rajasthan ke jhalawar mein kyu diya jata hai mandodari ke kapdo ka prasad

Dussehra Special: राजस्थान के इस मंदिर में दशहरे पर मिलता है रावण की पत्नी मंदोदरी के कपड़ों का प्रसाद, जानें क्या है इस स्थान की मान्यता

आज हम आपको एक ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके तहत रावण की पत्नी मंदोदरी के कपड़े प्रसाद रूप में बाटे जाते हैं। ऐसा कहां होता है और क्या है इसके पीछे का महत्व एवं मान्यता, आइये जानते हैं।  
Editorial
Updated:- 2025-10-01, 13:57 IST

रावण दहन के दिन अलग-अलग स्थानों पर कई प्रकार की परंपराएं निभाई जाती हैं जिनका धार्मिक और ज्योतिष दोनों में महत्व है। ऐसी ही एक परंपरा के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जिसके तहत रावण की पत्नी मंदोदरी के कपड़े प्रसाद रूप में बाटे जाते हैं। ऐसा कहां होता है और क्या है इसके पीछे का महत्व एवं मान्यता, आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

कहां और क्यों मिलता है दशहरे पर मंदोदरी के कपड़ों का प्रसाद?

राजस्थान के झालावाड़ जिले में स्थित झालरापाटन शहर एक बहुत ही अनोखी और पुरानी दशहरा परंपरा के लिए जाना जाता है। जहां पूरे देश में दशहरा के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है, वहीं इस जगह पर एक बेहद खास और ऐतिहासिक तरीका अपनाया जाता है।

significance of giving mandodari clothes in prasad at jhalawar in rajasthan

झालरापाटन में रावण और उसके पूरे परिवार की स्थायी प्रतिमाएं हैं जिन्हें 184 साल पहले यानी सन 1840 में स्थापित किया गया था। ये प्रतिमाएं आज भी यहां मौजूद हैं और इसे रावण के दरबार के रूप में जाना जाता है। हर साल, इसी जगह पर 184 सालों से विजयदशमी के दिन रावण वध की परंपरा निभाई जाती है।

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झालरापाटन में रावण वध की यह परंपरा एक विशेष रिवाज के साथ पूरी होती है। रावण दहन से पहले, लंकेश की पत्नी मंदोदरी की प्रतिमा को नए वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। यह परंपरा मंदोदरी के प्रति सम्मान दर्शाती है। जब रावण दहन का कार्यक्रम पूरा हो जाता है, तब इन्हीं वस्त्रों को छोटे-छोटे टुकड़ों में फाड़कर वहां मौजूद सभी लोगों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। इस प्रसाद को 'वस्त्र प्रसादी' कहा जाता है और इसे घर ले जाना बहुत शुभ माना जाता है।

story of giving mandodari clothes in prasad at jhalawar in rajasthan

मान्यता है कि दशहरे के दिन रावण दहन के बाद मंदोदरी के इन कपड़ों का प्रसाद अपने घर ले जाने से जीवन में कई तरह के शुभ लाभ मिलते हैं। यह माना जाता है कि इस वस्त्र प्रसाद को घर में रखने से सुख-समृद्धि आती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है।

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चूंकि मंदोदरी को देवी मां अंबे की परम भक्त माना जाता है, इसलिए उनके वस्त्रों को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति के भीतर भक्ति की भावना बढ़ती है। साथ ही, यह प्रसाद अहंकार को दूर करता है और व्यक्ति को सन्मार्ग के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है। सबसे बड़ा और विशेष लाभ यह है कि मंदोदरी को हिंदू धर्म में पंच सतियों में से एक माना जाता है। इसलिए, उनके कपड़ों के टुकड़ों को वस्त्र प्रसादी के रूप में घर में रखने से वैवाहिक जीवन खुशहाल और प्रेमपूर्ण बनता है।

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FAQ
क्या बच्चों को नहीं देखना चाहिए रावण दहन?
बच्चों को रावण दहन जरूर देखना चाहिए क्योंकि रावण दहन के दौरान जलने वाली अग्नि के प्रभाव से बच्चों के आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
रावण दहन के बाद क्या करना चाहिए?
रावण दहन के बाद उसकी राख को लाल कपडे में बांधकर घर के मुख्य द्वार पर टांगना चाहिए। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और बुरी ऊर्जा दूर होती है।
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