राम सेतु जिसे आमतौर पर एडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है, एक विवादित ब्रिज है और वर्षों से इसे लेकर यह चर्चा रहती हैं कि यह प्राकृतिक है या मानव निर्मित। हालांकि, एक अमेरिकी विज्ञान चैनल के अनुसार यह एक मानव निर्मित पुल है। वहीं कुछ वैज्ञानिकों का यह मानना है कि यह चूना पत्थर के शोलों द्वारा निर्मित एक प्राकृतिक पुल है। वैसे राम सेतु का उल्लेख महाकाव्य रामायण में भी किया गया है। रामायण के अनुसार, इस ब्रिज का निर्माण भगवान श्री राम और उनकी वानर सेना द्वारा किया गया था, जब लंका का राजा रावण माता सीता का हरण करके उन्हें लंका में ले गया था। इसलिए इस ब्रिज का अपना एक धार्मिक महत्व भी है। भारत के तमिलनाडु में स्थित यह एक ऐसा ब्रिज है, जो आज भी aerial view प्रदान करता है। साथ ही यह पुल भारत के तमिलनाडु के पंबन द्वीप को श्रीलंका के मन्नार द्वीप से जोड़ता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको राम सेतु ब्रिज से जुड़े कुछ अमेजिंग फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं, जो यकीनन आपको भी काफी पसंद आएंगे-
वॉकेबल ब्रिज
कहा जाता है कि राम का सेतु समुद्र तल से ऊपर था। यहां तक कि कुछ ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि 15 वीं शताब्दी तक इस ब्रिज को चलकर आसानी से पार किया जा सकता था। यह जमीन में लगभग 3 से 30 फुट तक गहरे हैं।
आज तक गुत्थी नहीं सुलझा पाए वैज्ञानिक
यह ब्रिज ना सिर्फ अपने आप में लोगों को हैरान करता है, बल्कि इसके निर्माण से जुड़े कई किस्सों की गुत्थी आज तक वैज्ञानिक नहीं सुलझा पाए। इस पुल के निर्माण में पत्थरों को आपस में जोड़ने के लिए किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया, इसके बारे में आज तक कोई नहीं जानता। पूरी दुनिया के वैज्ञानिक इसे लेकर गहन रिसर्च कर चुके हैं, लेकिन फिर भी वह कोई सटीक कारण नहीं दे सके।(तमिलनाडु के इन 4 खूबसूरत डेस्टिनेशन्स)
इसे भी पढ़ें:माया नगरी मुंबई की ये मायावी गुफाएं घूमने के लिए हैं बेस्ट
एक नहीं हैं कई नाम
तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थित राम सेतु का नाम तो आप जानती होंगी, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे अन्य भी कई नामों से जाना जाता है। इसे एडम ब्रिज, नल सेतु और सेतु बंध भी कहा जाता है। चूंकि यह ब्रिज राम और उनकी सेना द्वारा बनाया गया था, इसलिए इसे राम सेतु कहा जाता है। वहीं इसे नल सेतु इसलिए भी कहा जाता है क्योंकि वह नल ही थे, जिन्होंने रामायण के अनुसार पुल को डिज़ाइन किया गया था। एडम ब्रिज का नाम कुछ प्राचीन इस्लामिक ग्रंथों की देन है।(समुद्रों का संगम देखने एक बार जरूर जाएं कन्याकुमारी)
नहीं जा सकते जहाज
सन 1480 में समुद्र में एक विशाल चक्रवात आने के बाद यह पुल पानी के अंदर डूब गया था। हालांकि, राम सेतु आज पानी के अंदर है, लेकिन फिर भी यहां पर जहाज नहीं जा सकते। दरअसल, कुछ बिंदुओं पर गहराई के स्तर के साथ पानी उथला है। साथ ही यह पुल पूरी तरह से पानी में डूबा नहीं है। इसलिए, भारत से जहाजों को श्रीलंका पहुंचने के लिए दूसरे मार्ग को अपनाना पड़ता है।
इसे भी पढ़ें:ये बेस्ट एम्यूजमेंट पार्क थ्रिल और एक्साइटमेंट से हैं भरपूर
रहस्यमय और आश्चर्यजनक
ओशनोग्राफी के अध्ययन से पता चलता है कि यह पुल 7000 साल पुराना है। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो यह चीन की दीवार और मिस्र के पिरामिड आदि से भी पुराना है। दरअसल, यह संरचनाएं 3 से 4 हज़ार वर्ष पुरानी हैं, जबकि राम सेतु कम से कम सात हज़ार वर्ष पुराना है।
अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit:(@static2.tripoto.com,i.ytimg.co)
Recommended Video
HerZindagi Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों