लंदन के बिग बेन टावर की तर्ज पर बना है लखनऊ का ये घंटाघर, जानें क्या है खास

यह घंटाघर न सिर्फ समय बताता है, बल्कि अपनी वास्तुकला के सौंदर्य के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है। दावा किया जा रहा है कि हुसैनाबाद के म्यूजियम में लखनऊ का इतिहास दिखेगा, ताकि यहां आने वाले पर्यटक लखनऊ की संस्कृति और इतिहास से परिचित हो सकें।

 
history of clock tower hussainabad
history of clock tower hussainabad

एक वक्त था जब एक शहर के लिए घंटाघर बहुत ही मायने रखते थे। पूरा शहर उन्हीं के बताए समय पर अपनी दिनचर्या निर्धारित करता था। तब किसी भी घर में घड़ी नहीं हुआ करती थी और शहर का समय घंटाघर तय करते थे। ये घंटाघर न सिर्फ समय बताते थे, बल्कि अपनी वास्तुकला के सौंदर्य के लिए भी दुनिया भर में मशहूर थे।

समय बदला, जीवन की गति बदली और ये घंटाघर धीरे-धीरे विलुप्त होते चले गए। आज कोई इनसे अपनी घड़ी नहीं मिलाता, लेकिन कई ऐसे घंटाघर हैं जो इतिहास से जुड़े हुए हैं। वैसे तो हमारे पास घंटाघर की लिस्ट है जिसका इतिहास जानना रोचक है।

मगर लखनऊ का इतिहास समेटे आज भी कई घंटाघर उसी तरह खड़े हैं जैसे नीचे से गुजरते शहर को बदलते हुए देख रहे हों। समय की इन इमारतों ने खुद समय की मार झेलता रहा है, लेकिन हार नहीं मानी। इसी लिस्ट में लखनऊ का हुसैनाबाद का घंटाघर शामिल है, जिसका इतिहास काफी रोचक रहा है।

सुंदरता के लिए जाना जाता है घंटाघर

What is the history of the clock tower

यह घंटाघर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह कई जगहों को सुंदरता को बढ़ाने का काम करता है जैसे- नगर निगम कार्यालय, लोहिया पार्क और क्रिश्चियन कॉलेज आदि। इतिहास के अनुसार जिस दौर में इनका निर्माण हुआ था, तब वक्त लोगों के पास समय पता करने का कोई साधन नहीं था।

इसे जरूर पढ़ें-साल के 8 महीने पानी में डूबा रहता है यह अद्भुत मंदिर, क्या सच में मौजूद हैं यहां स्वर्ग की सीढ़ियां?

उस वक्त घड़िया सिर्फ रईसों के पास हुआ करती थी। इसलिए समय का पता लगाने के लिए अंग्रेजों से लेकर कई नवाबों ने घंटाघरों का निर्माण कराया था। हुसैनाबादक्षेत्र में ऐतिहासिक घंटाघर पूरे विश्व में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है।

इस ऐतिहासिक धरोहर के सौंदर्य को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक नवाबों के शहर आते हैं। यहां के बाशिंदों के लिए घंटाघर किसी कोहिनूर से कम नहीं है। नवाबों के शहर लखनऊ का घंटाघर भारत का सबसे ऊंचा घंटाघर है।

घंटाघर की वास्तुकला और इतिहास

What about clock tower of Lucknow

वैसे इस घंटाघर का निर्माण 1881 ई में किया गया था। इतिहास के अनुसार इसे नवाब नसीरूद्दीन हैदरने सर जॉर्ज कूपर के आगमन पर बनवाया था। कहा जाता है कि यह घंटाघर अपनी वास्तुकला के लिए ही जाता है, क्योंकि इसे लंदन के बिग बेन की तर्ज पर बनाया गया है।

इसलिए इस घंटाघर को ब्रिटिश वास्तुकला के सबसे बेहतरीन नमूनों में से एक माना जाता है। यह 221 फीट ऊंचा है, जिसे बनाने में लगभग 1.75 लाख रुपये की लागत आई थी। यह घंटाघर अंग्रेजी कलात्मक कुशलता का उदाहरण माना जाता है।

गनमेटल का किया गया है इस्तेमाल

What about clock tower of Lucknow in hindi

इतिहास के अनुसार रास्कल पायने ने इस 67 मीटर ऊंचे घंटाघर की संरचना तैयार की जो विक्टोरियन और गोथिक शैली की संरचनात्मक डिजाइन को दर्शाता है। घड़ी के निर्माण के लिए गनमेटल का प्रयोग किया गया है।

इसे जरूर पढ़ें-हैदराबाद में रात को घूमने के लिए अच्छी हैं ये 3 जगह, पार्टनर के साथ यहां बिताएं सुकून के पल

इसके विशाल पेंडुलम 14 फीट की लंबाई के हैं और घड़ी के डायल पर फूलों की डिजाइन के नंबर बने हुए हैं। सर जॉर्ज ताजिर को समर्पित घंटाघर को विजय स्तंभ स्वरूप माना जाता है। इसका निर्माण इस मकसद से किया गया था, ताकि छात्र समय के हिसाब से अपनी पढ़ाई करें।

आपकी राय हमारे लिए महत्वपूर्ण है! हमारे इस रीडर सर्वे को भरने के लिए थोड़ा समय जरूर निकालें। इससे हमें आपकी प्राथमिकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। यहां क्लिक करे

अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह के और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी से। अपने विचार हमें आर्टिकल के ऊपर कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें।

Image Credit- (@Freepik)

HerZindagi Video

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP