लेह के दक्षिण में पैंतालीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हेमिस मठ। यह लद्दाख का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ है और देश का एक धरोहर स्थल भी है। सिन्धु नदी के किनारे शानदार पहाड़ों के बीच स्थित यह मठ इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय मठ है और इसलिए यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आपको बता दें कि हेमिस मठ भारत के सबसे धनी मठों में से एक है, क्योंकि यहां पर सोने और चांदी से बने स्तूपों के अलावा भगवान बुद्ध की एक शानदार तांबे की मूर्ति भी बनी हुई है। यह मठ वास्तव में सुंदर प्राकृतिक परिवेश और प्राचीन आध्यात्मिक संस्कृति का समावेश है। यहां बौद्ध आध्यात्मिक अनुयायियों का तांता लगा रहता है। तो आइए जानते हैं इस मठ के बारे में कुछ और रोचक बातें।
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इस मठ की सुंदर वास्तुकला
सबसे पहले आपको बता दें कि हेमिस मठ का निर्माण 1630 में स्टैगसंग रास्पा नवांग ग्यात्सो द्वारा किया गया था और 1672 में लद्दाखी राजा सेंगे नामग्याल ने इसका पुनर्निर्माण किया था। इस मठ (5 फेमस बौद्ध मठों के बारे में जानें) में तिब्बती शैली की शानदार वास्तुकला देखी जा सकती है, जो कई रंगों से सजी और बेहद आकर्षक है। हेमिस मठ दो मुख्य भागों में विभाजित है, जिसमें पहला भाग सभा भवन जिसे 'दूखांग' के नाम से जाना जाता है और दूसरा मुख्य भाग मंदिर है जिसे 'शोंगखांग' के नाम से जाना जाता है। मुख्य भवन परिसर में प्रवेश एक बड़े द्वार के माध्यम से किया जाता है जो आयताकार प्रांगण तक पहुंचता है और इसकी दीवारों पर सफेद रंग है। हेमिस मठ की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसकी दीवारों को धार्मिक आकृतियों के सुंदर चित्रों से सजाया गया है। स्तूपों के साथ भगवान बुद्ध की प्रतिमा इसका प्रमुख आकर्षण केंद्र है। इस मठ के परिसर में तिब्बतन धार्मिक पुस्तकों की एक लाइब्रेरी भी स्थित है।
मठ में होने वाले समारोह
यहां हेमिस समारोह मनाया जाता है जो बौद्ध भगवान पद्मसंभव को समर्पित है। इस समारोह को उनके जीवन और योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस समारोह को विभिन्न आध्यात्मिक रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। इस समारोह की खास बात यह है कि इसे 11 सालों में एक बार मनाया जाता है और जून - जुलाई के महीनों में इसका आयोजन किया जाता है। समारोह में वहां के स्थानीय लोग पारंपरिक तिब्बती कपड़े पहनते हैं और लामास नृत्य करते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में 'चाम नृत्य' भी कहा जाता है।
मठ का प्रवेश शुल्क और खुलने और बंद होने का समय
हेमिस मठ में पर्यटकों के घूमने के लिए पचास रूपये प्रति व्यक्ति एंट्री फीस है। मठ पर्यटकों के लिए हर रोज सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक और दो बजे से लेकर शाम छह बजे तक खुला रहता है।
हेमिस मठ घूमने का सबसे अच्छा समय
आपको बता दें, हेमिस मठ की यात्रा का सबसे अच्छा समय मई और सितंबर का महीना है, क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम काफी सुहावना होता है। जबकि नवंबर से शुरू होने वाली सर्दियों के दौरान मठ की यात्रा से बचें, क्योंकि इस समय भारी बर्फबारी के कारण अधिकांशतः मार्ग बंद रहते हैं।
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हेमिस मठ कैसे पहुंचे
अगर आप फ्लाइट से यहां जाना चाहती हैं तो निकटतम हवाई अड्डा लेह में स्थित कुशोक बकुला रिंपोचे हवाई अड्डा है, जो इस मठ से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लेह एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप यहां बस, ऑटो या टैक्सी से मठ पहुंच सकती हैं। अगर आपको सड़क मार्ग से जाना है तो आपको बता दें कि हेमिस मठ जम्मू-कश्मीर के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी शहरों से इस मठ के लिए नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
Photo courtesy- (freepik.com, taleof2backpackers.com, ancient-origins.net)
