जगन्नाथ पुरी मंदिर समुद्र किनारे ही क्यों है? जानें इसकी वजह

जहां एक ओर पूरी जगन्नाथ मंदिर को लेकर लोगों के बीच अत्यधिक आस्था है तो वहीं, दूसरी ओर इस मंदिर के रहस्यों के पीछे जानने की वजह को लेकर भी लोगों में उत्सुकता बनी रहती है।
why is jagannath temple in puri located only on the seashore

जगन्नाथ मंदिर से जुड़े कई रहस्य हैं जो न सिर्फ आम लोगों के लिए बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी किसी अनसुलझी पहेली से कम नहीं। जहां एक ओर पूरी जगन्नाथ मंदिर को लेकर लोगों के बीच अत्यधिक आस्था है तो वहीं, दूसरी ओर इस मंदिर के रहस्यों के पीछे जानने की वजह को लेकर भी लोगों में उत्सुकता बनी रहती है। इसी कड़ी में आज हम ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से ये जानेंगे कि आखिर क्यों समुद्र किनारे ही स्थापित है जगन्नाथ पूरी मंदिर और क्या है इसके पीछे का रहस्य।

जगन्नाथ पूरी मंदिर समुद्र किनारे ही क्यों है?

samudra kinare hi kyu hai jagannath mandir

भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां नीम के पवित्र लकड़ी के लट्ठे से बनी हैं जो समुद्र में बहकर पुरी के तट पर आए थे। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने स्वयं राजा इंद्रद्युम्न को स्वप्न में दर्शन देकर बताया था कि उन्हें समुद्र तट पर एक तैरता हुआ दारु मिलेगा जिससे वे भगवान की मूर्तियां बनवाएं। इस प्रकार समुद्र ही भगवान के स्वरूप का स्रोत बना और मंदिर का समुद्र के किनारे होना उनके प्रकट होने की इसी दिव्य लीला का प्रतीक है।

इसके अलावा, स्कंद पुराण के अनुसार, पुरी धाम का भौगोलिक स्वरूप एक दक्षिणावर्ती शंख के समान है। इस शंख का उदर भाग समुद्र की सुनहरी रेत है जिसे महोदधि यानी कि महासागर का पवित्र जल धोता रहता है। सिर वाला क्षेत्र पश्चिम दिशा में है जिसकी रक्षा महादेव करते हैं। यह प्रतीकात्मक वर्णन दर्शाता है कि पुरी स्वयं एक पवित्र और शक्तिशाली क्षेत्र है और समुद्र उसकी आध्यात्मिक ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

jagannath mandir samudra kinare hi kyu hai

ज्योतिष शास्त्र में समुद्र को अनंत और ब्रह्मांड का प्रतीक माना जाता है। भगवान जगन्नाथ को 'जगन्नाथ' यानी 'जगत के स्वामी' कहा जाता है। मंदिर का समुद्र के किनारे होना यह दर्शाता है कि भगवान ब्रह्मांड के केंद्र में विराजमान हैं और समुद्र की विशालता उनकी व्यापकता का प्रतीक है। जगन्नाथ मंदिर से जुड़ी कई रहस्यमयी घटनाएं हैं जिनका संबंध समुद्र से भी है, जैसे मंदिर के भीतर प्रवेश करने पर समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई नहीं देती है।

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हालांकि मंदिर के बाहर अगर खड़े हैं तो लहरों की आवाज साफ-साफ़ सुनाई देती है। यह एक ऐसा रहस्य है जिसे वैज्ञानिक भी पूरी तरह से समझा नहीं पाए हैं और इसे दिव्य शक्ति का प्रतीक माना जाता है जो समुद्र की ऊर्जा को नियंत्रित करती है। ऐसा माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर अगर समुद्र किनारे नहीं होता तो इस मंदिर का निर्माण ही कहीं किसी भी स्थान पर सम्भव नहीं था। इस जगह को खुद भगवान विष्णु ने अपने लीला के लिए चुना था।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • जगन्नाथ मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य क्या है? 

    जगन्नाथ मंदिर के कई रहस्यों में से एक और सबसे बड़ा रहस्य ये है कि इस मंदिर में छाया नहीं बनती है।