8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महादेव के इस खास दिन का शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार है। इस दिन भोलेनाथ के शिवलिंग स्वरूप की पूजा होती है। इसलिए भारत में लगभग हर कोई भोले बाबा को जल अर्पित करने के लिए मंदिरों में जाता है।
इस दिन कई महिलाएं व्रत भी रखती हैं। क्योंकि महादेव की पूजा करने से उनका वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बिहार के ऐसे 5 मंदिर बताने वाले है, जिसकी महिमा बहुत निराली है। महाशिवरात्रि के दिन इन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है।
बिहार का देवघर कहा जाने वाला बाबा गरीब नाथ मंदिर भी महाशिवरात्रि पर दर्शन के लिए बेस्ट है। यहां बाबा के दर्शन के लिए लोग रात में ही लाइन में लग जाते हैं। यहां आप पहलेजा घाट से गंगा जल लेकर हाजीपुर के रास्ते मुजफ्फरपुर आ सकते हैं। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पहले एक बरगद का पेड़ था। इस पेड़ की कटाई के दौरान यहां भोले बाबा प्रकट हुए थे। जिसके बाद से यहां पूजा शुरू हो गई।
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ये मंदिर बेलागंज प्रखंड के मेन गांव में मोरहर और दरघा नदी के पास स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 100 साल से भी पुराना है। कहा जाता है कि इस मंदिर को वाणासुर की बेटी उषा ने बनवाया था। वह श्री कृष्ण के पोते अनिरुद्ध से विवाह करना चाहती थी, लेकिन वाणासुर श्री कृष्ण के दुश्मन थे। वह इस शादी से खुश नहीं थे। इसलिए उषा ने अनिरुद्ध से शादी करने के लिए भोले बाबा के इस मंदिर का निर्माण करवाया। (आठवें अजूबे से कम नहीं भगवान शिव का यह अनोखा मंदिर)
महाशिवरात्रि के दिन अगर आप बिहार में भोले बाबा को जल अर्पित करने के लिए किस खास मंदिर में जाना चाहते हैं, तो आप बिहार के सुल्तानगंज में स्थित अजगैबीनाथ मंदिर में जा सकते हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि जो भी यहां सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करता है, भगवान उसकी सारी मन्नतें पूरी करते हैं।
कैसे पहुंचे- भागलपुर से 26 किलोमीटर दूर पश्चिम सुल्तानगंज में यह मंदिर स्थित है। आप ऑटो या बस के जरिए यहां पहुंच सकते हैं। मंदिर पहाड़ पर स्थित है और इसके चारों तरफ की हरियाली इसे और ज्यादा आकर्षित बनाती है। बिहार में भोलेनाथ के दर्शन के लिए ये मंदिर सबसे बेस्ट है।
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इस मंदिर के बारे में बताया जाता है कि यहां स्थित शिवलिंग को खुद ब्रह्माजी ने स्थापित किया था। यह मंदिर बिहार के बक्सर जिले के ब्रह्मपुर में स्थित है।बक्सर से इस मंदिर की दूरी 40 किमी है। इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसका दरवाजा पश्चिम मुखी है। यह खास इसलिए है क्योंकि देश के अन्य मंदिरों में दरवाजा पूर्व दिशा में है। (इन शानदार हिल स्टेशन को वीकेंड में बनाएं डेस्टिनेशन)
यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें आधे भाग में शिव और दूसरे भाग में विष्णु की आकृति है। माना जाता है कि इस मंदिर को ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु और शव को नजदीक लाने के लिए किया था। इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि श्री राम ने जनकपुर जाने के दौरान यहां रुक कर हरि और हर की स्थापना की थी।
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