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Pachmatha Temple: एक दिन में तीन रंगों में नजर आती है मां लक्ष्मी की चमत्कारी मूर्ति, धनतेरस पर मांगी हर मुराद होती है पूरी

About Pachmatha Temple: मध्य प्रदेश में मां लक्ष्मी का एक ऐसा मंदिर है, जहां की मूर्ति एक दिन तीन बार रंग बदलती है। आइए जानते हैं इस चमत्कारी मंदिर के पीछे की कहानी।
Updated:- 2024-10-14, 11:26 IST

Pachmatha Laxmi Temple Myth And Facts: देश के पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण भारत में ऐसे लाखों लक्ष्मी मंदिर मिल जाएंगे जिनकी महिमा अपरंपार हैं।

वैसे तो भारतीय समाज में हर दिन मां लक्ष्मी की पूजा पाठ होती है, लेकिन धनतेरस के दिन पूजा-पाठ करने का एक अलग ही महत्व होता है। कहा जाता है कि धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन की बारिश होती है। इसलिए इस खास मौके पर मां लक्ष्मी के चमत्कारी मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ जाती हैं।

मध्य प्रदेश में मौजूद पचमठा एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां माता दिन भर में तीन रंगों के नजर आती है और दर्शन मात्र से धन की बारिश होती है। इस आर्टिकल में हम आपको पचमठा की चमत्कारी कहानियों के बारे में बताने जा रहे हैं।

पचमठा मंदिर मध्य प्रदेश में कहां है? (Where is pachmatha temple)

pachmatha laxmi temple jabalpur myth

पचमठा मंदिर की खासियत और चमत्कारी कहानी बताने से पहले आपको यह बता दें कि यह मंदिर मध्य प्रदेश के जबलपुर में मौजूद है। जी हां, पचमठा मंदिर, जबलपुर मुख्य शहर से कुछ ही दूरी पर मौजूद है। स्थानीय लोगों के लिए यह मंदिर बेहद ही खास है। आपको बता दें कि जबलपुर कई अद्भुत जगहों के लिए पूरे भारत में एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल माना जाता है।

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पचमठा मंदिर का इतिहास (Pachmatha temple history)

मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित पचमठा मंदिर का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है। जी हां, इस पवित्र मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका इतिहास करीब 1100 वर्षों से भी अधिक पुराना है।

पचमठा मंदिर के इतिहास को लेकर एक अन्य बात यह भी बोली जाती है कि इस पवित्र मंदिर को नष्ट करने के लिए औरंगजेब की सेना ने भी आक्रमण किया था, लेकिन वो विफल रहें। आपको बता दें कि इस मंदिर का संरक्षण पुरातत्व विभाग करता है।

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पचमठा मंदिर की चमत्कारी कहानी (Pachmatha temple myth)

pachmatha laxmi temple jabalpur

पचमठा मंदिर की एक नहीं, बल्कि कई चमत्कारी कहानियां प्रचलित हैं। इस मंदिर की सबसे प्रचलित कहानी है कि मंदिर में स्थापित माता लक्ष्मी की मूर्ति एक दिन में करीब तीन बार रंग बदलती है।

पचमठा मंदिर में एक अन्य कहानी यह प्रचलित है कि यह मंदिर किसी जमाने में पूरे देश के तांत्रिकों के लिए साधना का विशेष केंद्र हुआ करता था। माना जाता है कि मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना मौजूद है।

आपको यह भी बता दें कि इस पवित्र मंदिर में मां लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कृष्ण की मूर्ति भी स्थापित है।

दिवाली पर होती है खास पूजा (Pachmatha temple on dilwali)

धनतेरस से लेकर दिवाली के खास मौके पर पचमठा मंदिर में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। इस खास मौके पर सुबह चार बजे से भी भक्तों की भीड़ लग जाती हैं। इस खास मौके पर पंचगव्यों से महाभिषेक किया जाता है।
पचमठा मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान कुबेर की पूजा करने के लिए भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। धनतेरस और दिवाली के मौके पर मंदिर का कपाट पूरे दिन खुला रहता है। यहां शुक्रवार को मां लक्ष्मी का विशेष पूजन भी किया जाता है।

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पचमठा मंदिर कैसे पहुंचें (How to reach pachmatha temple)

पचमठा मंदिर पहुंचना बहुत ही आसान है। इसके लिए आप मध्य प्रदेश के किसी भी शहर से आराम से पहुंच सकते हैं। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से जबलपुर की दूरी करीब 313 किमी और विदिशा से करीब 263 किमी है।
 
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