बिहार में ऐसे कई पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है जहां हर साल लाखों सैलानी घूमने के लिए पहुंचते हैं। बिहार की राजधानी पटना का हनुमान मंदिर और पटन देवी मंदिर आदि मंदिर के अलावा बोधगया में मौजूद महाबोधि मंदिर भी बेहद पवित्र स्थल है। महाबोधि मंदिर एक बौद्ध मंदिर है जिसे बिहार में 'महान जागृति मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। इस बौद्ध मंदिर में हर साल लाखों बौद्ध धर्म के अनुयायी देश और विदेश से आते रहते हैं। आपको बता दें कि भारत के 10 सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में भी इसकी गिनती की जाती है। अगर आप महाबोधि मंदिर की यात्रा का प्लान कर रहे हैं या फिर इसके बारे में जानना चाहते हैं, तो इस लेख हम आपको इस मंदिर के बारे में करीब से बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
महाबोधि मंदिर का निर्माण कब हुआ इसका कोई स्पष्ट तिथि किसी को भी नहीं मालूम है लेकिन, यह मंदिर लगभग 2 हज़ार सालों से भी अधिक समय से हिन्दुओं और बौद्धों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल रहा है। इस मंदिर और इसके आसपास की जगहों पर महान सम्राट अशोक के काल के कुछ शिलालेख मिले थे जिससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि यह मंदिर 232 ईसा पूर्व से भी अधिक प्राचीन है। इस मंदिर को किसने बनवाया इसके बारे में भी किसी का नाम स्पष्ट नहीं है।
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महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म के लोगों के लिए बेहद ही पवित्र स्थल है। यह मंदिर भगवान बुद्ध के जीवन से संबंधित चार सबसे पवित्र जगहों में से एक है। किदवंती के अनुसार ये वो स्थल है, जहां मोहमाया त्यागने के बाद गौतम बुद्ध को आत्म ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। जिस वृक्ष के नीचे गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी वो आज भारत के साथ-साथ बिहार और बौद्ध धर्म के अनुयायी लोगों के लिए बेहद ही पवित्र स्थल है। कहा जाता है कि इस पेड़ के नीचे सम्राट अशोक ने एक मंदिर बनवाया था, जो गौतम बुद्ध की स्मृति में समर्पित था।(बिहार के 4 प्रसिद्ध धार्मिक स्थल)
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बोधगया में महाबोधि मंदिर घूमने के अलावा एक से एक बेहतरीन जगहें हैं। जापानी मंदिर, डूंगेश्वरी गुफा, पुरातत्व संग्रहालय आदि जगहों पर घूमने के लिए जा सकते हैं। अगर बात करें यहां घूमने के लिए सबसे अच्छे समय के बारे में तो मार्च से अक्टूबर के बीच का समय सबसे अच्छा माना जाता है। हालांकि, यहां सैलानियों की सबसे अधिक भीड़ बुद्ध जयंती के दिन होती है।
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