Jodhpur Blue City Of India: जोधपुर, राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है, जिसे ब्लू सिटी के नाम से भी जाना जाता है। यह राजस्थान के उन शहरों में से एक है, जहां सिर्फ देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी पर्यटक भी शाही मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाने के लिए पहुंचते हैं।
जोधपुर कई प्रसिद्ध फोर्ट, महल, पैलेस और स्मारकों के लिए जाना जाता है। जैसे-उम्मेद भवन पैलेस, खेजड़ला किला, जसवंत थाडा को एक्सप्लोर करने हर दिन पर्यटक पहुंचते हैं।
जोधपुर की चर्चित जगहों के बारे में तो लगभग हर कोई जानता होगा, लेकिन इस आर्टिकल में हम आपको कुछ ऐसी अनदेखी जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां शायद आप भी नहीं गए होंगे।
जोधपुर के नीले घरों के दूर किसी शानदार और खूबसूरत अनदेखी जगह घूमने की बात होती है, तो कई लोग खीचन गांव का ही नाम लेते हैं। खीचन गांव, अपनी सादगी और खूबसूरती से हर पर्यटक को मोहित कर सकता है।
खीचन गांव सबसे अधिक अपनी अनोखी प्राकृतिक सुंदरता और प्रवासी कुरजां पक्षियों के लिए जाना जाता है। कहा जाता है कि यह गांव कई बार करीब 35 हजार से अधिक साइबेरियन कुरजां पक्षियों का घर बन जाता है और गांव का कोई भी इन्हें छूता तक नहीं है। यह गांव राजस्थानी परंपरा के लिए भी जाना जाता है।
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जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट के बारे में तो लगभग हर कोई जानता होगा, लेकिन फोर्ट से कुछ ही मीटर की दूरी पर स्थित राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। यह पार्क करीब 72 हेक्टेयर में फैला है।
राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क का निर्माण साल 2006 में हुआ था। यह खूबसूरत पार्क हर 200 से अधिक पौधों की प्रजातियों के लिए जाना जाता है। मानसून के समय यहां भारी संख्या में पर्यटक घूमने के लिए पहुंचते हैं। पार्क का टिकट प्रति व्यक्ति करीब 100 रूपया है।
जोधपुर मुख्य शहर से करीब 60 किमी दूर सुकरी नदी के तट पर स्थित सरदार समंद झील, उन अनदेखी जगहों में से एक है, जहां घूमने के बाद आप खुशी से झूम उठेंगे। समंद झील को स्थानीय से लेकर प्रवासी पक्षियों का बसेरा माना जाता है।
सरदार समंद झील अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध तो है ही साथ में झील के किनारे स्थित सरदार समंद लेक पैलेस भी सैलानियों को मोहित कर सकता है। कहा जाता है कि समंद लेक पैलेस को महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा बनवाया गया था। मानसून में पैलेस से लेकर झील की खूबसूरती चरम पर होती है।
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जोधपुर के अनदेखी जगहों में तूरजी का झालरा भी शामिल है, जिसे कई लोग जोधपुर बावड़ी के नाम से भी जानते हैं। इतिहास के अनुसार इसका निर्माण 1740 में महाराजा अभय सिंह की रानी के द्वारा बनवाया गया था।
तूरजी का झालरा, जोधपुर के जल प्रणाली का एक बेहतरीन नमूना है। इस बावड़ी की सदियों पुरानी संरचना आज भी सैलानियों को खूब आकर्षित करती है। इस बावड़ी की सीढियों की वास्तुकला भी सैलानियों को खूब आकर्षित करती है।
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