तमिलनाडु के जम्बुकेश्वर मंदिर से जुड़ी ये बातें जानकर आप भी यहां करेंगे दर्शन

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में जम्बुकेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है, जिसका अपना एक अलग आध्यात्मिक महत्व है। इस मंदिर से जुड़े ऐसे कई फैक्ट्स हैं, जो लोगों को आकर्षित करते हैं। 

What is special about Jambukeswarar temple

तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जहां पर कई मंदिर स्थित हैं, जिनका अपना एक अलग आध्यात्मिक महत्व है। हालांकि, इनमें तिरुचिरापल्ली में स्थित जम्बुकेश्वर मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता है। 7वीं शताब्दी ई. में निर्मित यह प्राचीन हिंदू मंदिर है। ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे शानदार शिव मंदिरों में से एक है।

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह तमिलनाडु के प्रसिद्ध 5 शिव मंदिरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण हिंदू चोल राजवंश के राजा कोकेंगानन के द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी यकीनन बेहद लुभावनी है। अगर आप एक शिवभक्त हैं तो इस मंदिर के दर्शन अवश्य करना चाहेंगे। हालांकि, इस मंदिर से जुड़ी ऐसी कई बातें हैं, जिन्हें जानने के बाद आपकी यहां पर दर्शन करने की रुचि कई गुना बढ़ जाएगी-

नहीं होता शिव-पार्वती विवाह

facts about jambukeswarar temple  in tamilnadu

जहां देश के कई अलग-अलग मंदिरों में शिव-पार्वती विवाह का महोत्सव बेहद धूमधाम से मनाया जाता है, वहीं जम्बुकेश्वर मंदिर में शिवजी व मां पार्वती का विवाह नहीं करवाया जाता। इसके पीछे का कारण मंदिर से जुड़ी किदंवती है। ऐसी मान्यता है कि एक बार भगवान शिव ने देवी पार्वती को पृथ्वी पर जाकर तपस्या करने के लिए कहा था। ऐसे में देवी पार्वती अकिलंदेश्वरी के रूप में धरती पर आईं और उन्होंने जंबू वन में भगवान शिव की आराधना की। बाद में, भगवान शिव से दर्शन देकर मां पार्वती की तपस्या पूरी की। चूंकि, यहां पर मां पार्वती एक शिष्य के रूप में हैं और भगवान शिव गुरु के रूप में, इसलिए उनका विवाह नहीं करवाया जाता। यहां तक कि मंदिर में मूर्तियों को एक दूसरे के विपरीत स्थापित किया गया है।

ऐसे पड़ा नाम

इस मंदिर में मां पार्वती को अकिलंदेश्वरी और भगवान शिव को जम्बुकेश्वर के रूप में पूजा जाता है। दरअसल, जब देवी पार्वती धरती पर आईं तो उन्होंने कावेरी नदी के जल से लिंगम का निर्माण किया। इसलिए मंदिर में स्थापित शिवलिंग को अप्पू लिंगम कहा गया। देवी मां ने लिंगम की स्थापना एक जम्बू वृक्ष के नीचे की थी। इसलिए, यहां पर भगवान शिव को जम्बुकेश्वर के रूप में पूजा जाता है।

पूजारी पहनते हैं स्त्रियों के वस्त्र

dress code for Jambukeswarar temple

इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक मान्यता यह भी है कि यहां पर पुजारी भगवान जम्बुकेश्वर की पूजा करते हुए किसी महिला के समान वस्त्र पहनते हैं। ऐसा करने के पीछे वजह बहुत खास है। दरअसल, इस मंदिर में देवी पार्वती ने भगवान शिव की तपस्या की थी, इसलिए आज भी यहां पर पुजारियों द्वारा पूजा के दौरान महिला के समान वस्त्र पहनने की मान्यता है।

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मंदिर का है अपना ऐतिहासिक महत्व

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी मंदिर को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस मंदिर का उल्लेख थेवरम और थिरुवसागम जैसे प्राचीन तमिल ग्रंथों में भी मिलता है। इस मंदिर का निर्माण कई शताब्दियों पहले किया गया था और इसके इतिहास में विभिन्न राजवंशों द्वारा इसका संरक्षण किया गया है।

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Image Credit- Wikipedia, tamilnadu tourism

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