भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण ने अपने जीवनकाल में धर्म की स्थापना के लिए कई दिव्य लीलाएं की। इन लीलाओं के दौरान श्री कृष्ण को कई श्राप भी भोगने पड़े। हालांकि, श्री कृष्ण पर किसी भी श्राप का प्रभाव होना संभव ही नहीं है क्योंकि वे खुद परब्रह्म है, लेकिन इसके बाद भी मनुष्य जीवन के चक्र से बंधें होने के कारण उन्होंने हर श्राप को स्वीकार किया। तो चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से कि आखिर किन लोगों ने और कब, कैसे, क्यों और कौन से श्राप दिए थे श्री कृष्ण को।
गांधारी का श्राप
महाभारत युद्ध के बाद, जब कौरवों की माता गांधारी को पता चला कि उनके 100 पुत्र युद्ध में मारे गए हैं तो उन्होंने श्रीकृष्ण को इसका जिम्मेदार ठहराया। गांधारी ने श्री कृष्ण से कहा कि यदि वे चाहते तो इस विध्वंस को रोक सकते थे। दुख और क्रोध में आकर गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जैसे मेरे वंश का नाश हुआ, वैसे ही तुम्हारे यदुवंश का भी नाश होगा। यह श्राप बाद में सच्चा हुआ। श्रीकृष्ण के वंशज आपसी कलह में एक-दूसरे को मारने लगे और यदुवंश का विनाश हो गया।
दुर्वासा ऋषि का श्राप
एक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि दुर्वासा श्रीकृष्ण के द्वारका में पधारे। उन्होंने श्रीकृष्ण से प्रसाद रूप में खीर मांगी। श्री कृष्ण ने खीर खिलाई लेकिन स्वयं नहीं खाई। यह देखकर दुर्वासा ऋषि ने उन्हें श्राप दिया कि जब तुम मृत्यु के समीप होंगे तब तुम्हारा शरीर इसी प्रकार खून और माटी में लथपथ होगा और तुम्हारा अंत दुखद होगा। यह श्राप भी बाद में सच हुआ। श्री कृष्ण का निधन जंगल में हुआ जब एक बहेलिए ने उन्हें पैर के अंगूठे में तीर मार दिया और श्री कृष्ण ने भूमि पर अपना त्याग कर दिया।
सप्तर्षियों का श्राप
एक अन्य कथा के अनुसार, श्री कृष्ण के पुत्र साम्ब और उनके मित्रों ने एक बार ऋषियों के साथ मजाक किया। साम्ब स्त्री का वेश धारण करके गया और ऋषियों से पूछा कि वह गर्भवती है और उसके गर्भ से कैसे पुत्र का जन्म होगा। ऋषियों ने भांप लिया कि वह कोई स्त्री नहीं बल्कि सांभ ही। ऋषियों ने यह अपमान सहन नहीं किया और श्री कृष्ण को यह श्राप दिया कि उनके पुत्र के गर्भ से एक मूसल जन्म लेगी और वही मूसल यदुवंश के विनाश का कारण बनेगी। यह श्राप भी श्री कृष्ण ने सप्त ऋषियों के आदर में स्वीकार कर लिया था।
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श्री धामा का श्राप
एक बार राधा रानी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम-विनोद चल रहा था, जिसमें श्रीधामा ने राधा रानी का विरोध किया। इस पर राधा रानी ने श्रीधामा को क्रोध पूर्वक श्राप दिया कि वह गोलोक से पृथ्वी पर जन्म लेंगे। इसके उत्तर में, श्रीधामा ने भी राधा रानी और श्री कृष्ण दोनों को श्राप दे दिया कि वे भी पृथ्वी पर जन्म लेंगे और अनेक वर्षों तक एक-दूसरे से वियोग भोगेंगे। इसी श्राप को पूर्ण करने के लिए श्री कृष्ण और राधा रानी ने पृथ्वी पर अवतार लिया था।
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