हैदराबाद की दम बिरयानी देशभर में लोकप्रिय है। इसी तरह कोलकाता बिरयानी के दीवाने भी कम नहीं... इन शहरों से बाहर निकलकर देखें तो भी बिरयानी खाने वालों की कोई कमी नहीं है। आज हम मगर एक खास और बेंगलुरु जैसे शहर की सिग्नेचर बिरयानी के बारे में बात करेंगे। इसकी कहानी आज की नहीं बल्कि बहुत पुरानी है।
कुछ कहते हैं कि मराठा सैनिकों का पेट भरने के लिए इसे बनाया गया था तो कुछ ने बताया कि बेंगलुरु में आई महामारी में इसे बनाने की शुरुआत हुई थी। दोन बिरयानी क्या होती है और इसका इतिहास क्या है, चलिए हमें इस आर्टिकल में विस्तार से जानें।
चावल, हरा धनिया, फ्लेवरफुल मसालों के साथ मीट या फिर सब्जियों से बनाई जाती है। इसके लिए खास साउथ इंडियन चावलों का इस्तेमाल होता है। इस चावल को सीरगा सांबा चावल कहते हैं। हरा धनिया और पुदीना इस बिरयानी के मुख्य मसालों में से एक हैं। इस बिरयानी को प्लेट या कटोरी में नहीं बल्कि सूखे केले के पत्तों पर सर्व किया जाता रहा है, इसलिए इसका नाम 'दोन बिरयानी' पड़ा। आपको यह जानकारी बड़ी दिलचस्प लगेगी कि यह बिरयानी एक मिलिटरी होटल में बनती थी और उसके बाद से इसे मिलिटरी होटल बिरयानी के नाम से भी लोग जानने लगे। आज भी उस मिलिटरी होटल में यह बिरयानी बनती है। आखिर कैसे बनने लगी यह दोन बिरयानी चलिए आगे जानें।
ऐसा माना जाता है कि बेंगलुरु के ये मिलिटरी होटल्स शाहजी भोंसले के मराठा वंशजों के अंदर था। 1638 में बेंगलुरु पर विजय प्राप्त करने के बाद ये होटल्स मराठा शासन के दौरान ही शुरू हुए थे। इसके बाद 1935 में एस. मानाजी राव ने इसे चलाना शुरू किया और इस बिरयानी को बनाने के पीछे मानाजी राव ही थे।
द बेटर इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कहानी कुछ इस तरह थी कि भारतीय, ब्रिटिशर्स के पंजों से खुद को आजाद कराने की जंग छेड़ चुके थे। इस युद्ध में लड़ रहे सैनिकों के लिए जरूरी था कि वह अच्छा खा सकें, ताकि अंग्रेजों से लोहा ले सकें। मानाजी राव ने उस दौरान सैनिकों का पेट भरने के लिए मांस को धनिया, अदरक और लहसुन के पेस्ट, मसाले आदि के साथ मैरिनेट किया और फायरवुड पकाया और केले के पत्तों पर सर्व किया।
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इसकी एक और कहानी जो सामने आती 1800 की है। ऐसा माना जाता है कि उस दौरान शहर बुबोनिक महामारी से गुजर रहा था। बच्चे और महिलाएं दूर अपने गांवों से इधर-उधर दौड़ रह थे। उस दौरान यह मिलिटरी होटल्स बनाए गए ताकि मजदूरों और दूर गांव से आ रहे लोगों को खाना खिलाया जा सके। एसजी राव मिलिट्री होटल, शहर का अपनी तरह का पहला मान्यता प्राप्त होटल, 1908 में गोविंदा राव रणवे द्वारा कॉटनपेट क्षेत्र के आसपास स्थापित किया गया था।
बेंगलुरु के इस लोकप्रिय होटल को आज मानाजी राव के पोते चलाते हैं। उनके मुताबिक दोन बिरयानी को बनाने के लिए 2 प्रक्रियाएं हैं। पहली प्रक्रिया में मांस के साथ मिक्स चावल को फायरवुड में धीरे-धीरे पकाया जाता है। इससे इसका एक अनोखा फ्लेवर आता है। दूसरे स्टेप में बिरयानी को केले के पत्ते (केले के पत्ते के बेनिफिट्स) में डाला जाता है जो और फ्लेवर जोड़ता है। इस बिरयानी के स्ट्रॉन्ग फ्लेवर्स इसे खास बनाते हैं। मराठा स्टाइल में बनाई गई यह बिरयानी यूं ही नहीं बेंगलुरु की सिग्नेचर डिश बनी। इसे बनाने के पीछे जुड़े कुछ इमोशन्स जिसने इस बिरयानी को घर-घर में पॉपुलर बनाया।
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देखा तो यह है दोन बिरयानी बनने की कहानी। क्या आपने कभी दोन बिरयानी का मजा लिया है? अपने अनुभवों को हमारे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर शेयर करें। अगर आपको यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक जरूर करें। इसी तरह तमाम स्वादिष्ट पकवानों के किस्सों के लिए पढ़ते रहें हरजिंदगी।
Image Credit: Shutterstock, Zomato & Swiggy
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