लेह के दक्षिण में पैंतालीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है हेमिस मठ। यह लद्दाख का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ है और देश का एक धरोहर स्थल भी है। सिन्धु नदी के किनारे शानदार पहाड़ों के बीच स्थित यह मठ इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय मठ है और इसलिए यह पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आपको बता दें कि हेमिस मठ भारत के सबसे धनी मठों में से एक है, क्योंकि यहां पर सोने और चांदी से बने स्तूपों के अलावा भगवान बुद्ध की एक शानदार तांबे की मूर्ति भी बनी हुई है। यह मठ वास्तव में सुंदर प्राकृतिक परिवेश और प्राचीन आध्यात्मिक संस्कृति का समावेश है। यहां बौद्ध आध्यात्मिक अनुयायियों का तांता लगा रहता है। तो आइए जानते हैं इस मठ के बारे में कुछ और रोचक बातें।
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इस मठ की सुंदर वास्तुकला
सबसे पहले आपको बता दें कि हेमिस मठ का निर्माण 1630 में स्टैगसंग रास्पा नवांग ग्यात्सो द्वारा किया गया था और 1672 में लद्दाखी राजा सेंगे नामग्याल ने इसका पुनर्निर्माण किया था। इस मठ (5 फेमस बौद्ध मठों के बारे में जानें) में तिब्बती शैली की शानदार वास्तुकला देखी जा सकती है, जो कई रंगों से सजी और बेहद आकर्षक है। हेमिस मठ दो मुख्य भागों में विभाजित है, जिसमें पहला भाग सभा भवन जिसे 'दूखांग' के नाम से जाना जाता है और दूसरा मुख्य भाग मंदिर है जिसे 'शोंगखांग' के नाम से जाना जाता है। मुख्य भवन परिसर में प्रवेश एक बड़े द्वार के माध्यम से किया जाता है जो आयताकार प्रांगण तक पहुंचता है और इसकी दीवारों पर सफेद रंग है। हेमिस मठ की सबसे खूबसूरत बात यह है कि इसकी दीवारों को धार्मिक आकृतियों के सुंदर चित्रों से सजाया गया है। स्तूपों के साथ भगवान बुद्ध की प्रतिमा इसका प्रमुख आकर्षण केंद्र है। इस मठ के परिसर में तिब्बतन धार्मिक पुस्तकों की एक लाइब्रेरी भी स्थित है।
मठ में होने वाले समारोह
यहां हेमिस समारोह मनाया जाता है जो बौद्ध भगवान पद्मसंभव को समर्पित है। इस समारोह को उनके जीवन और योगदान को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। इस समारोह को विभिन्न आध्यात्मिक रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। इस समारोह की खास बात यह है कि इसे 11 सालों में एक बार मनाया जाता है और जून - जुलाई के महीनों में इसका आयोजन किया जाता है। समारोह में वहां के स्थानीय लोग पारंपरिक तिब्बती कपड़े पहनते हैं और लामास नृत्य करते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में 'चाम नृत्य' भी कहा जाता है।
मठ का प्रवेश शुल्क और खुलने और बंद होने का समय
हेमिस मठ में पर्यटकों के घूमने के लिए पचास रूपये प्रति व्यक्ति एंट्री फीस है। मठ पर्यटकों के लिए हर रोज सुबह आठ बजे से दोपहर एक बजे तक और दो बजे से लेकर शाम छह बजे तक खुला रहता है।
हेमिस मठ घूमने का सबसे अच्छा समय
आपको बता दें, हेमिस मठ की यात्रा का सबसे अच्छा समय मई और सितंबर का महीना है, क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम काफी सुहावना होता है। जबकि नवंबर से शुरू होने वाली सर्दियों के दौरान मठ की यात्रा से बचें, क्योंकि इस समय भारी बर्फबारी के कारण अधिकांशतः मार्ग बंद रहते हैं।
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हेमिस मठ कैसे पहुंचे
अगर आप फ्लाइट से यहां जाना चाहती हैं तो निकटतम हवाई अड्डा लेह में स्थित कुशोक बकुला रिंपोचे हवाई अड्डा है, जो इस मठ से लगभग 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। लेह एयरपोर्ट पहुंचने के बाद आप यहां बस, ऑटो या टैक्सी से मठ पहुंच सकती हैं। अगर आपको सड़क मार्ग से जाना है तो आपको बता दें कि हेमिस मठ जम्मू-कश्मीर के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जम्मू-कश्मीर के लगभग सभी शहरों से इस मठ के लिए नियमित बस सेवाएं भी उपलब्ध हैं। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
Photo courtesy- (freepik.com, taleof2backpackers.com, ancient-origins.net)
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