पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर भारत से लेकर दक्षिण भारत का इतिहास पढ़ा जाता है तो महल और फोर्ट का जिक्र जरूर होता है। भारत में ऐसे कई प्राचीन और प्रसिद्ध फोर्ट्स मजूद हैं, जो भारत का इतिहास दर्शाने का काम करते हैं।
भारत के अन्य हिस्सों की तरह दक्षिण भारत में भी एक से एक प्राचीन और फेमस फोर्ट्स मौजूद हैं। दक्षिण भारतीय राज्यों में चेर, चोल, पाण्ड्य, पल्लव, सातवाहन, चालुक्य, होयसल और राष्ट्रकूट राजवंशों द्वारा निर्मित ऐसे कई महल और फोर्ट्स मौजूद हैं, जो आज भी लाखों पर्यटकों के लिए आकर्षण के केंद्र है।
दक्षिण भारत के कर्नाटक में स्थित बादामी फोर्ट या गुफाएं भी भारतीय इतिहास को दर्शाने का काम करते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बादामी फोर्ट का इतिहास और इससे जुड़ी कुछ रोचक जानकारियों के लिए बारे में बताने जा रहे हैं।
बादामी फोर्ट का इतिहास काफी प्राचीन है। जी हां, इस फोर्ट का इतिहास करीब 5वीं शताब्दी से भी प्राचीन है। इतिहास के अनुसार इस भव्य फोर्ट का निर्माण 543 ईस्वी के आसपास चालुक्य वंश के राजा पुलकेशी द्वारा किया गया था। यह कर्नाटक के बागलकोट ज़िले में स्थित है।
इस प्राचीन का फोर्ट का निर्माण एक पहाड़ी की चोटी पर किया गया है। इसमें दो शिवालय परिसर हैं, जो पुलकेशी द्वितीय द्वारा निर्मित हैं और 5वीं शताब्दी के हैं। आपको बता दें कि बादामी को पहले वातापी के नाम से जाना जाता था।
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बादामी फोर्ट की वास्तुकला काफी सुंदर और अद्भुत मानी जाती है। इस फोर्ट की वास्तुकला ही सैलानियों को आकर्षित करती है। बादामी फोर्ट की वास्तुकला को आज बनाना बेहद ही दुर्लभ है।
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बादामी फोर्ट का निर्माण चालुक्य वास्तुकला के अनुसार किया गया है।फोर्ट का कुछ हिस्स बलुआ पत्थर से किया गया है और बाकि हिस्से को पहाड़ को काटकर निर्माण किया गया है। कहा जाता है कि समय-समय यह फोर्ट कई राजाओं के अधीन रहा और इसकी वास्तुकला अपने अनुसार बदलते रहे। (कर्नाटक में घूमने की बेस्ट जगहें)
बादामी फोर्ट से जुड़े रोचक तथ्य बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि यह फोर्ट टीपू सुल्तान के भी अधीन रहा है और टीपू सुल्तान इस फोर्ट में खजाना रखने का काम करता था।
कहा जाता है कि इस फोर्ट में कई बड़े-बड़े तहखाने मौजूद थे जो कई गुप्त रास्तों से जुड़े होते थे। फोर्ट में मौजूद तहखाने में ही टीपू सुल्तान अपना और एनी राज्यों से लुटा हुआ खजाना रखता था।
कहा जाता है कि बादामी फोर्ट में मौजूद टीपू सुल्तान के खजाने को कई बार खोजने कोशिश की गई पर हर बार खाली हाथ ही लगा। अब इन तहखानों के आसपास जाना मना है।
बादामी का फोर्ट जिस तरह प्रसिद्ध है, उससे कई गुणा अधिक बादामी की गुफाएं लोकप्रिय हैं। यहां मौजूद गुआ हिन्दू और जैन धर्म से सम्बंधित है। यह गुफाएं अपनी सुंदर नक्काशी के लिए जानी जाती हैं। यहां चार गुफाएं प्रसिद्ध हैं।
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बादामी फोर्ट और गुफा घूमने का समय सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5:30 तक का होता है। यहां घूमने के लिए भारतीय पर्यटकों को 10 रुपये और विदेशी पर्यटकों को 100 रुपये टिकट लेना होता है। 15 वर्ष के कम उम्र के बच्चों के लिए कोई टिकट नहीं होता है।
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