को यूनेस्को की धरोहर सूची में शामिल करने के लिए भारत लंबे समय से प्रयास कर रहा था।
पीएम मोदी ने जताई खुशी
शांतिनिकेतन के यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने पर पीएम मोदी ने भी खुशी व्यक्त करते हुए एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, "गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के दृष्टिकोण और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक शांतिनिकेतन को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल पर खुशी हुई। ये सभी भारतीयों के लिए गर्व का पल है।” (कैसे 'जन गण मन' बना भारत का राष्ट्रगान)🔴BREAKING!
New inscription on the @UNESCO#WorldHeritage List: Santiniketan, #India 🇮🇳. Congratulations! 👏👏
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— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳 (@UNESCO) September 17, 2023
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जानें शांतिनिकेतन के बारे में
विश्वभारती पश्चिम बंगाल का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय है और प्रधानमंत्री इसके कुलाधिपति (chancellor) भी हैं। विश्वविद्यालय की स्थापना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। साल 1951 में संसद के एक अधिनियम में शांतिनिकेतन को केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व को दर्शाने वाला संस्थान के नाम से घोषित किया गया था। (राष्ट्रगान कब-कब गाया जाता है? जानें इससे जुड़े कुछ जरूरी नियम)
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रवींद्रनाथ टैगोर के पिता ने बनवाया था शांतिनिकेतन
यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र की आधिकारिक वेबसाइट पर शांतिनिकेतन के बारे में कुछ बातें बताई गई है, जिसमें कहा गया है कि कोलकाता से 160 किमी दूर शांतिनिकेतन मूल रूप से रवींद्रनाथ टैगोर के पिता देबेंद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया एक आश्रम था, यहां जाति और पंथ से परे कोई भी, आ सकता था और शिक्षा ले सकता था।
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