वट पूर्णिमा के दिन करें व्रती महिलाएं सौभाग्य प्राप्ति के लिए क्या करें और क्या करने से बचें?

हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा का पूजा बेहद भाग्यशाली माना जाता है। अब ऐसे में इस दिन जो महिलाएं व्रत रख रही हैं और पूजा-पाठ कर रही हैं, उन्हें क्या करना चाहिए और किन चीजों को करने से बचना चाहिए। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 
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हिंदू धर्म में वट पूर्णिमा का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद भाग्यशाली माना जाता है। यह व्रत पति की लंबी आयु, सौभाग्य और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, और इसे वट सावित्री व्रत भी कहते हैं। यह व्रत खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में इसे ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। वट पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता आती है। इतना ही नहीं, यह व्रत कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। अब ऐरे में अगर कोई महिला वट पूर्णिमा का व्रत रख रही हैं तो इस दिन अखंड सौभाग्य के लिए क्या करें और किन कामों को करने से बचें। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

वट पूर्णिमा के दिन व्रती महिलाएं क्या करें?

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वट पूर्णिमा के दिन व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें।

पूजा के लिए किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां बरगद का वृक्ष हो। अगर आस-पास बरगद का वृक्ष नहीं है, तो आप घर में गमले में लगे छोटे बरगद के पौधे की भी पूजा कर सकती हैं। इसके अलावा आप बरगद के पेड़ की तस्वीर देखकर भी पूजा कर सकते हैं।
वट पूर्णिमा के दिन महिलाएं पूजा-पाठ नियमित रूप से करें।
इस दिन कच्चे सूत या मोली को बरगद के वृक्ष के चारों ओर 7, 11, 21 या 108 बार लपेटते हुए परिक्रमा करें। इससे घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
वट सावित्री की पूजा विधिवत रूप से करनी चाहिए। इससे अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
आप वट सावित्री का व्रत फलाहार रखने का सोच रही हैं तो आप रख सकती हैं।

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वट पूर्णिमा के दिन व्रती महिलाएं क्या करने से बचें?

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वट सावित्री व्रत के दिन व्रती महिलाएं बाल औप नाखून न काटें।
इस दिन पूरे व्रत के नियमों का पालन करें।
इस दिन फसालेदार या फिर तामसिक आहार लेने से बचें।
वच सावित्री व्रत के दिन पूजा करने के बाद आप पारण पहले न करें। आप बुजुर्गाों का आशीर्वाद लें। प्रसाद बांटें और उसके बाद स्वयं प्रसाद खाएं।
इस दिन नया ही कच्चे सूत का उपयोग करें। पुराने कच्चा सूत का इस्तेमाल न करें।

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Image Credit- HerZindagi

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