इन 3 शिव मंदिरों में सावन के महीने में मिलती है फ्री में रहने और खाने की सुविधा, आप भी करें एक्सप्लोर

सावन भगवान शिव का महीना है। ऐसे में अगर आप भारत के शिव मंदिरों की यात्रा करने निकले हैं, तो ऐसी जगहों के बारे में जानें जहां आप मुफ्त में रह सकते हैं। यहां आपको खाना भी मुफ्त में मिलेगा। चलिए इस लेख को पढ़कर आप भी उन मंदिरों के बारे में जानें।
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सावन का महीना शिवभक्तों के लिए किसी पर्व से कम नहीं होता। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की पूजा, रुद्राभिषेक और कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है। देशभर से लाखों श्रद्धालु हर साल सावन में प्रसिद्ध शिव मंदिरों की ओर रुख करते हैं. कुछ मन्नतें लेकर, तो कुछ शांति की तलाश में महादेव के दर्शन के लिए जाते हैं। ऐसे में अगर आपको रहने और खाने की चिंता न हो, तो यात्रा का आनंद और भी बढ़ जाता है।

भारत में कुछ प्रमुख शिव मंदिर ऐसे भी हैं, जहां सावन के दौरान न सिर्फ फ्री में भोजन कराया जाता है, बल्कि रुकने की व्यवस्था भी निशुल्क होती है। जी हां, ये सुविधाएं मंदिर ट्रस्ट और स्थानीय लोग करवाते हैं, ताकि हर श्रद्धालु को भोलेनाथ के दर्शन का अवसर मिले, चाहे उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो।

हम आपको बताएंगे ऐसे प्रसिद्ध स्थलों के बारे में जहां आपको यह सेवा मिल सकती है। आइए जानते हैं इन मंदिरों में कहां-कैसे ठहर सकते हैं, खाना कहां मिलता है और वहां तक कैसे पहुंचा जा सकता है।

1. काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी

काशी विश्वनाथ मंदिर सिर्फ एक तीर्थ स्थल नहीं, बल्कि आस्था, मोक्ष और परंपरा का प्रतीक है। यह मंदिर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे शिव की प्रिय नगरी भी कहा जाता है, जहां खुद भोलेनाथ हर पल विराजते हैं।

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माना जाता है कि जो व्यक्ति काशी में अंतिम सांस लेता है, उसके कान में स्वयं भगवान शिव ‘तारक मंत्र’ का उच्चारण करते हैं, जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि काशी में मरना जीवन का अंतिम लक्ष्य समझा जाता है।

सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। शिवरात्रि और सोमवार को तो दर्शन के लिए घंटों लंबी कतारें लगती हैं।

रहने और खाने की सुविधा-

सावन के दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर ट्रस्ट और स्थानीय धर्मशालाएं मिलकर नि:शुल्क या बेहद रियायती दरों पर ठहरने की सुविधा देती हैं। इसके अलावा ‘काशी अन्नक्षेत्र’ नामक सेवा के अंतर्गत हर दिन हजारों लोगों को फ्री में सात्विक भोजन उपलब्ध कराया जाता है।

कैसे पहुंचे:
  • रेलवे स्टेशन: वाराणसी जंक्शन (लगभग 5 किमी)
  • एयरपोर्ट: लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (25 किमी)
  • स्टेशन या एयरपोर्ट से आप ऑटो, टैक्सी या ई-रिक्शा से मंदिर परिसर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

2. श्री महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन

श्री महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन की शान है और यह भी बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। खास बात यह है कि यह एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है, जिसे अत्यंत शक्तिशाली और जागृत माना गया है। यहां शिव को महाकाल कहा जाता है।

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मंदिर की सबसे अनूठी परंपरा है भस्म आरती, जो हर दिन भोर में होती है। इस आरती में शिवलिंग पर राख से अभिषेक किया जाता है। सावन के महीने में यह आरती और भी विशेष हो जाती है और दुनियाभर से श्रद्धालु इसे देखने उज्जैन पहुंचते हैं।

रहने और खाने की सुविधा-

सावन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मंदिर प्रशासन और विभिन्न धार्मिक संगठनों द्वारा निःशुल्क रहने और खाने की बड़ी व्यवस्था की जाती है। उज्जैन में स्थित कई धर्मशालाएं और ट्रस्ट श्रद्धालुओं को साफ-सुथरे कमरे मुहैया कराते हैं। वहीं यहां भक्तों को दिनभर मुफ्त सात्विक भोजन कराया जाता है।

कैसे पहुंचें:
  • रेलवे स्टेशन: उज्जैन जंक्शन (4 किमी)
  • एयरपोर्ट: इंदौर देवी अहिल्याबाई होलकर एयरपोर्ट (55 किमी)
  • उज्जैन शहर में लोकल ऑटो, टैक्सी और बस की सुविधा उपलब्ध है, जिससे मंदिर परिसर तक पहुंचना आसान होता है।

3. बाबा बैद्यनाथ धाम, देवघर

बाबा बैद्यनाथ धाम, जिसे बाबा धाम भी कहा जाता है, झारखंड के देवघर में स्थित एक प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह भी द्वादश ज्योतिर्लिंगों में शामिल है।

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मान्यता है कि रावण ने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तप किया और उनसे यह शिवलिंग प्राप्त किया, जिसे वह लंका ले जाना चाहता था। परंतु शिव की लीला के अनुसार वह देवघर में स्थापित हो गया। इसलिए इसे बेहद शक्तिशाली और फलदायी ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

श्रावण मास में यहां श्रावणी मेला लगता है, जिसमें लाखों कांवरिए सुलतानगंज से गंगाजल लेकर लगभग 100 किलोमीटर की पदयात्रा कर बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं।

रहने और खाने की सुविधा-

श्रावणी मेले के दौरान मंदिर ट्रस्ट, प्रशासन और सामाजिक संगठनों द्वारा पूरे देवघर में विशाल शिविर लगाए जाते हैं। इनमें श्रद्धालुओं को फ्री में रुकने, नहाने और विश्राम करने की सुविधा दी जाती है। साथ ही कई स्थानों पर लंगर और भोजनशालाएं चलाई जाती हैं, जहां सात्विक भोजन नि:शुल्क परोसा जाता है।

  • कैसे पहुंचें:
  • रेलवे स्टेशन: देवघर जंक्शन (5 किमी)
  • एयरपोर्ट: देवघर एयरपोर्ट (8 किमी)
  • स्टेशन और एयरपोर्ट दोनों से मंदिर परिसर तक टैक्सी, ऑटो और लोकल वाहन आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।

अगर आप सावन में शिवभक्ति से जुड़ना चाहते हैं लेकिन बजट को लेकर चिंतित हैं, तो इन मंदिरों की यात्रा आपके लिए एक बेहतरीन मौका हो सकती है। यहां न केवल आपको आध्यात्मिक शांति मिलेगी, बल्कि रहने-खाने और नि:शुल्क व्यवस्था भी मिलेगी।

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Image Credit: Freepik

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