
पुराने जमाने में हर कोई हाथ से खाना खाता था। आज भी आपने घरों में दादी-नानी को कहते हुए सुना होगा कि हाथ से खाना खाओ तभी स्वाद का पता चलेगा। आज के समय में ज्यादातर लोग स्पून या फाेर्क से खाना पसंद करते हैं। लोगों को लगता है कि खाने का स्वाद सिर्फ जुबान से ही चखा जाता है, लेकिन साइंस कहती है कि खाने का स्वाद सिर्फ खाने में मौजूद चीजों पर ही नहीं, बल्कि हमारे हाथ में पकड़ी कटलरी यानी चम्मच-कांटे पर भी निर्भर करता है।
Oxford University की स्टडी ने साफ बताया है कि फोर्क, स्पून या नाइफ का वजन, रंग, डिजाइन और मटीरियल भी जायका बदल सकता है। आइए हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं।
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शोधकर्ताओं ने बताया कि हमें किसी खाने का असली मजा या स्वाद, सिर्फ जुबान से नहीं, बल्कि कई चीजाें से मिलकर आता है। जैसे- जुबान का स्वाद, खाने की खुशबू, मुंह में उसका अहसास (जैसे नरम या क्रिस्पी होना) और यहां तक कि वो आंखों से कैसा दिखता है। ये सब मिलकर ही तय करते हैं कि खाना कितना स्वादिष्ट लगेगा।
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स्टडी में पाया गया कि जब लोगों ने हैवी और अच्छी क्वालिटी की कटलरी से मिठाई खाई, तो उन्हें मिठाई ज्यादा मीठी और स्वादिष्ट लगी, लेकिन वही मिठाई हल्की प्लास्टिक वाली कटलरी से कम मीठी महसूस हुई। यानी फर्क सिर्फ कटलरी का था, मिठाई का नहीं।
स्टडी में ये बात भी सामने आई कि कटलरी का डिजाइन भी स्वाद को बदल सकता है। जैसे केक खाने वाला कांटा (केक फोर्क) बाकी कांटों से थोड़ा अलग होता है। इस फोर्क का एक किनारा थोड़ा चपटा या धारदार बनाया जाता है। ये छोटा-सा हिस्सा चाकू (नाइफ) जैसा काम करता है, जिससे आप केक को आसानी से काट सकते हैं। इससे होता ये है कि जब आप केक खाते हैं, तो हर बाइट आपको ज्यादा मुलायम (स्मूद) लगता है। आखिरकार, इसका सीधा असर आपके स्वाद पर पड़ता है, यानी केक खाने का मजा बढ़ा देता जाता है।
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एक दूसरी स्टडी में पाया गया कि जिंक या कॉपर (तांबा) की चम्मच से हल्की कड़वाहट आती है, जबकि स्टेनलेस स्टील या गोल्ड की चम्मच स्वाद को न्यूट्रल और मजेदार बना देती है। यानी चम्मच किस मेटल से बनी है, इससे भी स्वाद बदल सकता है।
स्टडी के मुताबिक, कटलरी का रंग भी काफी मायने रखता है। जैसे दही जब सफेद चम्मच से खाया गया, तो लोगों को ज्यादा मीठा लगा। वही दही काली चम्मच से उतना मीठा नहीं लगा। ये इसलिए होता है क्योंकि दिमाग पहले रंग देखकर ही स्वाद के बारे में अनुमान बना लेता है। मिठास सिर्फ चीनी में नहीं, कटलरी में भी छिपी है।
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इस रिसर्च से साफ है कि फोर्क का वजन, उसका डिजाइन, मेटल और रंग स्वाद को बदल देते हैं। इसलिए कभी-कभी हमें कुछ ज्यादा मीठा या ज्यादा स्वादिष्ट महसूस होता है, जबकि असल में ऐसा नहीं होता है। अगर आप अच्छी, बैलेंस्ड और साफ-सुथरी कटलरी का इस्तेमाल करते हैं, तो आपका खाने का एक्सपीरियंस भी अपने-आप बेहतर हो जाता है।
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