आखिर क्यों हर किसी को नहीं दिखानी चाहिए अपनी कुंडली? पंडित जी से जानें

पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, हमारे जीवन में जो परिस्थितियां बनती हैंउनका संबंध हमारी कुंडली में स्थित ग्रहों और उनके आपसी संबंधों से होता है। इसे आत्मा का ब्लूप्रिंट भी कहा जाता है। यही वजह है कि इसे हर किसी को दिखाने से मना किया जाता है।
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पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, हमारे जीवन में जो परिस्थितियां बनती हैं—चाहे वह अवसर हों या चुनौतियां—उनका संबंध हमारी कुंडली में स्थित ग्रहों और उनके आपसी संबंधों से होता है। यही वजह है कि इसे आत्मा का ब्लूप्रिंट भी कहा जाता है।
जब कोई बच्चा जन्म लेता है, तो उसके नामकरण के दौरान उसकी कुंडली बना दी जाती है। इसे जीवन की नींव माना जाता है। यह न केवल भविष्य का आईना मानी जाती है, बल्कि व्यक्ति की प्रकृति, ताकत, कमजोरियां, रिश्ते, करियर और विवाह तक के निर्णय कुंडली के आधार पर लिए जाते हैं। लेकिन अक्सर पंडित और आध्यात्मिक गुरु कहते हैं कि अपनी कुंडली हर किसी को नहीं दिखानी चाहिए? आखिर क्यों ऐसा कहा जाता है?

क्या कुंडली दिखाने से किसी की नजर लग सकती है?
क्या कोई आपकी ऊर्जा या ग्रहों को प्रभावित कर सकता है?
क्या दूसरों के देखने मात्र से जीवन में रुकावटें आ सकती हैं?

इन सभी सवालों के जवाब हमने जाने पंडित जनार्दन पंत जी से, जिनके अनुसार कुंडली सिर्फ एक चार्ट नहीं, बल्कि आपकी आत्मिक ऊर्जा की गोपनीय संरचना होती है। वह कहते हैं कि इसे आप अपने एटीम की तरह मान लीजिए, जिसे तरह उसका पिन आप सबके साथ शेयर नहीं कर सकते हैं, ठीक कुंडली को भी नहीं दिखाना चाहिए। मगर ऐसा क्यों जरूरी है, आइए इस लेख में विस्तार से जानें।

हमारी ऊर्जा का मानचित्र होती है कुंडली

पंडित जी बताते हैं कि कुंडली सिर्फ ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति का चार्ट नहीं होती, बल्कि यह व्यक्ति की जन्मकालीन ऊर्जा, कर्मों की दिशा और जीवन में आने वाले संभावित उतार-चढ़ाव का गूढ़ और आध्यात्मिक संकेत होती है। यह एक ऐसा मानचित्र है जो व्यक्ति के स्वभाव, सोच, व्यवहार, संबंध, और जीवन में आने वाली चुनौतियों और अवसरों को दर्शाता है।

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हर ग्रह एक विशिष्ट ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे- सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का, चंद्रमा मन और भावनाओं का, शनि कर्म और धैर्य का। जब ये ग्रह विशेष स्थानों पर स्थित होते हैं, तो वे हमारे विचार, निर्णय और अनुभवों को प्रभावित करते हैं। इसलिए कुंडली को केवल ज्योतिष का माध्यम नहीं, बल्कि व्यक्ति की ऊर्जा और चेतना का दर्पण माना जाता है। यह दर्शाती है कि जीवन किस दिशा में प्रवाहित हो रहा है।

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हर किसी को क्यों नहीं दिखानी चाहिए अपनी कुंडली?

अगर कोई व्यक्ति नकारात्मक सोच या ईर्ष्यालु दृष्टिकोण रखता है और आपकी कुंडली को देखता है, तो उसकी दृष्टि और मानसिक तरंगें आपकी ऊर्जा पर प्रभाव डाल सकती हैं। यह प्रभाव प्रत्यक्ष न होकर सूक्ष्म होता है, लेकिन पंडित जी के अनुसार यह आपकी ग्रह स्थितियों की सकारात्मकता को धीमा कर सकता है या अनचाही बाधाएं उत्पन्न कर सकता है।

आपकी कुंडली में आपके पारिवारिक रिश्ते, आर्थिक स्थिति, वैवाहिक जीवन और कभी-कभी जन्म के गुप्त दोषों (पितृ दोष, कालसर्प योग आदि) का भी संकेत होता है। हर किसी को इन बातों की जानकारी देना आपकी ऊर्जा को सार्वजनिक करना जैसा है, जो आगे चलकर नकारात्मक रूप ले सकती है।

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क्या कुंडली दिखाने से आप पर नजर लग सकती है?

पंडित जनार्दन पंत जी कहते हैं कि अगर कोई द्वेष रखने वाला व्यक्ति कुंडली देखता है, तो उसकी ऊर्जा बहुत ही धीमे लेकिन यकीनन आपके ग्रहों की सकारात्मकता को प्रभावित कर सकती है।

वह आगे कहते हैं कि कुंडली में अच्छे योग, जैसे- राजयोग, विदेश यात्रा, उच्च शिक्षा या धन लाभ, अगर गलत व्यक्ति देखता है, तो उसके अंदर ईर्ष्या या जलन की भावना जाग सकती है। यह भावना एक हस्तक्षेप बन जाती है, जिसे 'नजर लगना कहा जाता है। यह नजर आपकी प्रगति, निर्णय लेने की क्षमता या सुखद अवसरों को बाधित कर सकती है।

क्या हर पंडित को दिखाई जा सकती है कुंडली?

कुंडली देखना एक गहन विद्या है, केवल कंप्यूटर सॉफ्टवेयर या मोबाइल ऐप से कुंडली बना लेना और उसे समझ लेना आसान नहीं। कई लोग सिर्फ व्यावसायिक लाभ के लिए डर दिखाकर उपाय बेचते हैं। पंडित जी कहते हैं कि कुंडली केवल योग्य और अनुभवी ज्योतिषाचार्य को ही दिखानी चाहिए, जो बिना डर फैलाए आपको बैलेंस्ड सलाह दे सके।

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अगर आप किसी को कुंडली दिखा रहे हैं, तो यह देख लें कि वह व्यक्ति अनुभवी और ज्ञानी हो। हर दूसरे व्यक्ति से अपनी कुंडली साझा करने से बचें। कई बार गलत व्यक्ति कुंडली देखकर डराने वाली बातें भी कह सकता है, जिससे मानसिक दबाव और भ्रम पैदा हो सकता है।

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पंडित जनार्दन कहते हैं कि कुंडली भी पूंजी के समान है, इसलिए इसके प्रति भी गंभीरता होनी चाहिए। जिसने आपकी कुंडली देखी, वह आपकी ऊर्जा से परिचित हो जाता है, इसलिए यह आप पर है कि आप किसे वह अधिकार देते हैं।

तो अगली बार अगर आप किसी को कुंडली दिखाने लगें, तो सोच लीजिएगा कि क्या वह व्यक्ति इसके योग्य है! इस बारे में आपका क्या विचार है, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। हमें उम्मीद है कि आपको यह लेख पसंद आया होगा। इसे लाइक करें और फेसबुक पर शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Freepik

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