भारतीय परंपराओं में पूजा-पाठ के बाद आरती का विशेष महत्व है। आरती को पूजा का एक अभिन्न अंग माना जाता है जिसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। आरती करते समय यह सवाल अक्सर मन में आता है कि क्या आंखें बंद करनी चाहिए या खुली रखनी चाहिए। यूं तो शास्त्रों के अनुसार, आरती करते समय आंखें खुली रखना ही सही माना जाता है, लेकिन इसके पीछे का तर्क आइये जानते हैं हम ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
आरती करते समय आंखें बंद क्यों न करें?
आरती को भगवान का साक्षात आवाहन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब हम आरती करते हैं तो देवी-देवता स्वयं वहां प्रकट होते हैं। अगर हम आंखें बंद कर लेते हैं तो यह एक तरह से भगवान को अनदेखा करने जैसा होता है, जो सही नहीं है।
इसलिए आरती के दौरान हमें अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए और भगवान की छवि को एकटक निहारना चाहिए। इस तरह भक्ति भाव बढ़ता है और हमारा ध्यान पूरी तरह से भगवान पर केंद्रित हो पाता है। साथ ही, भगवान भी हमारी ओर देखते हैं।
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आंखें खुली रखने से हमें कुछ दिव्य अनुभूतियां भी हो सकती हैं। यह हमें भगवान से जुड़ने का एक और मौका देता है। जहां एक ओर मंत्रों का जाप करते समय आंखें बंद करना अच्छा होता है क्योंकि इससे हमारा मन एकाग्र और शांत होता है।
वहीं, दूसरी ओर आरती में भगवान की ज्योति और उनकी मूर्ति को देखना महत्वपूर्ण होता है। ऐसा करने से हमें उनका आशीर्वाद मिलता है और जीवन में आने वाली परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है। इसलिए आरती के समय अपनी आंखें खुली रखें।
आरती करने के अन्य नियम क्या हैं?
आरती हमेशा खड़े होकर करनी चाहिए क्योंकि यह सम्मान और आदर का प्रतीक है। जब हम खड़े होकर आरती करते हैं तो यह दर्शाता है कि हम पूरी श्रद्धा और विनम्रता के साथ भगवान का स्वागत कर रहे हैं। बैठने से यह भावना कम हो जाती है।
आरती की थाली में दीपक के अलावा कुछ और चीजें भी होनी चाहिए। इसमें फूल, कपूर और अक्षत रखना शुभ माना जाता है। दीपक को सही तरीके से जलाएं और यह सुनिश्चित करें कि उसमें पर्याप्त घी या तेल हो ताकि आरती के दौरान वह बुझे नहीं।
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आरती को भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने घड़ी की दिशा में घुमाना चाहिए। आरती को पहले भगवान के चरणों की तरफ चार बार, फिर नाभि की तरफ दो बार और अंत में मुख की तरफ एक बार घुमाना चाहिए। इसके बाद, पूरे विग्रह के सामने आरती घुमाएं।
आरती के बाद शंख बजाना बहुत शुभ माना जाता है। शंख की ध्वनि से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है। इसके बाद, शंख में थोड़ा जल भरकर चारों दिशाओं में छिड़कना चाहिए। यह जल सभी को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद देता है।
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