हिंदू धर्म में किसी भी अन्य पर्व की ही तरह राधा रानी का जन्मोत्सव भी बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि राधा के बिना श्याम अधूरा है और इसी वजह से जन्माष्टमी के कुछ ही दिनों के बाद राधा रानी का जन्म हुआ था। दोनों का प्रेम इतना अटूट है कि उन्हें आज भी याद किया जाता है और उनका उदाहरण दिया जाता है। जहां एक तरफ कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है वहीं राधा रानी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को राधा रानी के प्राकट्य दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन व्रत-उपवास करते हैं और राधा जी की पूजा अर्चना करते हैं उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। यही नहीं राधा अष्टमी पर राधा जी की पूजा शुभ मुहूर्त में करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इस साल कब मनाई जाएगी राधा अष्टमी और किस शुभ मुहूर्त में राधा रानी का पूजन करना फलदायी होगा। साथ ही, आप इस शुभ तिथि का महत्व भी यहां विस्तार से जान सकती हैं।
राधा अष्टमी 2025 की कब मनाई जाएगी?
- हर साल राधा अष्टमी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 31 अगस्त, रविवार को पड़ेगी।
- इस दिन भक्तजन मंदिर और घर में राधा रानी का पूजन श्रद्धा भाव से कर सकते हैं। यही नहीं राधा जी का जन्मोत्सव भी कृष्ण जन्मोत्सव की ही भांति मंदिरों में भी बड़े श्रद्धा से मनाया जाता है और भजन-कीर्तन आदि होते हैं।

राधा अष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त क्या है?
- इस साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि- 30 अगस्त, शनिवार, रात्रि 10:46 बजे से लग रही है।
- भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का समापन- 31 अगस्त,रविवार, रात्रि 12:57 बजे।
- उदया तिथि की मानें तो राधा अष्टमी इस साल 31 अगस्त, रविवार को मनाई जाएगी।
- राधाष्टमी का पर्व राधा रानी के पूजन के लिए बहुत शुभ माना जाता है।
- यदि आप 31 अगस्त को प्रातः 10.42 बजे से दोपहर 1.14 बजे तक पूजन करें तो सबसे ज्यादा शुभ होगा।

राधा अष्टमी का महत्व क्या है?
राधा अष्टमी का पर्व उतना ही महत्वपूर्ण माना जाता है जितना कि श्री कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी। ऐसी मान्यता है कि यदि आप राधा अष्टमी के दिन राधा रानी का पूजन श्रद्धा से करती हैं तो आपको श्री कृष्ण की भी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। राधा अष्टमी के दिन वृषभानु जी और कीर्ति के घर पर माता राधा का जन्म हुआ था। पौराणिक कथाओं की मानें तो एक कथा यह कहती है कि राधा रानी माया से अपनी मां कीर्ति जी के गर्भ में आईं और राधा अष्टमी के दिन उनका प्राकट्य हुआ। उसी दिन से हर साल यह पर्व मनाया जाता है और इस दिन राधा जी की पूजा श्री कृष्ण जी के साथ की जाती है। इस विशेष दिन में राधा जी का पूजन करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलने के साथ मनोकामनाओं की पूर्ति भी हो सकती है।
यदि आप भी राधा अष्टमी के दिन माता राधा का पूजन करें तो आपको कई शुभ फल मिल सकते हैं। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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