हर साल मकर संक्रांति को हमारे देश के कई राज्यों में मनाया जाता है। हर राज्य में मकर संक्रांति के कई अलग रंग और रूप देखे जा सकते हैं। कई राज्यों में इस दिन अनोखे रीति-रिवाज और आयोजन देखने को मिलते हैं।
ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में गोचर के पहले दिन का और सर्दियों के अंत और गर्म और लंबे दिनों की शुरुआत का प्रतीक है। मकर संक्रांति एकमात्र भारतीय त्योहार है जो सौर चक्रों के अनुसार मनाया जाता है, जबकि अधिकांश त्योहार हिंदू कैलेंडर के चंद्र चक्र का पालन करते हैं। इसलिए, यह लगभग हमेशा हर साल (14 जनवरी) एक ही ग्रेगोरियन डेट पर पड़ता है और शायद ही कभी एक या एक दिन की तारीख में बदलाव होता है।
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को बड़ा त्यौहार माना गया है क्योंकि इससे बहुत सारी कथाएं जुड़ी हुई हैं। इस दिन दान करने, गंगा नदी में स्नान करने और खिचड़ी खाने का अलग ही महत्व है। इस पर्व की खासियत यह है कि यह पूरे भारत वर्ष में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। आइए फिर हम आपको बताते हैं कि मकर संक्रांति पर किसी जगह पर क्या मनाया जाता है।
दक्षिण भारत
दक्षिण भारत में मकर संक्रांति को बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल कहते हैं, जिसमें चार दिवसीय आयोजन होते हैं। पहला दिन भोगी - पोंगल, दूसरा दिन सूर्य- पोंगल, तीसरा दिन मट्टू- पोंगल और चौथा दिन कन्या- पोंगल के रूप में मनाते हैं। ऐसे मौके पर यहां चावल के पकवान, रंगोली और भगवान कृष्ण की पूजा करने का रिवाज है।
केरल में इसे मकर विलक्कू कहते हैं और सबरीमाला मंदिर के पास जब मकर ज्योति आसमान में दिखाई देती है, तो लोग उसके दर्शन करते हैं। कर्नाटक में 'एलु बिरोधु' नामक एक अनुष्ठान के साथ संक्रांति मनाई जाती है, जहां महिलाएं कम से कम 10 परिवारों के साथ एलु बेला (ताजे कटे हुए गन्ने, तिल, गुड़ और नारियल का उपयोग करके बनाई गई क्षेत्रीय व्यंजनों) का आदान-प्रदान करती हैं।
इसी तरह आंध्र प्रदेश में संक्रांति का पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है, जिसमें लोग पुरानी चीजों को फेंक कर नई चीजें लाते हैं। किसान अपने खेत, गाय और बैलों की पूजा करते हैं और तरह-तरह के व्यंजन खाए-खिलाए जाते हैं।
पंजाब
पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है। माघी के दिन तड़के नदी में स्नान का विशेष महत्व है। हिंदू तिल के तेल से दीपक जलाते हैं क्योंकि यह समृद्धि देने वाला और सभी पापों को दूर करने वाला माना जाता है। माघी पर श्री मुक्तसर साहिब में एक प्रमुख मेला आयोजित किया जाता है जो सिख इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है। भांगड़ा और गिद्दा किया जाता है, जिसके बाद सारे बैठकर खिचड़ी, गुड़ और खीर खाते हैं। लोहड़ी संक्रांति या माघी से एक रात पहले मनाई जाती है। माघी के अगले दिन से किसान अपने वित्तीय वर्ष की शुरुआत करते हैं।
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गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश
गुजराती में मकर संक्रांति को उत्तरायण कहा जाता है। यहां इस दिन बहुत बड़ा पर्व मनाया जाता है जो 2 दिनों तक चलता है। 14 जनवरी को उत्तरायण और 15 जनवरी को वासी-उत्तरायण (बासी उत्तरायण) है। गुजरात में दिसंबर से मकर संक्रांति तक लोग उत्तरायण का आनंद लेने लगते हैं। यहां बड़े उल्लास से काइट फेस्टिवल मनाया जाता है और उंधियू और चिक्की इस दिन विशेष त्यौहार व्यंजन हैं।
पतंगबाजी को पारंपरिक रूप से इस त्योहार के एक भाग के रूप में मनाया जाता है, जो राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी खूब लोकप्रिय है। इसे राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में संक्रांत कहते हैं और आमतौर पर महिलाएं इसमें एक अनुष्ठान का पालन करती हैं जिसमें वे 13 विवाहित महिलाओं को किसी भी प्रकार की वस्तु (घर, श्रृंगार या भोजन से संबंधित) देती हैं।
असम
माघ बिहू जिसे भोगली बिहू भी कहा जाता है, असम, भारत में मनाया जाने वाला एक फसल उत्सव है, जो माघ (जनवरी-फरवरी) के महीने में कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक है। यह संक्रांति का असम उत्सव है, जिसमें एक सप्ताह तक दावत होती है। युवा लोग बांस, पत्तियों और छप्पर से मेजी नाम की झोपड़ियों का निर्माण करते हैं, जिसमें वे दावत खाते हैं, और फिर अगली सुबह उन झोपड़ियों को जलाया जाता है। माघ बिहू के दौरान असम के लोग विभिन्न नामों से चावल के केक बनाते हैं जैसे कि शुंग पिठा, तिल पिठा आदि और नारियल की कुछ अन्य मिठाइयां भी बनती हैं, जिन्हें लारू कहा जाता है।
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उत्तराखंड
कुमाऊं और गढ़वाल में इस उत्सव को बहुत खूबसूरत तरीके से मनाया जाता है। कुमाऊं में जहां इसे घुघुती भी कहते हैं, वहीं गढ़वाल में खिचड़ी संक्रांत कहा जाता है। भारतीय धार्मिक ग्रंथों के अनुसार उत्तरायण के दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है, यानी इस दिन से सूर्य 'उत्तरायण' हो जाता है। मौसम में बदलाव होता है और पहाड़ी चिड़िया घुघुती पहाड़ों पर वापसी करती है।
कुमाऊं में घुघुती बनाई जाती है, जो एक मिठाई होती है। इसे अलग-अलग आकार में बनाया जाता है। घुघुती चिड़िया के स्वागत पर इसे बनाने की परंपरा है। इसे आटे और गुड़ से बनाया जाता है और गढ़वाली घरों में खिचड़ी बनाई जाती है और उसे दान भी दिया जाता है।
इन पांच जगहों की तरह हिमाचल, कश्मीर, ओडिशा आदि जैसी जगहों पर भी अलग-अलग तरह से मकर संक्रांति मनाई जाती है। आपके यहां इस उत्सव में क्या होता है, हमें जरूर बताएं। अगर यह लेख आपको पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें। साथ ही ऐसे अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।
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