भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जिनका इतिहास सदियों पुराना है। कोई मंदिर रामायण काल में बना तो कोई मंदिर कृष्णा काल में। सदियों से हिंदुस्तान की धरती ऐसे कई प्राचीन मदिरों की साक्षी रही है। आज भी भारत के कोने-कोने में आपको एक से एक प्राचीन देवी-देवताओं के अद्भुत मंदिर देखने को मिल जाएंगे। इन्हीं प्राचीन मंदिरों में से एक है श्री गंगेश्वर महादेव और इस मंदिर का 'शिव लिंग'। इस शिव लिंग के दर्शन करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और इस मंदिर के प्रांगण में पूजा-पाठ करते हैं। समुन्द्र तट के चट्टानों पर स्थापित है ये शिव लिंग। हर दो सेकंड में शिव लिंग से जब समुन्द्र की लहरे टकराती हैं तो इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। तो चलिए श्री गंगेश्वर मंदिर और शिव लिंग को इस लेख के मध्यम से और करीब से जानते हैं-
5000 साल प्राचीन
ऐसा माना जाता है कि ये मंदिर लगभग 5000 साल पुरानी है, और इस मंदिर का निर्माण और शिव लिंग की स्थापना महाभारतकाल में पांडवों द्वारा किए गए थे। इस मंदिर में पांच शिव लिंग है जो हर दो सेकंड में समुद्र की लहरें शिव लिंग से टकराती हैं और फिर ये लहरें वापिस समुद्र में मिल जाती हैं। इस मंदिर के आसपास का वातावरण इतना शांत है कि जब भी कोई इस मंदिर के प्रांगण में प्रवेश करता है तो उसे समुद्र की लहरों की आवाज साफ-साफ सुनाई देती है।
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मंदिर की मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पांचों पांडव अपने निर्वासन यानि वनवास में थे, तो उसी दौरान इस मंदिर का निर्माण किया था। आगे ये भी कहा जाता है कि पांचों पांडव यहां हर रोज भगवान शिव की पूजा करने आते थे। गंगेश्वर मंदिर में शिव रात्रि का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। सावन के महीने में भी यहां लाखों श्रद्धालु महोदव के दर्शन के लिए आते हैं।
मंदिर के अन्य नाम
इस मदिर में पांच शिव लिंग हैं इसलिए यह मंदिर 'पंच शिव लिंग' के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को 'सीशोर मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है। नाम को लेकर ये भी मान्यता है कि गंगेश्वर भगवान शिव का एक नाम है जो गंगा माता को अपनी जटा से घारण करने पर मिला इसलिए इस मंदिर को गंगेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
कहां है श्री गंगेश्वर मंदिर
श्री गंगेश्वर मंदिर भारत के गुजरात के दीव शहर से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर फदुम गांव में है। इस मंदिर को गुजरात के सबसे प्राचीन शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इस मंदिर का प्रांगण सुबह 6 बजे से शाम 8 बजे तक श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। आप यहां ट्रेन, बस या फिर पर्सनल गाड़ी से भी दर्शन के लिए जा सकते हैं।
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अन्य मूर्ति इस मंदिर में
इस मंदिर में भगवान शिव की तो मूर्ति है ही साथ में भगवान गणेश, भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी माता की भी मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर भगवन शिव की पूजा करने के साथ-साथ इन देवताओं के लिए भी प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। यहां के आध्यात्मिक परिवेश को देख कर भक्त मग्न हो जाते हैं।(महाभारत की स्टारकास्ट को मिलती थी इतनी सैलरी)
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