घर के बीचों-बीच बैठकर ही क्यों करना चाहिए भोजन?

घर के बीचों-बीच के स्थान को लेकर वास्तु शास्त्र में बहुत कुछ बताया गया है। इसी कड़ी में आज हम जानेंगे कि घर के बीचों-बीच यानी कि ब्रह्म स्थान पर बैठकर भोजन करने से क्या होता है।    
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वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के बीच का स्थान ब्रह्म स्थान माना जाता है। इस स्थान पर ब्रह्मा का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्म स्थान को हमेशा खाली छोड़ना चाहिए या फिर अगर कुछ रखना भी हो तो बहुत हल्का और सकारात्मकता से जुड़ा कुछ स्थापित करना चाहिए क्योंकि ब्रह्म स्थान से पॉजिटिव ऊर्जा का जन्म होता है और वह ऊर्जा घर में संचारित होती है। घर के बीचों-बीच के स्थान को लेकर वास्तु शास्त्र में और भी बहुत कुछ बताया गया है। इसी कड़ी में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स के माध्यम से आज हम जानेंगे कि घर के बीचों-बीच यानी कि ब्रह्म स्थान पर बैठकर भोजन करने से क्या होता है।

घर के बीचों-बीच खाना खाने के क्या लाभ हैं?

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घर के बीच का स्थान घर में सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है। यहां तक कि घर के पूजा स्थल से भी ज्यादा इस जगह से सकारात्मकता संचारित होती है। ऐसे में अगर घर के बीच में बैठकर खाना खाया जाए तो इससे ग्रहण किया गया अन्न अमृत के र्रोप में शरीर को लगता है और स्वास्थ्य प्रदान करता है। हालांकि आज के समय में ज्यादातर लोग जमीन पर बठकर खाने के बजाय डाइनिंग टेबल पर खाते हैं, लेकिन अगर आप घर के ब्रह्म स्थान पर भोजन करना शुरू कर दें तो आपको उस स्थान की ऊर्जा के कारण स्वास्थय लाभ खुद ही नजर आने लगेगा।

घर के बीचों बीच बैठकर खाना खाने से स्वास्थय लाभ के अलावा, आर्थिक लाभ भी मिलता है। वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि घर के बीच का स्थान धन आकर्षित करने का काम करता है। अगर घर के बीच का स्थान साफ-सुथरा और रिक्त है तो इससे उस स्थान की ऊर्जा धन को आकर्षित करती है।

ऐसे में घर के बीच में बैठकर अगर हम खाना खाते हैं तो उस स्थान के प्रभाव से घर में धन और धान्य बढ़ता है। व्यक्ति को घर में न हो तो कभी धन का अभाव झेलना पड़ता है और न ही कभी अनाज की कमी का सामना करना पड़ता है। घर के बीचों बीच बैठकर भोजन करने से मां लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा का वास घर में स्थापित होता है। यही कारण है कि पहले के समय में घर के बीचों-बीच बैठकर ही भोजन करने की परंपरा थी।

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इसके अलावा, घर के बीचों बीच बैठकर भोजन करने से ग्रहऔर वास्तु दोष भी दूर होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि घर की हर एक दिशा या कोण में किसी न किसी ग्रह का वास होता है और वह ग्रह उसी दिशा या कोण से पूरे घर और घर के लोगों को प्रभावित करता है। अगर उस दिशा या कोण से जुड़ा वास्तु ठीक हुआ तो शुभता मिलती है, नहीं तो अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अलग-अलग ग्रह या दिशा से जुड़े उपाय करने के बजाय सरल है कि घर के बीचों-बीच बैठकर परिवार के साथ भोजन करना शुरू कर दें।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • घर के बीचों-बीच वास्तु अनुसार क्या रखना चाहिए?

    वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के बीचोबीच का स्थान जिसे ब्रह्म स्थान या आंगन कहा जाता है, खाली और हल्का रहना चाहिए।