होली, जिसे धूलंडी या रंगोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, सनातन धर्म में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला एक प्राचीन त्योहार है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली से एक दिन पहले, होलिका दहन किया जाता है, जिसमें भक्त प्रह्लाद की अच्छाई के सामने बुराई की प्रतीक होलिका जलकर राख हो जाती है। शास्त्रों के अनुसार, यदि किसी के घर में मृत्यु हो जाती है, तो उस घर में सूतक लग जाता है। सूतक की अवधि मृत्यु के दिन से 13 दिनों तक होती है। इस दौरान, परिवार को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
होली के दिन किसी की मृत्यु हो जाए तो जरूर करें इन नियमों का पालन
यदि किसी परिवार के सदस्य की मृत्यु वर्ष के किसी भी दिन होती है, तो यह माना जाता है कि होलिका दहन के साथ सभी अशुद्धियां जलकर राख हो जाती हैं। इसलिए, होलिका दहन के बाद, आप शुभ कार्य कर सकते हैं और होली का त्योहार भी मना सकते हैं। लेकिन, यदि मृत्यु होली के दिन ही होती है, तो उस वर्ष होली का त्योहार न मनाएं, क्योंकि शोक ग्रस्त परिवार को 13 दिनों तक सूतक नियमों का पालन करना होता है।
शुभ काम की शुरुआत कब कर सकते हैं?
होलिका दहन के बाद घर को शुद्ध करना होता है। इसके कुछ दिनों बाद हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है, और इसके साथ ही शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत फिर से हो जाती है।
इसलिए, यदि परिवार के किसी सदस्य की होली के दिन मृत्यु हो जाती है, तो केवल उसी वर्ष होली नहीं मनाई जाती है। आप अगले साल से होली मना सकते हैं। यदि होली से कुछ दिन पहले मृत्यु हो जाती है, तो आप होली मना सकते हैं, क्योंकि होलिका की अग्नि सभी अशुद्धियों को दूर कर देती है।
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Image Credit- HerZindagi
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