अश्विन माह की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा, यह महालया अमावस्या के नाम से भी प्रख्यात है। वहीं, ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि अश्विन अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि क्यों कहा जाता है सर्व पितृ अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या और क्या है इसका महत्व।
क्या है पितृ मोक्ष अमावस्या?
सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों के निमित्त दान करने और दीया जलाने से पितरों को शांति मिलती है। इसके अलावा, अगर बिना किसी दोष के पितरों के निमित्त विधिवत पूजा की जाए तो इससे पितरों को मोक्ष मिल जाता है। इसी कारण से इस अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है।
क्या है पितृ मोक्ष अमावस्या का श्राद्ध मुहूर्त?
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन कुतुप और रौहिण मुहूर्त में श्राद्ध करने का विधान है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन मुहूर्तों में श्राद्ध करने से पितरों को दोगुना फल मिलता है। 2 अक्टूबर को कुतुप मूहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। वहीं, रौहिण मूहूर्त दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से दोपहर 1 बजकर 21 मिनट तक रहने वाला है।
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क्या है पितृ मोक्ष अमावस्या का महत्व?
पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन ज्ञात एवं अज्ञात सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। यानी कि जिन पितरों की तिथि पता है उनका और जिन पितरों की तिथि नहीं भी पता है उनका भी श्राद्ध इस दिन करना उत्तम माना जाता है। पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने से जहां एक ओर पितरों को अज्ञात योनियों से मुक्ति मिल जाती है तो वहीं, श्राद्ध करने वाले को पितृ कृपा मिलती है।
आप भी इस लेख में दी गई जानकारी के माध्यम से यह जा सकते हैं कि आखिर क्या है पितृ मोक्ष अमावस्या और क्यों महत्वपूर्ण मानी जाती है यह सभी के लिए। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।
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