कृष्ण भक्तों के लिए वृंदावन का अपना एक अलग ही महत्व है। उत्तरप्रदेश राज्य के इस पवित्र शहर वृंदावन में भक्तगण दूर-दूर से बांके बिहारी के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं। यह आध्यात्मिक परमानंद की भूमि है, जो पवित्र नदियों के पवित्र जल से विभाजित है। मथुरा क्षेत्र में स्थित यह वृन्दावन नगर यह स्थान श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानी के मन्दिरों की विशाल संख्या है। वैसे तो भक्तगणों के लिए आस्था का मुख्य केन्द्र बांके बिहारी मंदिर को माना गया है और यहां आने वाला हर श्रद्धालु सबसे उन्हीं के दर्शन करता है। लेकिन इसके अलावा भी यहां पर ऐसे कई मंदिर हैं, जिनके दर्शन किए बिना वृंदावन की यात्रा पूरी नहीं होती। तो चलिए आज हम आपको वृंदावन में स्थित कुछ बेहतरीन मंदिरों के बारे में बता रहे हैं-
इस्कॉन वृंदावन मंदिर
यह मंदिर भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग पर स्थित है। अगर आप भगवान कृष्ण के बाल्यकाल के जीवन के अनुभवों को करीब से देखना चाहती हैं तो वृंदावन में इस्कॉन मंदिर जरूर जाएं। यह वृंदावन में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जिसे श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह श्री कृष्ण और श्री बलराम जी की याद में बनाया गया है। पूरी तरह से कृष्ण और उनके भाई बलराम के बचपन के दिनों को जब वे एक साथ खेला करते थे, को ध्यान में रखकर बनाया गया है। भगवान कृष्ण और श्री बलराम के चित्रों की कलाकृति से आप मंत्रमुग्ध हो जाएंगे। यहां पर नित्यानंद के साथ चैतन्य महाप्रभु, स्वामी प्रभुपाद, सरस्वती ठाकुर और भगवान कृष्ण के मित्रों को भी चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया है।
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राधा रमण मंदिर
राधा रमण मंदिर भी भगवान कृष्ण को समर्पित है। वृंदावन में अत्यधिक पूजनीय मंदिरों में से एक, यह भगवान कृष्ण का राधा के प्रति गहन प्रेम को दर्शाता है। हालांकि राधा को समर्पित होने के बावजूद, आपको मंदिर में उनकी कोई मूर्ति नहीं मिलेगी। भगवान कृष्ण के बगल में एक शानदार मुकुट है जो उनकी उपस्थिति का प्रतीक है। ठाकुर के सात मंदिरों में गिना जाता है, यह भी वृंदावन के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
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श्री रंगनाथ मंदिर
वृंदावन में मंदिरों की सूची में रंगनाथ मंदिर सबसे बड़ा है। यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी को समर्पित है। भगवान रंगनाथ, जिन्हें रंगजी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु का विश्राम रूप है। यहां पर भगवान नरसिंह, वेणुगोपाला और रामानुजाचार्य के साथ-साथ राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर की द्रविड़ शैली की वास्तुकला एक प्रमुख आकर्षण है।
प्रेम मंदिर
प्रेम मंदिर की स्थापना प्रसिद्ध जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा वर्ष 2001 में की गई थी। इस मंदिर को भगवान के प्रेम के मंदिर के नाम से जाना जाता है। वृंदावन का यह प्रसिद्ध प्रेम मंदिर विशुद्ध रूप से राधा कृष्ण और सीता राम को समर्पित है। वृंदावन के अधिकांश मंदिरों की तरह, यह भी सुंदर पारंपरिक वास्तुकला का प्रतीक है। यहां पर सुंदर नक्काशी और सफेद संगमरमर इसकी खूबसूरती को और भी कई गुना बढ़ाती है।
कात्यायनी पीठ
कात्यायनी पीठ भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है। इसे उमा शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है। नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और विजयादशमी जैसे प्रमुख अवसरों पर यहां पर भव्य समारोह किए जाते हैं। इस मंदिर में आपको शानदार वास्तुशिल्प मूर्तियां और चित्र देखने को मिलेंगे।
श्री गोविंद देवजी मंदिर
वृंदावन के आसपास के क्षेत्र में स्थित, श्री गोविंद देवजी मंदिर भगवान कृष्ण के बचपन के लिए समर्पित है। लाल बलुआ पत्थर से सुशोभित, यह मंदिर भगवान कृष्ण के बचपन के घर को दर्शाता है। यह वृंदावन में प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि मूर्ति का चेहरा ठीक भगवान के चेहरे जैसा दिखता है जब वे पैदा हुए थे। इसलिए कहा जाता है कि हर व्यक्ति को कम से कम एक बार इस पवित्र स्थान पर जरूर जाना चाहिए।
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गोपेश्वर महादेव मंदिर
वृंदावन में सबसे पुराने मंदिरों में से एक, गोपेश्वर महादेव मंदिर यमुना नदी के करीब स्थित है। यह मंदिर शिव लिंग को समर्पित है जो भगवान कृष्ण के प्रपौत्र व्रजनाभ द्वारा स्थापित किया गया था। यहां पर ईश्वर के मस्कुलीन और फेमिनिन पावर्स दोनों की पूजा की जाती है।
अब अगली बार आप जब भी वृंदावन जाएं तो एक बार इन मंदिरों के दर्शन भी अवश्य करें। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image credit: cdn.s3waas.gov.in, vrindavantourism, shrimathuraji